सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Business ›   Business Diary ›   SBI has grown from a 2018 loss-making company to a $100 billion company, claims Governor Sanjay Malhotra

आरबीआई सुधारों का बड़ा असर: 2018 के घाटे से 100 अरब डॉलर की कंपनी बनी एसबीआई, गवर्नर संजय मल्होत्रा का दावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 07 Nov 2025 12:47 PM IST
सार

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि पिछेल एक दशक में हुए रिजर्व बैंक के नियामक सुधारों के कारण एसबीआई अपने 2018 के घाटे से 100 अरब डॉलर की कंपनी बन गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2016 में लागू किए गए दिवाला व शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने देश की क्रेडिट संस्कृति को पूरी तरह बदल दिया है।

विज्ञापन
SBI has grown from a 2018 loss-making company to a $100 billion company, claims Governor Sanjay Malhotra
संजय मल्होत्रा - फोटो : RBI
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

भारतीय रिजर्व बैंक के नियामक सुधारों के कारण एसबीआई अपने 2018 के घाटे से 100 अरब डॉलर की कंपनी बन गई। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह दावा किया। एसबीआई बैंकिंग और इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित करते हुए गवर्नर ने कहा कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र में परिवर्तन एक मजबूत नियामक ढांचे के साथ-साथ आरबीआई व सरकार की ओर से शुरू किए गए प्रमुख नीतिगत उपायों से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष अभी बता रहे थे कि 2018 में वे घाटे में थे। और अब वे 100 अरब डॉलर की कंपनी है। 

Trending Videos


ये भी पढ़ें: Tesla: एलन मस्क की 1 ट्रिलियन डॉलर की सैलरी के प्रस्ताव को मिली मंजूरी, रोबोट के साथ डांस कर मनाया जश्न

विज्ञापन
विज्ञापन

आईबीसी ने क्रेडिट संस्कृति को पूरी तरह बदल दिया

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2016 में लागू किए गए दिवाला व शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने देश की क्रेडिट संस्कृति को पूरी तरह बदल दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कानून ने उधारकर्ताओं में वित्तीय अनुशासन बढ़ाया है और बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार किया है।

मौद्रिक के साथ-साथ आर्थिक स्थिरता भी मजबूत हुई

मल्होत्रा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में कई बड़े सुधार किए गए हैं, जिनसे न केवल मौद्रिक स्थिरता बल्कि व्यापक आर्थिक स्थिरता भी मजबूत हुई है। इनमें लचीली मुद्रास्फीति टार्गेटिंग व्यवस्था को अपनाना, फॉरेक्स मार्केट को गहराई देना और कैपिटल अकाउंट को धीरे-धीरे उदार बनाना जैसे कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन सुधारों ने वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दिया है, जिससे भारतीय बैंकिंग सेक्टर की नींव और मजबूत हुई है।

2014 के बाद भारत ने नए सिद्धांत पर काम किया

मल्होत्रा ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब भारत को दुनिया की फ्रैजाइल फाइव अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था और उस दौर में देश की वित्तीय प्रणाली पर गहरा दबाव था। लेकिन 2014 के बाद से, 'कभी भी अच्छे संकट को बर्बाद न करें' के सिद्धांत पर चलते हुए, भारत ने वित्तीय तंत्र की दीर्घकालिक मजबूती के लिए बुनियादी सुधार शुरू किए।

उन्होंने बताया कि यह परिवर्तन तीन प्रमुख स्तंभों पहचान, समाधान और पुनर्पूंजीकरण पर आधारित था। 2015 में शुरू हुई परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (AQR) प्रक्रिया ने बैंकों को अपने वास्तविक लोन बुक की स्थिति पहचानने और छिपे हुए एनपीए को सामने लाने के लिए बाध्य किया। इसी के साथ, त्वरीत सुधारत्मक कार्रवाई (PCA) ढांचे ने कमजोर बैंकों की सेहत सुधारने में अहम भूमिका निभाई।

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय Hindi News वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें कारोबार समाचार और Union Budget से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। कारोबार जगत की अन्य खबरें जैसे पर्सनल फाइनेंस, लाइव प्रॉपर्टी न्यूज़, लेटेस्ट बैंकिंग बीमा इन हिंदी, ऑनलाइन मार्केट न्यूज़, लेटेस्ट कॉरपोरेट समाचार और बाज़ार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed