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SEBI: सेबी ने एसएमई-आईपीओ के नियम सख्त किए, कर्ज चुकाने के लिए फंड का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी कंपनियां
एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Thu, 19 Dec 2024 01:24 AM IST
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सार
सेबी के बोर्ड ने एसएमई आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) बाजार को मजबूत करने, लिस्टिंग की गुणवत्ता में सुधार करने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई उपायों को मंजूरी दी है। इसके तहत, एसएमई कंपनियां आईपीओ से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल प्रमोटरों, निदेशकों और संबंधित पार्टियों से लिए गए कर्ज का भुगतान करने में नहीं कर सकेंगी।

सेबी
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को छोटे एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के आईपीओ की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए सख्त नियामकीय ढांचे को मंजूरी दे दी। इसके तहत, आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) लाने की योजना बना रहे एसएमई के लिए जरूरी है कि ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) दाखिल करते समय उनका परिचालन लाभ पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से दो में कम-से-कम एक करोड़ रुपये होना चाहिए। इसका मकसद तेजी से बढ़ते एसएमई सेगमेंट में पारदर्शिता, प्रबंधन और फंड के दुरुपयोग से जुड़ी चिंताओं को दूर करना है।

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बोर्ड ने एसएमई आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) बाजार को मजबूत करने, लिस्टिंग की गुणवत्ता में सुधार करने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई उपायों को मंजूरी दी है। इसके तहत, एसएमई कंपनियां आईपीओ से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल प्रमोटरों, निदेशकों और संबंधित पार्टियों से लिए गए कर्ज का भुगतान करने में नहीं कर सकेंगी। साथ ही, कंपनी के शेयरधारक आईपीओ अवधि के दौरान अपनी 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी नहीं बेच सकेंगे।
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ओएफएस के जरिये अधिकतम 20 फीसदी शेयर ही बिकेंगे
सेबी ने कहा, एसएमई आईपीओ में शेयरधारक कुल निर्गम आकार का अधिकतम 20 फीसदी हिस्सेदारी ही ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये बेच सकेंगे। इसके अलावा, कंपनियों को डीआरएचपी को 21 दिनों के लिए सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए उपलब्ध कराना होगा। डीआरएचपी तक आसान पहुंच के लिए इसके बारे में समाचार पत्रों में प्रकाशन के साथ क्यूआर कोड भी जारी करना होगा।
निवेश बैंकिंग मानदंडों में भी बदलाव
बाजार नियामक ने सुधारों के तहत निवेश बैंकिंग मानदंडों में भी बदलाव करने का फैसला किया है। इसके अलावा, डिबेंचर ट्रस्टियों, ईएसजी रेटिंग प्रदाताओं, इनविट्स, रीट्स और एसएम रीट्स के लिए कारोबार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिहाज से भी कई सुधारों को मंजूरी दी गई है।
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