US tariff: कपड़ा उद्योग के राजस्व में आ सकती है 5 से 10 फीसदी की गिरावट, क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में दावा
क्रिसिल रेटिंग्स ने दावा किया है कि अमेरिका की ओर से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने से घरेलू कपड़ा उद्योग के राजस्व में 5-10% की गिरावट आ सकती है। इसका असर उन कंपनियों पर ज्यादा पड़ने की उम्मीद है जो अपनी आधी से अधिक आय अमेरिका से कमाती हैं।

विस्तार
अमेरिकी टैरिफ से घरेलू कपड़ा उद्योग के राजस्व में 5-10 फीसदी की गिरावट आ सकती है। क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। इस उद्योग में निर्यात की हिस्सेदारी लगभग तीन-चौथाई है।

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तीन प्रमुख कारक कपड़ा उद्योग को सहारा दे सकते हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा चुनौतियों के बावजूद तीन प्रमुख कारक भारतीय कपड़ा उद्योगों को सहारा दे सकते हैं। इसमें अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच बिक्री का मजबूत वृद्धि। दूसरा चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की सीमित निर्यात क्षमता खासकर उन उत्पाद श्रेणियों में जहां भारत को कम टैरिफ का फायदा है और भारतीय विनिर्माताओं का वैकल्पिक वैश्विक बाजारों की ओर रुख करना शामिल है। इसके अलावा यह कंपनियों की कर्जमुक्त बैलेंस शीट क्रेडिट प्रोफाइल पर पड़ने वाले दबाव को आंशिक रूप से कम कर सकती है।
खुदरा विक्रेता महंगाई को लेकर सतर्क बने हुए
क्रिसिल रेटिंग्स के उप मुख्य रेटिंग अधिकारी मनीष गुप्ता ने कहा कि होम टेक्सटाइल्स विवेकाधीन उत्पाद हैं। अमेरिका को इसके निर्यात इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 2-3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। खुदरा विक्रेता मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के बीच मांग को लेकर सतर्क बने हुए हैं। लेकिन 27 अगस्त से उच्च टैरिफ के कार्यान्वयन से पहले, कुछ ऑर्डरों की अग्रिम लोडिंग के कारण निर्यात में तेजी आई थी।
गुप्ता ने आगे कहा कि इसके अलावा, प्रतिस्पर्धी देशों में कपास आधारित घरेलू वस्त्र उत्पाद बनाने की सीमित क्षमता होने के कारण, भारत निकट भविष्य में अमेरिकी बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धी स्थिति बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए। इससे इस वित्त वर्ष में उद्योग के कुल राजस्व में गिरावट 5-10 प्रतिशत तक सीमित रहनी चाहिए।
ईयू और यूके के साथ व्यापार बढ़ाने पर जोर
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इसका असर उन कंपनियों पर ज्यादा पड़ने की उम्मीद है जो अपनी आधी से अधिक आय अमेरिका से कमाती हैं। क्रिसिल रेटिंग ने आगे कहा है कि अमेरिका में कम खरीद की भरपाई के लिए, भारतीय निर्माता यूरोपीय संघ (ईयू) और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश करेंगे। पिछले वित्त वर्ष में भारत के घरेलू कपड़ा निर्यात में इन भौगोलिक क्षेत्रों का कुल योगदान 13 प्रतिशत था।
घरेलू निर्यातक अब ब्रिटेन और यूरोपीय संघ पर ज्यादा फोकस कर सकते हैं। हाल ही में ब्रिटेन के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते और यूरोप में बढ़ते अवसरों ने भारतीय कंपनियों के लिए नए रास्ते खोले हैं। हालांकि, क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक गौतम शाही के अनुसार, इन वैकल्पिक बाजारों से राजस्व बढ़ाने में समय लगेगा।
अमेरिका में महंगाई के चलते मांग में गिरावट
शाही ने कहा कि अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यातकों को ऊंचे टैरिफ का कुछ बोझ खुद उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा अमेरिका में महंगाई के चलते मांग में गिरावट की आशंका है। संभावित अधिक आपूर्ति का दबाव न सिर्फ अन्य निर्यात गंतव्यों बल्कि घरेलू बाजार में भी मार्जिन पर असर डाल सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, नतीजतन इस वित्त वर्ष उद्योग स्तर पर परिचालन लाभप्रदता पिछले साल की तुलना में 200-250 आधार अंकों तक कम हो सकती है।