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SBI Report: महिलाओं के खाते में सीधे नकद भेजने वाली योजनाओं की सूनामी राज्यों के लिए ठीक नहीं, सामने आया कारण

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Sat, 25 Jan 2025 02:17 PM IST
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सार

SBI Report on DBT Schemes: महिलाओं को खाते में सीधे नकद हस्तांतरित करने की योजनाओं का चलन हाल के वर्षों में, विशेष रूप से चुनावों के दौरान काफी बढ़ा है। रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस तरह की पहल राज्य के वित्त को बहुत हद तक प्रभावित कर सकती है। एसबीआई की एक रिपोर्ट में इस पर टिप्पणी की गई है। रिपोर्ट में और क्या कहा गया है, आइए जानें।

Tsunami of the women centric DBT schemes can bleed state finances: SBI Report
भारतीय अर्थव्यवस्था। - फोटो : amarujala
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विस्तार
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राज्यों की ओर से घोषित महिला केंद्रित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं (सीधे खाते में नकद भेजने वाली योजनाएं) की सुनामी उनकी वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकती है। भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

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रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को खाते में सीधे नकद हस्तांतरित करने की योजनाओं का चलन हाल के वर्षों में, विशेष रूप से चुनावों के दौरान काफी बढ़ा है। रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस तरह की पहल राज्य के वित्त को बहुत हद तक प्रभावित कर सकती है।

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खाते में पैसे भेजने वाली योजनाएं चुनावी राजनीति से प्रेरित: एसबीआई

एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "कई राज्यों की ओर से महिलाओं को सीधे खाते में लाभ भेजने वाली योजनाओं की घोषणा उनके वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकती है।" रिपोर्ट में कुछ राज्यों की ओर से की गई ऐसी घोषणाओं को विशुद्ध चुनावी राजनीति से प्रेरित बताया गया है और कहा गया है कि ऐसी योजनाओं की सुनाी चुनिंदा राज्यों के वित्त को नुकसान पहुंचा सकती है"


रिपोर्ट के नुसार आठ राज्यों में लागू की गई इन योजनाओं की कुल लागत बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है, यह राशि इन राज्यों की कुल राजस्व प्राप्तियों का 3 से11 प्रतिशत के बीच है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा जैसे कुछ राज्य अधिक गैर-कर राजस्व और ऋणों की कमी के कारण इन लागतों का वहन करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन कई राज्यों को इस मामले में राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

कर्नाटक और बंगाल की इन योजनाओं पर रिपोर्ट में की गई टिप्पणी

रिपोर्ट में कर्नाटक का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि वहां की गृह लक्ष्मी योजना, जिसमें परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये प्रति माह दी जाती है, के लिए 28,608 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह राशि राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों का 11 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में आगे पश्चिम बंगाल की भी चर्चा की गई है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की लक्ष्मीर भंडार योजना, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को 1,000 रुपये का एकमुश्त अनुदान देती है, की लागत 14,400 करोड़ रुपये या राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों का 6 प्रतिशत है।

एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "दिल्ली की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, जिसमें वयस्क महिलाओं (कुछ श्रेणियों को छोड़कर) को 1,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया है, पर करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह राशि राजस्व प्राप्तियों का 3 प्रतिशत है।

राज्यों को सुझाव-  योजना की घोषणा से पहले अपने वित्तीय हालत की करें पड़ताल

एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिलाओं के खाते में सीधे नकद भेजने वाली योजनाओं का चलन बढ़ने से केंद्र पर भी ऐसी योजनाओं से जुड़ी नीतियों को अपनाने का दबाव बन सकता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि केंद्र सरकार से राज्यों को मिलने वाले अनुदान से बनी एक सार्वभौमिक आय हस्तांतरण योजना, ऐसे वादों का अधिक टिकाऊ विकल्प हो सकती है।

रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि ऐसा करने से बाजार को बाधित करने वाली सब्सिडी को कम करने में भी मदद मिल सकती है। रिपोर्ट के अनुसार नकद हस्तांतरण योजनाओं को महिलाओं को सशक्त बनाने और चुनावी समर्थन हासिल करने के तरीके के रूप में देखा जाता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि राज्य ऐसे कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने से पहले अपने राजकोषीय स्वास्थ्य और उधार लेने के पैटर्न पर विचार करें।

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