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बेमिसाल: पहले खुद बीएड तक की पढ़ाई, फिर दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए खोल दिया स्कूल

अमर उजाला, भिवानी Published by: खुशबू गोयल Updated Tue, 20 Oct 2020 01:25 PM IST
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Aprajita: success story of Suman Sharma, Who Opened School for Disable Children
सुमन शर्मा - फोटो : अमर उजाला
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पति ने नेत्रहीन नानी की समस्या देखी तो दिव्यांगों की सेवा करने की ठानी। पति के इस जुनून को देख सुमन शर्मा ने न केवल शादी के बाद स्नातक, स्नातकोत्तर के अलावा विशेष बीएड की बल्कि दिव्यांग बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा के लिए एक निजी स्कूल ही खोल दिया। जहां फिलहाल 50 दिव्यांग बच्चे पढ़ाई कर रहे है। पत्नी का इस कार्य में शिक्षक विजय शर्मा ने भी सहयोग किया। हम बात कर रहे है आस्था स्पेशल स्कूल की संचालिका एवं प्रिंसिपल सुमन शर्मा की।
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सुमन शर्मा की भिवानी वासी शिक्षक विजय शर्मा से शादी हुई। उस समय वह महज 10वीं तक पढ़ी थी। उनके पति विजय शर्मा शुरूआत से ही दिव्यांग बच्चों के लिए काम करते थे। वह बाढड़ा के एक सरकारी स्कूल में विशेष शिक्षक है। पति से प्रेरित होकर सुमन ने भी दिव्यांग बच्चों के लिए कुछ विशेष करने की ठानी। इसी कड़ी में शादी के बाद पढ़ाई शुरू की।। 
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दिव्यांग बच्चों की पढ़ाने के लिए विशेष बीएड की
स्कूली पढ़ाई के अलावा स्नातक, स्नातकोत्तर की और फिर दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष बीएड की। पति के समक्ष दिव्यांग बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा के लिए स्कूल खोलने की इच्छा जताई तो विजय शर्मा कुछ सामाजिक संगठनों से संपर्क साधा। जिसके बाद फ्रेंड्स कॉलोनी में कम्यूनिटी सेंटर की जगह बच्चों को पढ़ाने के लिए मिल गई। पिछले दिनों समाजसेवी शिवनारायण शास्त्री ने भू-खंड मुहैया कराया तो अब नेताजी नगर में खुद का ही स्कूल बना लिया। जहां फिलहाल 50 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इनमें 10 नेत्रहीन है।

बच्चों को नहीं छोड़ती अकेले स्कूल

सुमन शर्मा बताती है कि दिव्यांग बच्चों की देखभाल एक मां बनकर करनी पड़ती है। अगर किसी जरूरी कार्य से स्कूल से बाहर जाना पड़े तो भी दो छोटे नेत्रहीन बच्चों को साथ ले जाना पड़ता है। सुमन बताती है कि बच्चों की सेवा में कोई कमी न आए, इसके लिए स्कूल और घर के काम को भी मैनेज किया। खुद के भी दो बच्चे है। जिनकी पढ़ाई का भी ध्यान रखती हूं।

लोगों का मिला सहयोग तो बढ़ते गए आगे
सुमन शर्मा के पति विजय शर्मा ने बताया कि सुमन ने दिव्यांग बच्चों की सेवा करने की उसकी इच्छा और सपने को पूरा किया है। सारी प्लानिंग और काम सुमन करती रही और मैं तो बस सहयोग ही करता रहा। इस कार्य में जिले के समाजसेवी लोगों का भी खूब सहयोग मिला।
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