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न रेट तय, न भत्तों का क्लेम: चुनावी ड्यूटी और सुरक्षा में चंडीगढ़ पुलिस को 15 करोड़ से ज्यादा का झटका

वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 22 Dec 2025 08:19 AM IST
सार

चंडीगढ़ पुलिस के जवानों को दूसरे राज्यों में चुनाव के दाैरान तैनात किया जाता है। लेकिन उनकी सेेवाओं के बदले उन्हें तय मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा।

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Chandigarh police suffer loss of over Rs 15 crore due to election duty and security
चंडीगढ़ पुलिस - फोटो : संवाद/फाइल
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विस्तार
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दूसरे राज्यों में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के लिए चंडीगढ़ पुलिस के जवान लगातार तैनात किए जाते रहे लेकिन उनकी सेवाओं के बदले मानदेय वसूलने में प्रशासनिक स्तर पर गंभीर लापरवाही सामने आई है। 

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ऑडिट रिपोर्ट में कड़ी आपत्ति के बावजूद न तो चुनावी ड्यूटी के रेट तय किए गए और न ही वर्षों से बकाया राशि की वसूली की गई। इसका नतीजा यह रहा कि केवल चुनावी ड्यूटी में ही 11 राज्यों पर चंडीगढ़ पुलिस का 9.78 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हो गया।

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अतिरिक्त सेवाओं पर सर्विस चार्ज वसूली अनिवार्य 

रिकॉर्ड के मुताबिक बीते छह वर्षों में 2614 पुलिसकर्मियों को विभिन्न राज्यों में चुनावी ड्यूटी पर भेजा गया लेकिन न प्रतिदिन का सर्विस चार्ज तय किया गया और न समय पर भुगतान का क्लेम भेजा गया। ऑडिट ने इसे गवर्नमेंट अकाउंटिंग रूल्स-1990 के क्लॉज-53 का उल्लंघन बताया है, जिसमें अतिरिक्त सेवाओं पर सर्विस चार्ज वसूली अनिवार्य है।

भत्तों का भी क्लेम नहीं 

चुनावी ड्यूटी में तैनात जवानों को मिलने वाले भत्तों का भी क्लेम नहीं किया गया। इस कारण 69.14 लाख रुपये के भत्ते अलग से बकाया हैं जबकि चुनाव आयोग ने भत्तों की दरें पहले से तय कर रखी हैं। इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइंस के अनुसार गजेटेड अधिकारियों को 2500 रुपये प्रतिदिन, सब-ऑर्डिनेट अधिकारियों को 2000 रुपये प्रतिदिन व अन्य रैंक के जवानों को तय दरों पर भत्ता दिया जाना था। इसके बावजूद 15 दिन से अधिक की ड्यूटी के लिए निर्धारित साप्ताहिक दरों का भी क्लेम नहीं किया गया। ऑडिट ने चेताया है कि यदि समय रहते रेट तय कर बकाया वसूली नहीं की गई तो भविष्य में चंडीगढ़ पुलिस को इससे भी बड़ा वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।

2010 के बाद मानदेय में संशोधन नहीं, ऑडिट ने जताई चिंता

ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि अतिरिक्त सेवाओं का मानदेय वर्ष 2010 में तय किया गया था जिसे आज तक संशोधित नहीं किया गया। फिलहाल 1500 रुपये प्रति पांच घंटे का मानदेय लागू है। ऑडिट के अनुसार कई संस्थानों ने आठ घंटे तक सुरक्षा ली लेकिन भुगतान केवल पांच घंटे का किया गया। इससे पुलिस को सीधा आर्थिक नुकसान हुआ। साल 2011-12 में किंग्स 11 पंजाब को दी गई सुरक्षा का 1.15 करोड़ रुपये का भुगतान भी अब तक लंबित है।

चुनावी ड्यूटी में यूपी-हरियाणा सबसे बड़े देनदार

सबसे अधिक बकाया उत्तर प्रदेश पर है, जहां 568 जवानों की ड्यूटी के एवज में 4.26 करोड़ रुपये से ज्यादा अटके हैं। दूसरे नंबर पर हरियाणा है, जिस पर 1.42 करोड़ रुपये बकाया हैं। अन्य राज्यों पर भी लाखों रुपये लंबित हैं। बकाया इस प्रकार है...
दिल्ली: 221 जवान – 51,00,961 रुपये
पुडुचेरी: 363 जवान – 62,68,089 रुपये
पंजाब: 361 जवान – 55,44,139 रुपये
गुजरात: 181 जवान – 64,75,762 रुपये
कर्नाटक: 121 जवान – 47,65,158 रुपये
त्रिपुरा: 121 जवान – 64,54,760 रुपये
पश्चिम बंगाल: 101 जवान – 34,33,348 रुपये
मध्य प्रदेश: 121 जवान – 66,17,615 रुपये

बैंक सुरक्षा दी, पर एडवांस भुगतान नहीं लिया

ऑडिट के अनुसार बैंकों को सुरक्षा देने में भी नियमों की अनदेखी हुई। बिना एडवांस भुगतान के सुरक्षा दी गई, जिससे 2019 से अब तक आरबीआई समेत सरकारी-निजी बैंकों पर 4.10 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हो गया। बकाया इस प्रकार है...

बैंकवार बकाया
एचडीएफसी बैंक: 19,61,892 रुपये
पंजाब एंड सिंध बैंक: 29,27,602 रुपये
बैंक ऑफ बड़ौदा: 40,10,541 रुपये
सेंट्रल बैंक: 4,67,195 रुपये
एक्सिस बैंक: 66,79,944 रुपये
आरबीआई: 1,02,45,297 रुपये
इंडियन बैंक (इलाहाबाद बैंक): 1,32,86,574 रुपये
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: 15,01,955 रुपये


मामले की जांच करवाकर ही इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी दे पाऊंगा। -पुष्पेंद्र कुमार, आईजी, चंडीगढ़

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