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अच्छी खबर: ट्राइसिटी बनेगा सेना उपकरण निर्माण का हब, नार्दर्न रीजन के 100 उद्यमियों ने दिखाई रुचि
अरविंद बाजपेयी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 22 Dec 2025 09:40 AM IST
सार
पूर्व चेयरमैन सीआईआई चंडीगढ़ मनीष गुप्ता ने बताया कि हाल ही में आयोजित कार्यक्रम में करीब 100 कंपनियों ने इस क्षेत्र में रुचि दिखाई। उनके अनुसार यदि संसाधन और सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो ट्राइसिटी में सेना के उपकरण निर्माण में नई कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी।
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Indian Army
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स (Adobe Stock)
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विस्तार
भारतीय सेना में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के पार्ट्स अब नार्दर्न रीजन के उद्यमियों की ओर से बनाए जाने की संभावना है। चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला की कुछ इंडस्ट्री ने पहले ही सेना को ग्राउंड सपोर्ट इक्युपमेंट्स की सप्लाई शुरू कर दी है।
सेना के एक अधिकारी के अनुसार, फिलहाल अधिकांश प्रोडक्शन साउथ में होता है, जबकि ट्राइसिटी में औसतन 15-20 कंपनियां सेना के उपकरण बना बना रही हैं। उद्यमियों का कहना है कि रॉ मैटेरियल की उपलब्धता और इको जोन बनाने से उत्पादन का माहौल बेहतर होगा।
उद्यमियों ने यह भी कहा कि प्रोडक्शन के साथ टेस्टिंग लैब की जरूरत है जिससे उपकरणों की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाकर युवाओं को उपकरण निर्माण की ट्रेनिंग दी जाएगी। मौजूदा इंस्टीट्यूट के छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से तैयार करने का भी प्रस्ताव है।
पूर्व चेयरमैन सीआईआई चंडीगढ़ मनीष गुप्ता ने बताया कि हाल ही में आयोजित कार्यक्रम में करीब 100 कंपनियों ने इस क्षेत्र में रुचि दिखाई। उनके अनुसार यदि संसाधन और सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो ट्राइसिटी में सेना के उपकरण निर्माण में नई कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी और स्थानीय उद्योग को मजबूती मिलेगी। इस योजना के लागू होने से न केवल सेना को लाभ मिलेगा बल्कि स्थानीय उद्योग, युवाओं को रोजगार और ट्रेनिंग भी सुनिश्चित होगी।
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सेना के एक अधिकारी के अनुसार, फिलहाल अधिकांश प्रोडक्शन साउथ में होता है, जबकि ट्राइसिटी में औसतन 15-20 कंपनियां सेना के उपकरण बना बना रही हैं। उद्यमियों का कहना है कि रॉ मैटेरियल की उपलब्धता और इको जोन बनाने से उत्पादन का माहौल बेहतर होगा।
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उद्यमियों ने यह भी कहा कि प्रोडक्शन के साथ टेस्टिंग लैब की जरूरत है जिससे उपकरणों की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाकर युवाओं को उपकरण निर्माण की ट्रेनिंग दी जाएगी। मौजूदा इंस्टीट्यूट के छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से तैयार करने का भी प्रस्ताव है।
पूर्व चेयरमैन सीआईआई चंडीगढ़ मनीष गुप्ता ने बताया कि हाल ही में आयोजित कार्यक्रम में करीब 100 कंपनियों ने इस क्षेत्र में रुचि दिखाई। उनके अनुसार यदि संसाधन और सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो ट्राइसिटी में सेना के उपकरण निर्माण में नई कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी और स्थानीय उद्योग को मजबूती मिलेगी। इस योजना के लागू होने से न केवल सेना को लाभ मिलेगा बल्कि स्थानीय उद्योग, युवाओं को रोजगार और ट्रेनिंग भी सुनिश्चित होगी।