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एक और बोझ: चंडीगढ़ में ग्रीन सेस लगाने की तैयारी, प्रशासन की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के ड्राफ्ट में प्रावधान

रिशु राज सिंह, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 12 Feb 2022 11:22 AM IST
सार

यूटी प्रशासन की योजना के अनुसार ग्रीन सेस से जो भी राशि एकत्रित होगी, उनका इस्तेमाल शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और ईवी बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए किया जाएगा। इसके लिए एक यूटी ईवी फंड बनाया जाएगा।

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Chandigarh UT administration is preparing to impose green cess
चंडीगढ़ में ग्रीन सेस लगाने की तैयारी में प्रशासन। - फोटो : प्रतीकात्मक
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चंडीगढ़ के लोगों को कोविड सेस के बाद अब एक और सेस देना पड़ सकता है, क्योंकि यूटी प्रशासन ग्रीन सेस लगाने की तैयारी में है। यह हरियाली को बचाने और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए लगाया जाएगा। ग्रीन सेस लोगों को बिजली के बिल, पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों व पारंपरिक ईंधन पर चुकाना होगा।

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यूटी प्रशासन की योजना के अनुसार ग्रीन सेस से जो भी राशि एकत्रित होगी, उनका इस्तेमाल शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और ईवी बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए किया जाएगा। इसके लिए एक यूटी ईवी फंड बनाया जाएगा। इस फंड में चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से सालाना बजट में से भी पैसा दिया जाएगा। इसके अलावा ईवी फंड में ग्रीन सेस में भी पैसा एकत्रित होगा। ये प्रावधान यूटी प्रशासन की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के ड्राफ्ट में किया गया है, जिसे जल्द लागू किया जाएगा। ये ग्रीन सेस कितना होगा, इस पर नीति में कहा गया है कि इसे चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसाइटी (क्रेस्ट) की ओर से अलग से अधिसूचित किया जाएगा। जानकारों का कहना है कि चंडीगढ़ निवासी कई तरह से टैक्स के बोझ से दबे हुए हैं, ऐसे में नए-नए टैक्स को लागू करने प्रशासन के अधिकारी जनता को परेशान कर रहे हैं। 

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बिजली बिल में पहले से ही लग रहे 6 तरह के टैक्स

महंगाई की मार झेल रही जनता पर बिजली और पानी के बिल में कई तरह के टैक्स लगाकर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। सिर्फ बिजली के बिल पर खपत चार्जेस के अलावा कुल छह तरह के टैक्स लगाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ, पानी के बिल में गारबेज चार्जेस से लोग परेशान हैं। वसूली का आलम यह है कि अब वास्तविक बिल से ज्यादा टैक्स हो जाता है। बिजली सस्ती होने का हवाला देकर बिजली बिल पर नगर निगम (एमसी) टैक्स, गो सेस, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी जैसे टैक्स वसूले जा रहे हैं। बिजली बिल में सिंगल फेज मीटर का 20 रुपये और थ्री फेज मीटर का 50 रुपये मीटर रेंटल के नाम पर हर महीने वसूला जा रहा है। घरेलू कनेक्शन पर प्रति यूनिट 9 पैसे और व्यावसायिक कनेक्शन पर प्रति यूनिट 11 पैसे इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बिल में जोड़ा जाता है। इसके अलावा 10 पैसे प्रति यूनिट नगर निगम (एमसी) टैक्स और दो पैसे प्रति यूनिट गो सेस वसूले जा रहे हैं। फिक्स चार्जेस अलग हैं।

कोविड सेस से आए 26 करोड़

वर्ष 2020 में कोरोना आया तो पहली लहर के बाद यूटी प्रशासन ने कोविड सेस लागू किया, जो 31 दिसंबर 2021 तक लागू रहा। इस दौरान करीब 26 करोड़ की कमाई कोविड सेस से हुई। कोविड सेस से होने वाली कमाई नगर निगम के पास जमा होती है। हाल ही में नगर निगम ने कोविड सेस से 10 करोड़ रुपये की राशि स्वास्थ्य विभाग को दी है, जबकि बाकी बचे 16 में से दो करोड़ रुपये की राशि नगर निगम ने मास्क और कोरोना से बचाव के लिए खर्च किए हैं।

 

जो लोग प्रदूषण फैलाएंगे, उन्हें ग्रीन सेस देना होगा और जो लोग ईवी अपनाएंगे, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। ये नीति का हिस्सा नहीं होगा। इसे अलग से बाद में जारी किया जाएगा। ग्रीन सेस कितना होगा और किस-किस पर लगाया जाएगा, इसे लेकर फैसला लिया जाना बाकी है। ईवी यूटी फंड में ये जमा होगा, उन पैसों से शहर में ईवी इंफ्रास्ट्रचर स्थापित किया जाएगा।   - देबेंद्र दलाई, सीईओ, क्रेस्ट

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