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उपभोक्ता आयोग का फैसला... एक ही गाड़ी दो लोगों को बेच डाली, अब लौटानी होगी पूरी कीमत
रिशु राज सिंह, चंडीगढ़
Published by: खुशबू गोयल
Updated Wed, 21 Oct 2020 11:18 AM IST
सार
- उपभोक्ता आयोग ने पंचकूला सेक्टर-17 निवासी ग्राहक के हक में सुनाया फैसला
- कार की पूरी कीमत लौटाने के आदेश, साथ ही 65 हजार का हर्जाना भी लगाया
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कंज्यूमर कोर्ट
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विस्तार
एक गाड़ी को दो लोगों को बेचने के मामले में सेक्टर-19 स्थित उपभोक्ता आयोग ने औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 के सीएमपीएल मोटर्स को सेवा में कोताही का दोषी पाया है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि जब पहले ही गाड़ी को बेच दिया गया। उसे टेंपरेरी नंबर भी जारी हुआ। इंश्योरेंस भी करा लिया गया तो उसे दोबारा किसी और को क्यों बेचा गया।
आयोग ने सीएमपीएल मोटर्स पर इस लापरवाही के लिए 65 हजार का हर्जाना भी लगाया है। पंचकूला के सेक्टर-17 में रहने वाले अनिल कुमार ने चंडीगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 स्थित सीएमपीएल मोटर्स, टाटा मोटर्स और पंचकूला के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में शिकायत दी।
अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी भर की कमाई से 31 मार्च 2016 को टाटा ऐस मेगा गाड़ी खरीदी। इसके लिए उन्होंने 4 लाख 35 हजार चुकाए। डिजिटल मीटर और कोटिंग के लिए अलग से 21 हजार रुपये खर्च किए। इसके बाद उन्होंने गाड़ी का पंजीकरण भी करवाया।
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आयोग ने सीएमपीएल मोटर्स पर इस लापरवाही के लिए 65 हजार का हर्जाना भी लगाया है। पंचकूला के सेक्टर-17 में रहने वाले अनिल कुमार ने चंडीगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 स्थित सीएमपीएल मोटर्स, टाटा मोटर्स और पंचकूला के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में शिकायत दी।
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अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी भर की कमाई से 31 मार्च 2016 को टाटा ऐस मेगा गाड़ी खरीदी। इसके लिए उन्होंने 4 लाख 35 हजार चुकाए। डिजिटल मीटर और कोटिंग के लिए अलग से 21 हजार रुपये खर्च किए। इसके बाद उन्होंने गाड़ी का पंजीकरण भी करवाया।
ऐसे की गई बिक्री और खरीदारी
शिकायतकर्ता ने कहा कि शुरू में ही गाड़ी में कम पिकअप और जल्दी गर्म होने की समस्या दिखाई देने लगी। इसके लिए सीएमपीएल मोटर्स के वर्कशॉप में कई बार गए और उन्हें अपनी इस समस्या से अवगत कराया। हालांकि उनकी समस्या हल नहीं हुई। गाड़ी में समस्या खरीदने के तीन महीने बाद ही आनी शुरू हो गई और लगातार जारी रही।
ज्यादा समस्या होने के बाद 21 अगस्त 2016 को वह गाड़ी को फिर वर्कशॉप ले गए, जहां इंजन को खोला गया और उन्हें गाड़ी को वर्कशॉप में छोड़ने को कहा गया। इसके बाद वह 31 अगस्त को गाड़ी वापस लेकर गए। अगले दिन ही फिर गाड़ी में समस्या आ गई। वह फिर उसे वर्कशॉप लेकर गए और कंपनी के कहने पर कुछ दिनों के लिए गाड़ी को वहीं छोड़ दिया।
इस दौरान उन्हें गाड़ी में कुछ कागज दिखे। उन्होंने कागज को पढ़ा तो वह हैरान रह गए। उन्होंने पाया कि 28 फरवरी 2016 को ही वह गाड़ी डेराबस्सी के हरदीप सिंह को बेची जा चुकी थी और इसके लिए उन्हें टेंपरेरी नंबर भी जारी किया गया था, जबकि वही गाड़ी उन्हें भी एक महीने बाद बेच दी गई।
इस बारे में उन्होंने सीएमपीएल मोटर्स के अधिकारियों से पूछताछ की लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद ही उन्होंने कंपनी पर सेवा में कोताही का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया।
ज्यादा समस्या होने के बाद 21 अगस्त 2016 को वह गाड़ी को फिर वर्कशॉप ले गए, जहां इंजन को खोला गया और उन्हें गाड़ी को वर्कशॉप में छोड़ने को कहा गया। इसके बाद वह 31 अगस्त को गाड़ी वापस लेकर गए। अगले दिन ही फिर गाड़ी में समस्या आ गई। वह फिर उसे वर्कशॉप लेकर गए और कंपनी के कहने पर कुछ दिनों के लिए गाड़ी को वहीं छोड़ दिया।
इस दौरान उन्हें गाड़ी में कुछ कागज दिखे। उन्होंने कागज को पढ़ा तो वह हैरान रह गए। उन्होंने पाया कि 28 फरवरी 2016 को ही वह गाड़ी डेराबस्सी के हरदीप सिंह को बेची जा चुकी थी और इसके लिए उन्हें टेंपरेरी नंबर भी जारी किया गया था, जबकि वही गाड़ी उन्हें भी एक महीने बाद बेच दी गई।
इस बारे में उन्होंने सीएमपीएल मोटर्स के अधिकारियों से पूछताछ की लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद ही उन्होंने कंपनी पर सेवा में कोताही का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया।
गाड़ी पहले से बिकी थी तो शिकायतकर्ता को क्यों नहीं बताया गया
सीएमपीएल मोटर्स ने शिकायतकर्ता की तरफ से लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया गया। कहा गया कि गाड़ी में कुछ समस्या आई थी, जिसे समय पर ठीक कर दिया गया। हालांकि उन्होंने माना कि डेराबस्सी के हरदीप सिंह उस गाड़ी को खरीदने के इच्छुक थे लेकिन आखिरी मौके पर उन्होंने दूसरी गाड़ी खरीदने का मन बना लिया।
कंपनी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करने की मांग की। उपभोक्ता आयोग ने पाया कि गाड़ी हरदीप सिंह को बेची गई थी और उन्हें टेंपरेरी नंबर भी आरएलए की तरफ से जारी किया गया था। इसके अलावा आईसीआईसीआई लोंबार्ड द्वारा उस गाड़ी का इंश्योरेंस भी किया गया था। कंपनी को पता था कि वह गाड़ी पहले ही बेची जा चुकी है, इसके बाद उन्होंने दूसरे व्यक्ति को बेच दिया और उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं दी।
आयोग ने जारी किए ये आदेश
दोनों पक्षों की सभी दलीलों को सुनने के बाद उपभोक्ता कमीशन ने सीएमपीएल मोटर्स को सेवा में कोताही का दोषी पाया। हालांकि अन्य दो यानी टाटा मोटर्स और पंचकूला के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के खिलाफ दायर केस को खारिज कर दिया। सीएमपीएल मोटर्स को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को गाड़ी की पूरी रकम 4 लाख 35 हजार और अन्य 21 हजार रुपये वापस करें।
इसके अलावा मानसिक पीड़ा और शारीरिक प्रताड़ना झेलने के लिए 50 हजार रुपये मुआवजा और मुकदमे के खर्च के रूप में भी 15 हजार रुपये देने के आदेश दिए। आयोग ने स्पष्ट किया कि आदेशों की पालना 30 दिनों के अंदर की जानी चाहिए, नहीं तो रकम पर 9 प्रतिशत का ब्याज भी कंपनी को देना होगा।
कंपनी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करने की मांग की। उपभोक्ता आयोग ने पाया कि गाड़ी हरदीप सिंह को बेची गई थी और उन्हें टेंपरेरी नंबर भी आरएलए की तरफ से जारी किया गया था। इसके अलावा आईसीआईसीआई लोंबार्ड द्वारा उस गाड़ी का इंश्योरेंस भी किया गया था। कंपनी को पता था कि वह गाड़ी पहले ही बेची जा चुकी है, इसके बाद उन्होंने दूसरे व्यक्ति को बेच दिया और उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं दी।
आयोग ने जारी किए ये आदेश
दोनों पक्षों की सभी दलीलों को सुनने के बाद उपभोक्ता कमीशन ने सीएमपीएल मोटर्स को सेवा में कोताही का दोषी पाया। हालांकि अन्य दो यानी टाटा मोटर्स और पंचकूला के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के खिलाफ दायर केस को खारिज कर दिया। सीएमपीएल मोटर्स को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को गाड़ी की पूरी रकम 4 लाख 35 हजार और अन्य 21 हजार रुपये वापस करें।
इसके अलावा मानसिक पीड़ा और शारीरिक प्रताड़ना झेलने के लिए 50 हजार रुपये मुआवजा और मुकदमे के खर्च के रूप में भी 15 हजार रुपये देने के आदेश दिए। आयोग ने स्पष्ट किया कि आदेशों की पालना 30 दिनों के अंदर की जानी चाहिए, नहीं तो रकम पर 9 प्रतिशत का ब्याज भी कंपनी को देना होगा।