{"_id":"65694b6ca796a9394c056377","slug":"deaths-due-to-aids-are-decreasing-in-haryana-2023-12-01","type":"story","status":"publish","title_hn":"Haryana: हरियाणा में घट रही एड्स से होने वाली मौतें, नियमित इलाज से बढ़ने लगी मरीजों की उम्र","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Haryana: हरियाणा में घट रही एड्स से होने वाली मौतें, नियमित इलाज से बढ़ने लगी मरीजों की उम्र
आशीष वर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 01 Dec 2023 08:26 AM IST
सार
राज्य में बढ़ते नए केसों के संबंध में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. मनीष बंसल कहते हैं कि लोगों में अब जागरूकता बढ़ी है। लोग खुद से जांच के लिए सेंटरों में पहुंच रहे हैं। हर साल जांचों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इस वजह से नए केस सामने आ रहे हैं।
विज्ञापन
एचआईवी एड्स
- फोटो : सोशल मीडिया
विज्ञापन
विस्तार
हरियाणा में एड्स मरीजों की दो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। पहला, राज्य में साल दर साल नए केस बढ़ रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि जांचें ज्यादा हो रही हैं। साल 2020-21 में 3332, 21-22 में 4273, 22-23 में 6345 नए मरीज सामने आए।
वहीं, साल 2023-24 में अक्तूबर महीने तक 4266 नए केस सामने आ चुके हैं। दूसरा, एड्स के मरीजों में अब इलाज कराने की झिझक टूटने लगी है। नियमित दवा खाने और जांच से राज्य में एड्स से होने वाली मौतों पर अंकुश लगा है।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के मुताबिक साल 2010 में एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा 2059 था, जो साल 2020 में 610 और साल 2022 में घटकर 375 तक पहुंच गया। यानी एक दशक में एड्स से होने वाली मौतों में 0.05 फीसदी से 0.01 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई।
लोगों में बढ़ रही जागरूकता
राज्य में बढ़ते नए केसों के संबंध में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. मनीष बंसल कहते हैं कि लोगों में अब जागरूकता बढ़ी है। लोग खुद से जांच के लिए सेंटरों में पहुंच रहे हैं। हर साल जांचों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इस वजह से नए केस सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों से नशा लेने वालों में एड्स बढ़ा है। इसकी वजह यही है कि एक सिरिंज से कई लोग नशे का सेवन कर रहे हैं। इन लोगों की जांच के लिए गांव-गांव कैंप भी लगाए जाते हैं, मगर कैंपों में भी ये लोग जांच के लिए नहीं आते। इसलिए अब लोगों को एड्स के साथ नशे के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्राथमिकता एड्स के प्रसार को रोकना है। प्रेग्नेंट महिलाओं के पीड़ित होने से यह बीमारी बच्चों में होती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं की स्क्रीनिंग की जा रही है। इससे उनके होने वाले बच्चों में एड्स का प्रसार रोकने में मदद मिलती है। साल 2022-23 में स्क्रीनिंग की वजह से 655 प्रेग्नेंट महिलाओं में एड्स की पुष्टि हुई। उनका समय पर इलाज हुआ। इससे सिर्फ आठ बच्चों में बीमारी पाई गई।
इस कदम से घटी मौतें
राज्य सरकार उन एड्स मरीजों को हर महीने 2250 रुपये भत्ता देती है, जिनकी पारवारिक आय एक लाख 80 हजार रुपये से कम है। यह भत्ता उन्हीं लोगों को मिलता है, जो नियमित इलाज करवाते हैं। इससे लोगों को एक प्रोत्साहन मिला। इस योजना का एक असर यह भी देखने को मिला कि राज्य के जो लोग चंडीगढ़ या दिल्ली में इलाज करवा रहे थे, वह अब दोबारा से हरियाणा में अपना इलाज करवाने लगे हैं। नियमित इलाज की वजह से लोगों में बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ी है। इससे उनकी आयु बढ़ी है और मौतें कम हो रही हैं। अब दवाइयां भी काफी बेहतर हुई हैं। बंसल कहते हैं कि यदि किसी को बीमारी है तो वह उसका इलाज जरूर करवाएं।
एड्स मरीजों के लिए बड़ी राहत
डा. बंसल ने बताया कि राज्य सरकार ने भत्ते के लिए मार्च तक का 40 करोड़ का बजट पास कर दिया है। कुछ ही दिनों में यह बजट हर जिले में भेज दिया जाएगा। राज्य में करीब आठ हजार लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज में भी खोले गए एआरटी सेंटर
पूरे हरियाणा में पहले कुल 16 एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी) थे। अब सरकार ने राज्य के सभी 11 मेडिकल कॉलेज में भी एआरटी सेंटर खोल दिए हैं। राज्य में 104 आईसीटीसी सेंटर और 542 एफआईसीटीसी सेंटर हैं। इन सेंटरों में मरीज जाकर अपनी जांच करवा सकते हैं। इसके अलावा राज्य की ओर से हाईरिस्क आबादी और सामान्य नागरिकों के लिए समय-समय पर कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
साल जांच मरीज
20-21 1024698 3332
21-22 1297900 4273
22-23 1665770 6345
23-24 (अक्तूबर) 919718 4266
Trending Videos
वहीं, साल 2023-24 में अक्तूबर महीने तक 4266 नए केस सामने आ चुके हैं। दूसरा, एड्स के मरीजों में अब इलाज कराने की झिझक टूटने लगी है। नियमित दवा खाने और जांच से राज्य में एड्स से होने वाली मौतों पर अंकुश लगा है।
विज्ञापन
विज्ञापन
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के मुताबिक साल 2010 में एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा 2059 था, जो साल 2020 में 610 और साल 2022 में घटकर 375 तक पहुंच गया। यानी एक दशक में एड्स से होने वाली मौतों में 0.05 फीसदी से 0.01 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई।
लोगों में बढ़ रही जागरूकता
राज्य में बढ़ते नए केसों के संबंध में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. मनीष बंसल कहते हैं कि लोगों में अब जागरूकता बढ़ी है। लोग खुद से जांच के लिए सेंटरों में पहुंच रहे हैं। हर साल जांचों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इस वजह से नए केस सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों से नशा लेने वालों में एड्स बढ़ा है। इसकी वजह यही है कि एक सिरिंज से कई लोग नशे का सेवन कर रहे हैं। इन लोगों की जांच के लिए गांव-गांव कैंप भी लगाए जाते हैं, मगर कैंपों में भी ये लोग जांच के लिए नहीं आते। इसलिए अब लोगों को एड्स के साथ नशे के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्राथमिकता एड्स के प्रसार को रोकना है। प्रेग्नेंट महिलाओं के पीड़ित होने से यह बीमारी बच्चों में होती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं की स्क्रीनिंग की जा रही है। इससे उनके होने वाले बच्चों में एड्स का प्रसार रोकने में मदद मिलती है। साल 2022-23 में स्क्रीनिंग की वजह से 655 प्रेग्नेंट महिलाओं में एड्स की पुष्टि हुई। उनका समय पर इलाज हुआ। इससे सिर्फ आठ बच्चों में बीमारी पाई गई।
इस कदम से घटी मौतें
राज्य सरकार उन एड्स मरीजों को हर महीने 2250 रुपये भत्ता देती है, जिनकी पारवारिक आय एक लाख 80 हजार रुपये से कम है। यह भत्ता उन्हीं लोगों को मिलता है, जो नियमित इलाज करवाते हैं। इससे लोगों को एक प्रोत्साहन मिला। इस योजना का एक असर यह भी देखने को मिला कि राज्य के जो लोग चंडीगढ़ या दिल्ली में इलाज करवा रहे थे, वह अब दोबारा से हरियाणा में अपना इलाज करवाने लगे हैं। नियमित इलाज की वजह से लोगों में बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ी है। इससे उनकी आयु बढ़ी है और मौतें कम हो रही हैं। अब दवाइयां भी काफी बेहतर हुई हैं। बंसल कहते हैं कि यदि किसी को बीमारी है तो वह उसका इलाज जरूर करवाएं।
एड्स मरीजों के लिए बड़ी राहत
डा. बंसल ने बताया कि राज्य सरकार ने भत्ते के लिए मार्च तक का 40 करोड़ का बजट पास कर दिया है। कुछ ही दिनों में यह बजट हर जिले में भेज दिया जाएगा। राज्य में करीब आठ हजार लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज में भी खोले गए एआरटी सेंटर
पूरे हरियाणा में पहले कुल 16 एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी) थे। अब सरकार ने राज्य के सभी 11 मेडिकल कॉलेज में भी एआरटी सेंटर खोल दिए हैं। राज्य में 104 आईसीटीसी सेंटर और 542 एफआईसीटीसी सेंटर हैं। इन सेंटरों में मरीज जाकर अपनी जांच करवा सकते हैं। इसके अलावा राज्य की ओर से हाईरिस्क आबादी और सामान्य नागरिकों के लिए समय-समय पर कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
साल जांच मरीज
20-21 1024698 3332
21-22 1297900 4273
22-23 1665770 6345
23-24 (अक्तूबर) 919718 4266