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ITBP की पहली मेडिकल रिस्पांडर टीम तैयार, स्वास्थ्य सेवाएं कैसे देनी हैं... सिखाए जा रहे तरीके
मोहित धुपड़, चंडीगढ़
Published by: खुशबू गोयल
Updated Tue, 20 Oct 2020 01:02 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Social media
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इंडो-तिब्बतन बार्डर पुलिस फोर्स की पहली मेडिकल रिस्पांडर (प्रथम चिकित्सा उपचारक) टीम तैयार हो गई है। इस टीम में सभी आईटीबीपी की महिला जवान हैं। उन्हें इस कोर्स की खास ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है। टीम की सभी महिला जवान हरियाणा व पंजाब समेत विभिन्न राज्यों से ताल्लुक रखती हैं।
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अब टीम के दूसरे बैच को भी खास ट्रेनिंग दी जा रही है। आईटीबीपी ने अपनी इस महिला जवानों की मेडिकल रिस्पांडर टीम को एक खास मकसद से तैयार किया गया है।आईटीबीपी के वेस्टर्न फ्रंटियर के अधीनस्थ नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग इन सर्च, रेस्क्यू एंड डिजास्टर रिस्पांस की देखरेख में महिला जवानों को ये ट्रेनिंग दी जा रही है।
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मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर (एमएफआर) के साथ-साथ इन महिला जवानों को कोलाप्सड स्ट्रेक्चर सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएसआर) का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईटीबीपी की पहली एमएफआर टीम तैयार हो गई है जो जल्द ही लोगों खासकर महिलाओं और बच्चों की मदद में जुटेगी। इसके साथ-साथ ही अगली टीम का प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है।
यह है मकसद और यह प्रशिक्षण ले रही महिला जवान
वैसे तो आईटीबीपी जवानों की नियुक्तियां पर्वतीय अंचलों के दुर्गम बार्डर इलाकों में होती हैं, लेकिन आईटीबीपी के फ्रंटियर मुख्यालय मैदानी इलाकों में भी मौजूद हैं। दरअसल, इन महिला जवानों को एक खास मकसद से यह प्रशिक्षण दिया गया है।
आईटीबीपी के एक अफसर के अनुसार कई बार आपदाओं व अन्य संकट की घड़ी में मुसीबत में फंसे लोगों को बचाने के दौरान वहां महिलाओं और छोटे बच्चों की सुरक्षा बड़ी जिम्मेवारी बन जाती है। खासकर उस स्थिति में जब कोई महिला या बच्चा बीमार हो। इसीलिए मुसीबत के समय महिलाओं और बच्चों को कैसे मौके पर ही चिकित्सीय सुविधा प्रदान करते हुए उनकी जान बचानी है, इस तरह की खास ट्रेनिंग महिला जवानों को दी गई है।
मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर कोर्स में महिला जवानों को उनकी जिम्मेदारियों, कर्तव्यों एवं रोगी का प्रारंभिक मूल्यांकन करना, जीवनघाती चोटों को पहचानना एवं उपचार करना, मौलिक जीवन आधारित आपदा एवं निराकरण का उपाय, दुर्घटना ग्रस्त रोगी की पट्टी करना, मरीजों को बैक बोर्ड पर लाने-ले जाने व वाहन में चढ़ाने का तरीका, रोगियों को ऑक्सीजन लगाना व बहु हताहत में से गंभीर मरीजों को छांटकर पहले उन्हें प्राथमिकता देना इत्यादि प्रशिक्षण सिखाया जा रहा है।
इसी तरह कोलाप्सड स्ट्रेक्चर सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएसआर) कोर्स में आपातकाल में काम आने वाले उपकरणों के बारे में जानकारी, उपयोग का तरीका एवं उनके रखरखाव की जानकारी, खोज एवं बचाव के तरीके, ध्वस्त ढांचे के भीतर घायल व्यक्ति का पता लगाना और उन तक पहुंचने का तरीका, उन्हें सुरक्षित बाहर निकालना व उन्हें उपचार देने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
आईटीबीपी के एक अफसर के अनुसार कई बार आपदाओं व अन्य संकट की घड़ी में मुसीबत में फंसे लोगों को बचाने के दौरान वहां महिलाओं और छोटे बच्चों की सुरक्षा बड़ी जिम्मेवारी बन जाती है। खासकर उस स्थिति में जब कोई महिला या बच्चा बीमार हो। इसीलिए मुसीबत के समय महिलाओं और बच्चों को कैसे मौके पर ही चिकित्सीय सुविधा प्रदान करते हुए उनकी जान बचानी है, इस तरह की खास ट्रेनिंग महिला जवानों को दी गई है।
मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर कोर्स में महिला जवानों को उनकी जिम्मेदारियों, कर्तव्यों एवं रोगी का प्रारंभिक मूल्यांकन करना, जीवनघाती चोटों को पहचानना एवं उपचार करना, मौलिक जीवन आधारित आपदा एवं निराकरण का उपाय, दुर्घटना ग्रस्त रोगी की पट्टी करना, मरीजों को बैक बोर्ड पर लाने-ले जाने व वाहन में चढ़ाने का तरीका, रोगियों को ऑक्सीजन लगाना व बहु हताहत में से गंभीर मरीजों को छांटकर पहले उन्हें प्राथमिकता देना इत्यादि प्रशिक्षण सिखाया जा रहा है।
इसी तरह कोलाप्सड स्ट्रेक्चर सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएसआर) कोर्स में आपातकाल में काम आने वाले उपकरणों के बारे में जानकारी, उपयोग का तरीका एवं उनके रखरखाव की जानकारी, खोज एवं बचाव के तरीके, ध्वस्त ढांचे के भीतर घायल व्यक्ति का पता लगाना और उन तक पहुंचने का तरीका, उन्हें सुरक्षित बाहर निकालना व उन्हें उपचार देने की ट्रेनिंग दी जा रही है।