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हरियाणाः निजी कंपनियों के ऐप का बहिष्कार, 50 हजार से ज्यादा शिक्षक मोबाइल से हटाएंगे
यशपाल शर्मा, चंडीगढ़
Published by: खुशबू गोयल
Updated Wed, 21 Oct 2020 11:31 AM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Social Media
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हरियाणा के सरकारी शिक्षकों ने स्कूल शिक्षा विभाग में निजी कंपनियों के ऐप का बहिष्कार शुरू कर दिया है। 50 हजार से ज्यादा शिक्षक आठ प्रमुख ऐप सहित अन्य को भी अपने मोबाइल से हटाने जा रहे हैं। लगभग दस हजार शिक्षकों ने इन्हें अभी तक हटा दिया है। डाटा सुरक्षा, निजी गोपनीयता लीक होने के डर व मानसिक तनाव के कारण शिक्षकों ने यह कदम उठाया है।
प्रदेश में प्रमुख शिक्षक संगठनों के एक लाख से ज्यादा शिक्षक सदस्य हैं। ये बीते माह विभाग से उच्च अधिकारियों के समक्ष ईमेल, फोन इत्यादि के जरिए निजी ऐप को लेकर विरोध दर्ज करा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। जिसे देखते हुए शिक्षक संगठनों ने तालमेल कमेटी (हसला, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ, हजरस, हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ) बनाकर ऐप को मोबाइल से हटाने की मुहिम शुरू कर दी है। इससे विभाग के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
चूंकि, बच्चों, स्कूल से जुड़े प्रशासनिक कार्य व शिक्षकों का प्रशिक्षण इत्यादि भी ऐप से ही कराया जा रहा है। तालमेल कमेटी के फैसले के अनुसार किसी शिक्षक के मोबाइल में निजी कंपनियों के विभागीय ऐप नहीं होंगे। न ही विभाग के दबाव में कोई शिक्षक भविष्य में इन ऐप को डाउनलोड करेगा। शिक्षक संगठनों का तर्क है कि विभाग अपनी प्रणाली विकसित करे, निजी कंपनियों के हाथ में वे अपना डाटा नहीं सौंपेंगे। निजी ऐप से शिक्षकों के मोबाइल अक्सर सही से काम नहीं करते, इंटरनेट डाटा के लिए कोई राशि नहीं मिलती, जेब से सारा खर्च करना पड़ रहा है। शिक्षकों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो रही है।
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प्रदेश में प्रमुख शिक्षक संगठनों के एक लाख से ज्यादा शिक्षक सदस्य हैं। ये बीते माह विभाग से उच्च अधिकारियों के समक्ष ईमेल, फोन इत्यादि के जरिए निजी ऐप को लेकर विरोध दर्ज करा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। जिसे देखते हुए शिक्षक संगठनों ने तालमेल कमेटी (हसला, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ, हजरस, हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ) बनाकर ऐप को मोबाइल से हटाने की मुहिम शुरू कर दी है। इससे विभाग के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
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चूंकि, बच्चों, स्कूल से जुड़े प्रशासनिक कार्य व शिक्षकों का प्रशिक्षण इत्यादि भी ऐप से ही कराया जा रहा है। तालमेल कमेटी के फैसले के अनुसार किसी शिक्षक के मोबाइल में निजी कंपनियों के विभागीय ऐप नहीं होंगे। न ही विभाग के दबाव में कोई शिक्षक भविष्य में इन ऐप को डाउनलोड करेगा। शिक्षक संगठनों का तर्क है कि विभाग अपनी प्रणाली विकसित करे, निजी कंपनियों के हाथ में वे अपना डाटा नहीं सौंपेंगे। निजी ऐप से शिक्षकों के मोबाइल अक्सर सही से काम नहीं करते, इंटरनेट डाटा के लिए कोई राशि नहीं मिलती, जेब से सारा खर्च करना पड़ रहा है। शिक्षकों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो रही है।
इन ऐप को हटा रहे शिक्षक
चॉकलेट, सक्षम कक्षा, सक्षम बैठक, सक्षम समीक्षा, निष्ठा, टेलीग्राम, अवसर और दीक्षा जैसे दर्जनों ऐप।
ये भी दिक्कतें
- सभी अध्यापक ऑनलाइन कार्य में दक्ष नहीं
- सभी जगह नेटवर्क ठीक प्रकार से कार्य नहीं करता
- अनेक शिक्षकों पर पहले से ही काम का ज्यादा बोझ
निष्ठा ऐप से 3 महीने का प्रशिक्षण, उसी आधार पर वेतन वृद्धि
निष्ठा ऐप से शिक्षकों का 3 महीने तक प्रशिक्षण चलेगा। उसके बाद विभाग इसी के आधार पर अध्यापकों की परीक्षा लेगा। जिसके परिणाम के आधार पर अध्यापकों की वार्षिक वेतन वृद्धि लगाने का निर्णय लिया जाएगा। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष सीएन भारती इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के ऑनलाइन प्रशिक्षण से अध्यापकों को कोई फायदा होने वाला नहीं है। अध्यापकों की ट्रेनिंग डाइट व बाइट्स में ही करवाई जानी चाहिए।
निजी कंपनियों को लुटाया जा रहा सरकारी पैसा
हसला अध्यक्ष दयानंद दलाल व हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मलिक ने कहा कि शिक्षा के बजट को बेवजह निजी कंपनियों से ऐप खरीद कर लुटवाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी कोरोना का बहाना बनाकर बातचीत करने से बच रहे हैं। विभाग सार्वजनिक करें कि कितने करोड़ रुपये खर्च कर ऐप खरीदे गए हैं।
हमारे पास किसी ने दर्ज नहीं कराया विरोध : महावीर सिंह
स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव महावीर सिंह का कहना है कि उनके पास न तो किसी संगठन न ही किसी तालमेल कमेटी ने अपना विरोध दर्ज करवाया। अपने स्तर पर शिक्षक कुछ भी करते रहें, विभाग ऐप के जरिए अभी कार्य करवा रहा है।
ये भी दिक्कतें
- सभी अध्यापक ऑनलाइन कार्य में दक्ष नहीं
- सभी जगह नेटवर्क ठीक प्रकार से कार्य नहीं करता
- अनेक शिक्षकों पर पहले से ही काम का ज्यादा बोझ
निष्ठा ऐप से 3 महीने का प्रशिक्षण, उसी आधार पर वेतन वृद्धि
निष्ठा ऐप से शिक्षकों का 3 महीने तक प्रशिक्षण चलेगा। उसके बाद विभाग इसी के आधार पर अध्यापकों की परीक्षा लेगा। जिसके परिणाम के आधार पर अध्यापकों की वार्षिक वेतन वृद्धि लगाने का निर्णय लिया जाएगा। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष सीएन भारती इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के ऑनलाइन प्रशिक्षण से अध्यापकों को कोई फायदा होने वाला नहीं है। अध्यापकों की ट्रेनिंग डाइट व बाइट्स में ही करवाई जानी चाहिए।
निजी कंपनियों को लुटाया जा रहा सरकारी पैसा
हसला अध्यक्ष दयानंद दलाल व हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मलिक ने कहा कि शिक्षा के बजट को बेवजह निजी कंपनियों से ऐप खरीद कर लुटवाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी कोरोना का बहाना बनाकर बातचीत करने से बच रहे हैं। विभाग सार्वजनिक करें कि कितने करोड़ रुपये खर्च कर ऐप खरीदे गए हैं।
हमारे पास किसी ने दर्ज नहीं कराया विरोध : महावीर सिंह
स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव महावीर सिंह का कहना है कि उनके पास न तो किसी संगठन न ही किसी तालमेल कमेटी ने अपना विरोध दर्ज करवाया। अपने स्तर पर शिक्षक कुछ भी करते रहें, विभाग ऐप के जरिए अभी कार्य करवा रहा है।