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हरियाणा : अभय के इस्तीफे से गरमाई सियासत, इनेलो समेटना चाह रही बिखरा कुनबा, जजपा के खेमे में भी हलचल
अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 13 Jan 2021 12:28 PM IST
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अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला।
- फोटो : फाइल फोटो
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हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर चल रही सियासत के बीच इस्तीफे का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेज कर ऐलानाबाद विधायक अभय सिंह चौटाला ने अपने भतीजे और सरकार में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। इस्तीफा देने के साथ ही एक बार फिर से ताऊ देवीलाल की विरासत का झंडा बुलंद करने में जुटे अभय अब इसके जरिए अपना बिखरा हुआ कुनबा बटोरने का प्रयास कर रहे हैं।
इस बीच जननायक जनता पार्टी के विधायकों ने किसान आंदोलन पर अलग सहमति बनाकर अपनी भावनाएं केंद्र के नेताओं को बताने के लिए कह दिया है। सूत्रों के मुताबिक अंदरखाते जजपा नेताओं ने यह कहा है कि धरने पर बैठे किसान भाजपा का वोट बैंक नहीं है, बल्कि वे हमारा वोट बैंक हैं। इसलिए केंद्र सरकार को भी इन सब बातों को ध्यान में रख कर निर्णय लेना होगा।
विरासत की ही जंग में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला अपने तरीके से ताऊ देवीलाल की विरासत को कैश करवाने में जुटे हैं और खुद को सक्रिय राजनीति में जिंदा रखने की कवायद में लगे हैं। परिवार में दो फाड़ होने के बाद हर स्तर पर यह प्रयास हुए कि किसी तरह से दोनों भाइयों अभय और अजय को एक साथ लाया जाए, लेकिन बात नहीं बनी और दस सीटें जीत कर दुष्यंत ने सरकार का दामन थाम लिया। अब अभय चौटाला जनता को यह बताने में लगे हैं कि जब पद छोड़ने की बात आई तो इनेलो ही उनके साथ है।
ताऊ देवीलाल का कुनबा
हरियाणा की राजनीति की धुरी कहे जाने वाले ताऊ देवीलाल के चार बेटे थे। उनमें जगदीश चौटाला और प्रताप सिंह चौटाला की मृत्यु हो चुकी है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला राजनीति में सक्रिय हैं। ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि रणजीत चौटाला कांग्रेस छोड़कर रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते और भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में बिजली व जेल मंत्री बने।
अब भी विधानसभा में देवीलाल की विरासत कायम
ताऊ देवीलाल के परिवार से हरियाणा विधानसभा में इस बार पांच सदस्य पहुंचे हैं। इनमें अभय चौटाला इनेलो से, दुष्यंत चौटाला जजपा से, उनकी माता नैना चौटाला जजपा से, चाचा रणजीत सिंह चौटाला रानियां से निर्दलीय और अमित सिहाग डबवाली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
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इस बीच जननायक जनता पार्टी के विधायकों ने किसान आंदोलन पर अलग सहमति बनाकर अपनी भावनाएं केंद्र के नेताओं को बताने के लिए कह दिया है। सूत्रों के मुताबिक अंदरखाते जजपा नेताओं ने यह कहा है कि धरने पर बैठे किसान भाजपा का वोट बैंक नहीं है, बल्कि वे हमारा वोट बैंक हैं। इसलिए केंद्र सरकार को भी इन सब बातों को ध्यान में रख कर निर्णय लेना होगा।
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विरासत की ही जंग में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला अपने तरीके से ताऊ देवीलाल की विरासत को कैश करवाने में जुटे हैं और खुद को सक्रिय राजनीति में जिंदा रखने की कवायद में लगे हैं। परिवार में दो फाड़ होने के बाद हर स्तर पर यह प्रयास हुए कि किसी तरह से दोनों भाइयों अभय और अजय को एक साथ लाया जाए, लेकिन बात नहीं बनी और दस सीटें जीत कर दुष्यंत ने सरकार का दामन थाम लिया। अब अभय चौटाला जनता को यह बताने में लगे हैं कि जब पद छोड़ने की बात आई तो इनेलो ही उनके साथ है।
ताऊ देवीलाल का कुनबा
हरियाणा की राजनीति की धुरी कहे जाने वाले ताऊ देवीलाल के चार बेटे थे। उनमें जगदीश चौटाला और प्रताप सिंह चौटाला की मृत्यु हो चुकी है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला राजनीति में सक्रिय हैं। ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि रणजीत चौटाला कांग्रेस छोड़कर रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते और भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में बिजली व जेल मंत्री बने।
अब भी विधानसभा में देवीलाल की विरासत कायम
ताऊ देवीलाल के परिवार से हरियाणा विधानसभा में इस बार पांच सदस्य पहुंचे हैं। इनमें अभय चौटाला इनेलो से, दुष्यंत चौटाला जजपा से, उनकी माता नैना चौटाला जजपा से, चाचा रणजीत सिंह चौटाला रानियां से निर्दलीय और अमित सिहाग डबवाली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते हैं।