{"_id":"5f8e6ccd8ebc3e91b537daf7","slug":"industries-struggling-with-crisis-due-to-punjab-farmers-rail-roko-agitation","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"पंजाब में किसान आंदोलन से अटका करोड़ों का माल, विदेशी कंपनियों की दो टूक, रद्द होगा कांट्रेक्ट","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
पंजाब में किसान आंदोलन से अटका करोड़ों का माल, विदेशी कंपनियों की दो टूक, रद्द होगा कांट्रेक्ट
वरिन्दर राणा, लुधियाना
Published by: खुशबू गोयल
Updated Tue, 20 Oct 2020 11:57 AM IST
सार
- कारोबारियों को डर, न निकला समाधान तो दोबारा बन जाएगी लॉकडाउन जैसी स्थिति
- लुधियाना से हर साल नौ हजार करोड़ रुपये के टेक्सटाइल उत्पाद होते हैं निर्यात
- भारत को छोड़ दूसरे देशों का रुख कर सकती है विदेशी कंपनियां
विज्ञापन
रेलवे ट्रैक पर डटे किसान
- फोटो : एएनआई
विज्ञापन
विस्तार
किसानों के रेल रोको आंदोलन ने कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कारोबारियों को डर है कि अगर आने वाले दिनों में इसका हल न निकला तो लुधियाना की इंडस्ट्री में एक बार फिर से लॉकडाउन की स्थिति आ सकती है। ट्रेन बंद होने के कारण लगभग तीन हजार करोड़ का माल अटक चुका है।
तैयार माल कंटेनर में बंद वेयर हाउस की खाक छान रहा है, वहीं उनके विदेशी ग्राहक माल न मिलने के चलते कांट्रेक्ट रद्द करने की बात कह रहे हैं। कारोबारियों की मांग है कि सरकार किसी भी तरह रेल मार्ग खुलवाने की कोशिश करे। औद्योगिक नगर लुधियाना से हर साल लगभग 40 हजार करोड़ का माल निर्यात व आयात होता है।
इसमें अकेले टेक्सटाइल का नौ हजार करोड़ रुपये का निर्यात है। किसान आंदोलन के चलते इस समय सिर्फ उत्पादन हो रहा है, लेकिन तैयार माल डंप होता जा रहा है। वेयर हाउस की क्षमता पूरी हो चुकी है। इसलिए अब कारोबारियों से और माल न भेजने के लिए कहा जा रहा है। जो कंटेनर कारोबारी को तुरंत मिलते थे, उनके लिए भी 15 से 20 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है।
अगर कुछ दिन हालात इसी तरह रहे तो यह तैयार माल ऐसे ही डंप होकर रह जाएगा। इसका खामियाजा कारोबारियों को भुगतना पड़ेगा।
Trending Videos
तैयार माल कंटेनर में बंद वेयर हाउस की खाक छान रहा है, वहीं उनके विदेशी ग्राहक माल न मिलने के चलते कांट्रेक्ट रद्द करने की बात कह रहे हैं। कारोबारियों की मांग है कि सरकार किसी भी तरह रेल मार्ग खुलवाने की कोशिश करे। औद्योगिक नगर लुधियाना से हर साल लगभग 40 हजार करोड़ का माल निर्यात व आयात होता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
इसमें अकेले टेक्सटाइल का नौ हजार करोड़ रुपये का निर्यात है। किसान आंदोलन के चलते इस समय सिर्फ उत्पादन हो रहा है, लेकिन तैयार माल डंप होता जा रहा है। वेयर हाउस की क्षमता पूरी हो चुकी है। इसलिए अब कारोबारियों से और माल न भेजने के लिए कहा जा रहा है। जो कंटेनर कारोबारी को तुरंत मिलते थे, उनके लिए भी 15 से 20 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है।
अगर कुछ दिन हालात इसी तरह रहे तो यह तैयार माल ऐसे ही डंप होकर रह जाएगा। इसका खामियाजा कारोबारियों को भुगतना पड़ेगा।
ऐसे हालत रहे तो शटडाउन ही करना पड़ेगा
कोरोना के बाद रेल रोको आंदोलन ने हमारा कारोबार बुरी तरह से प्रभावित किया है। बीते एक माह से होजरी उत्पादों के तीन कंटेनर डंप पड़े हैं। एक कंटेनर पोर्ट पर है, जबकि दो फैक्टरी में हैं। लगभग डेढ़ करोड़ का यह माल दुबई जाना है। अगर यही हालात रहे तो माल यहीं पड़ा-पड़ा बर्बाद हो जाएगा। जिस कंपनी का यह माल है, उसका साफ कहना है कि समय पर माल नहीं पहुंचा तो कांट्रेक्ट खत्म। कंपनी के साथ लेटर ऑफ क्रेडिट में पहले से शर्तें तय होती हैं। हमारे लिए मुसीबत है कि आगे उत्पाद कैसे तैयार करें। यही हालात रहे तो एक बार फिर से फैक्टिरयों को बंद करने की नौबत आ जाएगी। सरकार को इस तरह ध्यान देना चाहिए।
- हरीष केयरपाल, सचिव, निटवेयर क्लब, लुधियाना
20 दिन से वेयर हाउस में पड़े हैं 15 कंटेनर
मेरा ट्रैक्टर्स पार्ट्स तैयार करने का कारोबार है। विदेश की कंपनी के लिए पार्ट्स तैयार किए जा चुके हैं। तैयार माल के 15 कंटेनर इस समय वेयर हाउस में पड़े हैं। ट्रेनें न चलने के कारण माल यहीं पर डंप पड़ा है। दूसरी तरफ कंपनी का साफ कहना है कि माल समय पर नहीं मिला तो एग्रीमेंट खत्म समझा जाए। ऐसे में तो हमारी सड़क पर उतरने की नौबत आ जाएगी। इस माल को तैयार करने के लिए बैंक से कर्ज अलग से ले रखा है। सरकार इस मामले का जल्द से जल्द हल निकाले।
- राकेश कपूर, कारोबारी
तीन तरफ से उठा रहे हैं नुकसान
किसान अन्नदाता है, उसे अपने हक के लिए विरोध करने का अधिकार है लेकिन रेल रोको आंदोलन के कारण इस समय 250 करोड़ रुपये के तैयार साइकिल पार्ट्स डंप पड़े हैं। स्थानीय मार्केट की बात करें तो ट्रांसपोर्ट चालक भी माल नहीं ले रहे हैं, उन्हें भी डर है कि रास्ते में कुछ हो गया तो खामियाजा कौन भुगतेगा। ट्रेन बंद होने के कारण माल निर्यात नहीं हो रहा है, इसलिए कारोबारियों की वित्तीय हालत बिगड़ रही है। माल न पहुंचने के कारण पैसा नहीं आ रहा है। माल तैयार करने के लिए हर कारोबारी ने बैंक से लोन ले रखा है। तैयार माल का जीएसटी भी कारोबारी दे चुका है। सरकार ने अगर इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो कारोबारियों के लिए सड़कों पर उतरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
- डीसी चावला, अध्यक्ष, यूसीपीएमए
- हरीष केयरपाल, सचिव, निटवेयर क्लब, लुधियाना
20 दिन से वेयर हाउस में पड़े हैं 15 कंटेनर
मेरा ट्रैक्टर्स पार्ट्स तैयार करने का कारोबार है। विदेश की कंपनी के लिए पार्ट्स तैयार किए जा चुके हैं। तैयार माल के 15 कंटेनर इस समय वेयर हाउस में पड़े हैं। ट्रेनें न चलने के कारण माल यहीं पर डंप पड़ा है। दूसरी तरफ कंपनी का साफ कहना है कि माल समय पर नहीं मिला तो एग्रीमेंट खत्म समझा जाए। ऐसे में तो हमारी सड़क पर उतरने की नौबत आ जाएगी। इस माल को तैयार करने के लिए बैंक से कर्ज अलग से ले रखा है। सरकार इस मामले का जल्द से जल्द हल निकाले।
- राकेश कपूर, कारोबारी
तीन तरफ से उठा रहे हैं नुकसान
किसान अन्नदाता है, उसे अपने हक के लिए विरोध करने का अधिकार है लेकिन रेल रोको आंदोलन के कारण इस समय 250 करोड़ रुपये के तैयार साइकिल पार्ट्स डंप पड़े हैं। स्थानीय मार्केट की बात करें तो ट्रांसपोर्ट चालक भी माल नहीं ले रहे हैं, उन्हें भी डर है कि रास्ते में कुछ हो गया तो खामियाजा कौन भुगतेगा। ट्रेन बंद होने के कारण माल निर्यात नहीं हो रहा है, इसलिए कारोबारियों की वित्तीय हालत बिगड़ रही है। माल न पहुंचने के कारण पैसा नहीं आ रहा है। माल तैयार करने के लिए हर कारोबारी ने बैंक से लोन ले रखा है। तैयार माल का जीएसटी भी कारोबारी दे चुका है। सरकार ने अगर इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो कारोबारियों के लिए सड़कों पर उतरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
- डीसी चावला, अध्यक्ष, यूसीपीएमए