Haryana: यमुनानगर में शाही स्नान के बाद कपालमोचन मेला शुरू, पंजाब समेत कई राज्यों से पहुंचेंगे श्रद्धालु
कपालमोचन मेला 23 से 27 नवंबर तक लगेगा। श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर हर साल श्रद्धालु यहां सरोवरों में स्नान करते हैं। इस बार कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 26 नवंबर की रात 12 बजे शुरू होगा। हर साल करीब आठ लाख श्रद्धालु मेले में आते हैं। इनमें से 70 प्रतिशत श्रद्धालु केवल पंजाब से ही आते हैं।
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हरियाणा के यमुनानगर में गुरुवार से कपालमोचन मेला शुरु हो गया है। साधु-संतों ने परंपरागत तरीके से पंचभीखी शाही स्नान के साथ इसका शुभारंभ किया। विभिन्न जगहों से आए साधु-संतों ने मेला परिसर में ऋणमोचन, कपालमोचन व सूरजकुंड सरोवर में स्नान किया। साधु-संतों के बाद सरोवरों में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। संत समाज ने स्नान व पूजा अर्चना कर मेला सुख शांति से संपन्न होने की प्रार्थना की।
कपालमोचन मेला 23 से 27 नवंबर तक लगेगा। श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर हर साल श्रद्धालु यहां सरोवरों में स्नान करते हैं। इस बार कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 26 नवंबर की रात 12 बजे शुरू होगा। हर साल करीब आठ लाख श्रद्धालु मेले में आते हैं। इनमें से 70 प्रतिशत श्रद्धालु केवल पंजाब से ही आते हैं।
आयुक्त ने रिबन काट किया उद्घाटन
महर्षि वेद व्यास की कर्मस्थली तीर्थराज बिलासपुर में आयोजित कपालमोचन मेला 2023 का शुभारंभ व मेला क्षेत्र में लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन अंबाला मंडल की आयुक्त रेणू एस फुलिया ने रिबन काटकर किया। प्रदर्शनी स्थल में सरकारी विभागों समेत अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं ने स्टालों का भी निरीक्षण किया। रेणू एस फुलिया ने डीसी कैप्टन मनोज कुमार, एसपी गंगा राम पुनिया समेत मेला कपालमोचन के प्रबंधो से जुड़े अधिकारियों, श्राइन बोर्ड के सदस्यों समेत आयोजित हवन यज्ञ में आहुति डाली व मेला कपालमोचन के सफल आयोजन की कामना की।
शोभा यात्रा के साथ निकले साधु-संत
भारतीय रक्षा संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रामस्वरूप ब्रह्मचारी की अध्यक्षता में सबसे पहले गुरुवार सुबह खेड़ा मंदिर बिलासपुर पर चल रहे रामायण पाठ का समापन किया गया। उसके पश्चात हवन किया गया। इसमें साधु-संतों समेत कस्बा के गणमान्य लोगों ने पूर्ण आहुति डाली। खेड़ा मंदिर कमेटी सदस्य प्रधान अनिल कक्कड़, रविंद्र गोयल, शिवकुमार धमीजा, राकेश बेदी समेत क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने फूल मालाएं पहना कर संतों व महात्माओं का स्वागत किया। पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलित करके शोभा यात्रा में शामिल की गई। शाही यात्रा बैंड बाजों के खेड़ा मंदिर से शुरू होकर मेन बाजार छोटा बस स्टैंड, कपालमोचन मेला परिसर से होते हुए पालकी को उठाए साधु संत कपालमोचन सरोवर पर पहुंचे।
126 एकड़ में चार सेक्टरों में लग रहा मेला
मेला प्रशासक एवं एसडीएम बिलासपुर जसपाल सिंह गिल ने बताया कि मेला कपालमोचन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है और लाखों की संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस स्थल पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अपनी बुराइयों का त्याग करना चाहिए। कपालमोचन मेला क्षेत्र को चार सेक्टरों में बांटा गया है। बिजली, पानी, साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था की गई है और तीनों सरोवरों में स्वच्छ पानी भरा गया है। सुरक्षा के मध्य नजर पुलिस के 2000 कर्मचारी तैनात है। मेला के प्रत्येक क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। मेले में लगभग 4000 अधिकारी व कर्मचारियों को तैनात किया गया है।
सरोवरों में मिल जाता है साधुओं के तप का तेज
महंत रामस्वरूप ने बताया कि जिस तरह से कुंभ मेले की शुरुआत साधुओं के स्नान के बाद होती है, उसी तरह कपालमोचन मेले का शु्भारंभ साधु प्रवेश शाही स्नान के साथ किया जाता है। संत एकादशी पर पहला स्नान इसलिए करते हैं क्योंकि साधु अपनी जिंदगी में जो तप करते हैं, स्नान करने से उसकी शक्तियां सरोवरों के पानी में मिल जाती हैं। इससे इन सरोवरों में स्नान करने का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
कपालमोचन का न सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश में अपना अलग महत्व है। कपालमोचन ऋषि मुनि व तपस्वियों की धरती रही है। साधु संतों के अलावा भगवान शिव, श्री राम, पांडव व श्री गुरु नानक देव जी व गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां पर कदम रखकर इस धरती को पवित्र किया है।