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Karva Chauth 2024: करवा चौथ आज, चंडीगढ़ में ये है चांद निकलने का समय, मंदिरों में पूजा के लिए पहुंची सुहागिनें

संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़ Published by: अंकेश ठाकुर Updated Sun, 20 Oct 2024 05:21 PM IST
सार

Karva Chauth 2024: हर साल सुहागिनों को करवा चौथ के पर्व का बेहद इंतजार रहता है। करवा चौथ का यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मनाया जाता है।

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Karva Chauth 2024 moon timing in Chandigarh today
सेक्टर-28 मंदिर में पूजा करतीं सुहागिनें। - फोटो : अमर उजाला
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पति की दीर्घायु की कामना का पर्व करवा चौथ रविवार को मनाया जा रहा है। यह पर्व चंद्रोदयकालीन होता है।  सदियों से यह प्रथा चली आ रही है कि पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। हर साल सुहागिनों को करवा चौथ के पर्व का बेहद इंतजार रहता है। करवा चौथ का यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए करवा माता की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। वहीं, चंद्रदर्शन से पहले सुहागिनें शहर के विभिन्न मंदिरों में पूजा करने के लिए पहुंच रही हैं। 

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चंडीगढ़ में करवा चौथ पर (रविवार को) रात 7 बजकर 52 मिनट पर चंद्रोदय होगा। चंद्रमा के उदय होने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देने का विधान है।



यह बात सेक्टर 30 के श्री महाकाली मंदिर स्थित भृगु ज्योतिष केंद्र के प्रमुख पंडित बीरेंद्र नारायण मिश्र ने बताया कि इस बार करवा चौथ में गज केसरी और शशक योग बन रहा है। ऐसा योग 18 वर्ष के बाद बन रहा है। चंद्रोदय के समय लग्न और राशि वृष है। नक्षत्र रोहिणी है। खास बात यह है कि लग्न, राशि और नक्षत्र तीनों का स्वामी शुक्र है। शुक्र सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। लग्न में चंद्रमा और बृहस्पति के साथ होने के कारण जग केसरी और शनि यदि उच्च का हो और स्वगृह में व केंद्र में हो तो शशक योग बनता है। यह बहुत ही लाभप्रद योग है।
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श्री देवालय पूजक परिषद चंडीगढ़ के अध्यक्ष और सेक्टर 18 के श्री राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी डॉ. लाल बहादुर दुबे ने बताया कि करवा चौथ के पर्व में शिव परिवार की पूजा करने का विधान है। सुहागिन महिलाएं नए परिधान में सजकर शिवपरिवार की पूजा करती है। पूरा दिन उपवास रखकर चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करने के बाद महिलाए पानी ग्रहण के बाद भोजन करती हैं। मंदिर में महिलाएं पूजा के बाद कथा सुनकर थालियां बटाती हैं।

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