राष्ट्रीय खेल दिवस: खेल नीति न होने का खामियाजा, चंडीगढ़ में तैयार खिलाड़ी पड़ोसी राज्यों के लिए ला रहे मेडल
चंडीगढ़ के दिग्गज खिलाड़ी और भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाने वाले कपिल देव व चेतन शर्मा चंडीगढ़ की बजाय हरियाणा से खेले। इनके अलावा क्रिकेटर अशोक मल्होत्रा, योगराज सिंह, युवराज सिंह, दिनेश मोंगिया, वीरआरवी सिंह, अमित उनियाल, विश्वास भल्ला और सिद्धार्थ कौल पंजाब से खेले।
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चंडीगढ़ हर खिलाड़ी की पहली पसंद है। वह यहां खेल की बारीकियां सीखते हैं, अभ्यास करते हैं लेकिन जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की बारी आती है तो पड़ोसी राज्यों में चले जाते हैं। स्थिति यह है कि चंडीगढ़ में तैयार खिलाड़ी दूसरे राज्यों की झोली में पदक भरकर मान-सम्मान पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण है चंडीगढ़ में खेल नीति का नहीं होना।
पंजाब और हरियाणा के मुकाबले चंडीगढ़ की खेल सुविधाएं ज्यादा बेहतर व गुणवत्ता वाली हैं। कई सेक्टरों में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बने हैं। आउटडोर व इनडोर स्टेडियम हैं। हर दो से तीन सेक्टरों के आसपास खेल परिसर बने हुए हैं जहां पर एक ही छत के नीचे एक साथ कई खेल खेलने की सुविधाएं हैं। यहां पर नियुक्त बेहतरीन कोच खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं।
खेल की बारीकियां सीखने के बाद जब मैदान पर उतरने की बारी आती है तो यहां के खिलाड़ी चंडीगढ़ छोड़कर पड़ोसी राज्य हरियाणा व पंजाब में चले जाते हैं। वहां खेलते हैं और खूब नाम रोशन करते हैं। खेल नीति न बनने के कारण और खेल नौकरी में कोटा न होने पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दूसरे राज्यों से खेलने को मजबूर हैं।
इन खिलाड़ियों ने पड़ोसी राज्यों से खेलकर नाम कमाया
शहर के दिग्गज खिलाड़ी और भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाने वाले कपिल देव व चेतन शर्मा चंडीगढ़ की बजाय हरियाणा से खेले। इनके अलावा क्रिकेटर अशोक मल्होत्रा, योगराज सिंह, युवराज सिंह, दिनेश मोंगिया, वीरआरवी सिंह, अमित उनियाल, विश्वास भल्ला और सिद्धार्थ कौल पंजाब से खेले। वहीं, भारत का ओलंपिक कोटा दिलाने वाली और टोक्यो ओलंपिक में खेलने वाली शूटिंग खिलाड़ी अंजुम मोदगिल और भारतीय हॉकी टीम के कप्तान राजपाल सिंह पंजाब से खेले और खेल कोटे से सरकारी नौकरी भी पाई। राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली महिला हॉकी टीम की सदस्य मोनिका शहर की बजाय हरियाणा से खेलती हैं। इंटरनेशनल आर्चरी खिलाड़ी कपिल को शहर में खेल कोटे में नौकरी नहीं मिली। इसके बाद उन्हें भारतीय रेल विभाग ने नौकरी दी। अब वह रेलवे की टीम से खेलते हैं।
चंडीगढ़ को कहा जाता है खेलों का हब
शहर को खेलों का हब कहा जाता है। बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर यहां के खिलाड़ियों को उपलब्ध कराया जाता है। जूडो, हॉकी, मुक्केबाजी, टेबल टेनिस और बैडमिंटन के यहां पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए गए हैं। इन सेंटर पर वरिष्ठ कोचों को नियुक्त किया गया है। यूटी खेल विभाग की खुद की फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी की अकादमी हैं। इन अकादमी के खिलाड़ियों के रहने के लिए हॉस्टल की भी सुविधा है। यहां इनके रहने और खाने-पीने से लेकर पढ़ाई की व्यवस्था तक रहती है।