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पंजाब उपचुनावः चारों सियासी दलों के पास हैं चारों विधानसभा सीटें, तो काफी रोचक होगा मुकाबला

हर्ष कुमार सलारिया, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: खुशबू गोयल Updated Sun, 22 Sep 2019 10:51 AM IST
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Punjab Bypoll Elections on Four Assembly Constituency
फाइल फोटो
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पंजाब की चार विधानसभा सीटें जिनके लिए आगामी 21 अक्तूबर का उपचुनाव सियासी तौर पर काफी रोचक रहने वाला है। यह चारों सीटें इस समय प्रदेश के चारों प्रमुख राजनीतिक दलों के कब्जे में रही हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान जलालाबाद सीट अकाली दल, फगवाड़ा भाजपा, दाखा आम आदमी पार्टी और मुकेरियां कांग्रेस ने जीती थी। अब उपचुनाव में यह राजनीतिक दल अपनी-अपनी सीट बचाते हुए बाकी सीटों पर कब्जा करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
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खास बात यह भी है कि इन चार विधानसभा सीटों के परिणाम राज्य में किसी भी राजनीतिक दल के बढ़ते या घटते प्रभाव की झलक भी पेश करेगा। जलालाबाद विधानसभा सीट अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल के और फगवाड़ा सीट भाजपा के सोम प्रकाश के सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई हैं जबकि दाखा सीट आप विधायक एचएस फूलका के इस्तीफा देने और मुकेरियां सीट कांग्रेस के रजनीश बब्बी के निधन से खाली हुई हैं। इस तरह चारों ही मुख्य सियासी दलों का पहला प्रयास 21 अक्तूबर के चुनाव में अपनी-अपनी सीट बचाने का है।
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इन चारों सीटों पर सियासी समीकरण के इतिहास पर नजर डाली जाए तो, जलालाबाद सीट अकाली दल का गढ़ रही है, जिस पर कांग्रेस के कब्जा करने के सारे प्रयास अब तक विफल साबित होते रहे हैं। लेकिन बेअदबी और बहबल कलां फायरिंग मामलों को लेकर अकाली दल पूरे राज्य में इस समय बैकफुट पर माना जा रहा है। अगर उपचुनाव में भी यह सीट अकाली दल के हिस्से में आई तो साफ है कि धर्म के कठघरे से अकाली दल पाक-साफ होकर बाहर आ जाएगा और अगले विधानसभा चुनाव के लिए भी उसे यह उपचुनाव संजीवनी दे देगा।

वहीं फगवाड़ा सीट भी भाजपा के कब्जे वाली पुरानी सीट है। हालांकि सोम प्रकाश के बाद भाजपा के बाद यहां कोई प्रमुख चेहरा नहीं है, वहीं कांग्रेस इस बार यहां बाल्मीकि समुदाय को आगे करके जीत का परचम लहराने की कोशिश कर सकती है। वैसे भाजपा की नजर फगवाड़ा के साथ ही मुकेरियां सीट पर भी रहेगी, जहां से 2007 में भी भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

इस सीट पर, 2012 के चुनाव को छोड़ दें तो हमेशा ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा है। 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपाई प्रत्याशी को 12119 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। वहीं, सत्ताधारी कांग्रेस के लिए उक्त चार सीटों का उपचुनाव नाक का सवाल बन चुका है। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार का आधा कार्यकाल बीत चुका है और सरकार व पार्टी की मौजूदा गतिविधियां 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर चलाई जा रही हैं।

फिलहाल इन उपचुनाव में कांग्रेस के लिए मुकेरियां के अलावा फगवाड़ा और दाखा मुख्य लक्ष्य रहेंगे। हालांकि शनिवार को मुख्यमंत्री ने चारों सीटें जीतने का दावा किया है। इनके अलावा, राज्य में कई हिस्सों में बिखर चुकी आम आदमी पार्टी इस उपचुनाव में सांसद भगवंत मान के नेतृत्व में उतर रही है। पार्टी ने चारों सीटें जीतने का दावा भी किया है लेकिन परिस्थितियां पार्टी के अनुकूल दिखाई नहीं दे रहीं। वैसे, यह उपचुनाव भगवंत मान की अध्यक्षता का भी इम्तिहान है।
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