...आखिर सरकार ने माना, नहीं दे सकते लैपटॉप
सीएम, डिप्टी सीएम और मंत्रियों के वेतन बढ़ाने के अगले ही दिन सरकार ने स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने के मुद्दे पर हाथ खड़े कर दिए। इसके साथ ही लैपटॉप पर असमंजस खत्म हो गया।
सरकार ने पहली बार सदन में स्वीकार किया कि स्टूडेंट्स को लैपटॉप नहीं दिए जाएंगे। राणा गुरमीत सोढी की गैरमौजूदगी में शुक्रवार को तरलोचन सिंह ने उनका प्रश्न रखा।
उन्होंने पूछा कि 11वीं और 12वीं के कितने विद्यार्थियों को अब तक डाटा कार्ड केसाथ लैपटॉप दिए गए हैं। जवाब में शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि कोई लैपटॉप नहीं दिए गए।
तरलोचन सिंह ने कहा कि पहले तो सवाल टालते रहे। अब साफ मुकर गए हैं। बच्चे मुंह उठा कर देखते हैं कि कब बादल साहब आएंगे और लैपटॉप देंगे। डॉ. चीमा ने कहा कि दिसंबर 2012 में इस संबंध में मीटिंग हुई थी। सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार किया है।
यूपी में कामयाब नहीं रहा 'लैपटॉप' प्रयोग
उत्तर प्रदेश में यह प्रयोग कामयाब नहीं रहा। क्योंकि इंटरनेट केफायदे हैं, तो नुकसान भी हैं, दुरुपयोग की आशंका है। इसकेबदले विभाग के पास दूसरा विकल्प है। 6636 सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब हैं, इन्हें अपग्रेड किया जा सकता है।
इससे बच्चों पर शिक्षकों की नजर रहेगी। यह फैसला बच्चों के हित में है, सियासी फैसला नहीं है। तरलोचन सिंह ने कहा कि फिर इसकेलिए रखे 114 करोड़ कहां गए।
डॉ. चीमा बधाई के पात्र हैं, जिन्हें यह स्वीकार करने की हिम्मत दिखाई। पर पहले सरकार क्यों लोगों को मूर्ख बनाती रही।
सुनील जाखड़, विपक्ष के नेता
यूपी में प्रयोग असफल
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का मानना है कि सरकार द्वारा छात्रों को दिए गए लैपटॉप का दुरुपयोग हुआ। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने अपने प्रचार के लिए इनका इस्तेमाल किया जिससे समाजवादी पार्टी को खासा नुकसान हुआ।