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Punjab: खेलों में पुराना मुकाम पाने को बेताब पंजाब, नई नीति से खिलाड़ियों को गेमचेंजर बनाने का प्रयास
विशाल पाठक, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 24 Apr 2024 04:21 PM IST
सार
पंजाब में कई जिलों में आज भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। खिलाड़ियों को प्रेक्टिस के लिए चंडीगढ़ और हरियाणा का रुख करना पड़ता है। पंजाब की मान सरकार ने सूबे के लिए नई खेल नीति तैयार कर दी है। अब देखना यह है कि क्या नई खेल नीति पंजाब के खिलाड़ियों को 'गेमचेंजर' बना सकती है। इस खेल नीति के सहारे पंजाब खेलों में अपना पुराना मुकाम पाने को बेताब है।
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खेलों में पंजाब
- फोटो : प्रतीकात्मक
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विस्तार
खेल जगत में पंजाब को देश का नंबर वन राज्य बनाने के दावे हमेशा से होते आए हैं, लेकिन हकीकत यह है राज्य खेलों में अपना पुराना रुतबा खो चुका है। ओलंपिक गेम्स हों या कॉमनवेल्थ, एशियन व नेशनल गेम्स पंजाब के प्रदर्शन में गिरावट आई है। इसका कारण यह है कि पंजाब ने अपनी खेल नीति में लंबे समय तक कोई बदलाव नहीं किया। आज भी कई जिले ऐसे हैं, जहां खिलाड़ियों की प्रैक्टिस के लिए मैदान तक नहीं है।
अगस्त 2023 में पंजाब की नई खेल नीति लागू की गई। नई खेल नीति में स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी से लेकर राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को आगे आने का मौका देने की बात कही गई है। अब देखना यह है कि पंजाब से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितने खिलाड़ियों का डंका बजता है। खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश भर में एक हजार खेल नर्सरी खोलने की योजना तैयार की गई है। प्रदेश के सभी 23 जिलों में 6 से 17 वर्ष की आयु के युवाओं को बढ़ावा देने के लिए यह खेल नर्सरी खोली जा रही हैं। यह स्कूल और कॉलेज स्तर के खिलाड़ियों को उभरने का मौका देंगी। इससे 60 हजार खिलाड़ियों को मौका देने का गेमप्लान तैयार किया गया है। चंडीगढ़ से मात्र 17 से 18 किलोमीटर दूर पंजाब के डेराबस्सी हलके में खिलाड़ियों के लिए कोई खेल मैदान उपलब्ध नहीं है। डेराबस्सी से आप के विधायक कुलजीत सिंह रंधावा खुद इस मुद्दे को इस बार बजट सत्र में उठा चुके हैं। ऐसे में खेल नीति जमीनी स्तर पर कब तक खिलाड़ियों को लाभ पहुंचाएगी, यह सरकार के गेमप्लान पर निर्भर करता है।
हरियाणा दे रहा सबसे ज्यादा कैश अवॉर्ड
हरियाणा में ओलंपिक विजेता खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा कैश अवॉर्ड दिया जाता है। हरियाणा में ओलंपिक में गोल्ड लाने वाले खिलाड़ी को छह करोड़, सिल्वर के लिए चार करोड़ और ब्रॉन्ज के लिए 2.5 करोड़ दिए जाते हैं, जबकि पंजाब में ओलंपिक और पैरालंपिक खिलाड़ियों को गोल्ड पर तीन करोड़, सिल्वर पर दो, ब्रॉन्ज पर एक करोड़ और हर प्रतिभागी को 15 लाख रुपये दिए जाते हैं। पंजाब के मुकाबले हरियाणा में खिलाड़ियों को अच्छा कैश अवॉर्ड मिलता है, यह भी एक कारण है कि पंजाब के कई खिलाड़ी राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यहां से खेल चुके हैं।
सरकार का दावा, 14728 खिलाड़ियों को 54 करोड़ इनामी राशि दी
नई खेल नीति लागू होने के बाद से पंजाब सरकार का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 14,728 खिलाड़ियों को 54 करोड़ रुपये के इनामी पुरस्कार दिए गए। 11 खिलाड़ियों को नौकरियां दी गई हैं, इनमें से चार खिलाड़ियों को पंजाब सिविल सेवा (पीसीएस) और सात को पंजाब पुलिल सेवा में नियुक्त किया गया है।
इस बार 272 करोड़ का बजट, वजीफा दोगुना करने का दावा
पंजाब में खेल के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मौजूदा सरकार ने बजट में 272 करोड़ रुपये का फंड रखा है। इससे खेल के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के साथ खिलाड़ियों की प्रैक्टिस से लेकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब व देश की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए रखा गया है। नई खेल नीति के तहत खिलाड़ियों के वजीफे को दोगुना करने का दावा किया गया था। नई खेल नीति के तहत राज्य भर में ऐसे 180 खिलाड़ी चुने जाएंगे, जिन्हें उत्कृष्ट और उभरते खिलाड़ियों की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। उत्कृष्ट श्रेणी के खिलाड़ियों को 16 हजार रुपये प्रति माह और खेल जगत में उभरते युवाओं को 12 हजार रुपये देने का दावा किया गया है।
युवाओं को पदक और 51,000 का पुरस्कार
पंजाब में शहीद-ए-आजम भगत सिंह राज्य युवा पुरस्कार को फिर से शुरू किया है। इस के तहत प्रत्येक जिले से दो युवाओं को चुना जाएगा। इन्हें एक पदक, 51,000 रुपये की राशि और एक प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा। यह शुरुआत दोबारा युवाओं को खेलों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है। खेल अधोसंरचना के निर्माण, उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 35 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है। इसके अलावा पीपीपी मोड के तहत विकसित की जाने वाली 10 खेल प्रोजेक्टों की पहचान की गई है। खेल उपकरणों की खरीद के लिए तीन करोड़ रुपये के प्रारंभिक आवंटन का प्रस्ताव रखा गया है।
नाम बदलकर नई रूपरेखा देने की कोशिश
नई खेल नीति में पंजाब के मोहाली, पटियाला, लुधियाना, बठिंडा और अमृतसर स्थित जिला स्तरीय बहुउद्देशीय खेल केंद्र का नाम बदलकर अब इन्हें पंजाब स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित जाएगा, ताकि यहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा सके। जालंधर और होशियारपुर में खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हॉकी, एथलेक्टिक्स और फुटबॉल के लिए तैयार किए जाएंगे।
टोक्यो ओलंपिक और एशियन गेम्स में पंजाब का प्रदर्शन
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम का बेहतरीन प्रदर्शन रहा था। ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले भारतीय हॉकी टीम में 18 में से 10 खिलाड़ी पंजाब के थे। टीम के खिलाड़ी कप्तान मनप्रीत सिंह, उप कपतान हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार, रुपिंदरपाल सिंह, हार्दिक सिंह, दिलप्रीत सिंह, गुरजंट सिंह, मनदीप सिंह, शमशेर सिंह और सिमरनजीत सिंह पंजाब से हैं। इनमें से मनप्रीत सिंह, सिमरनजीत सिंह, हार्दिक सिंह, शमशेर सिंह, दिलप्रीत सिंह, वरुण कुमार, हरमनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह जालंधर स्थित ओलंपियन सुरजीत सिंह हॉकी एकेडमी में ट्रेनिंग ले चुके हैं।
एशियन गेम्स में तोड़ा रिकॉर्ड
बीते छह मीने पहले हांगझोऊ में संपन्न हुए एशियाई खेलों में पंजाब के खिलाड़ियों ने 72 साल का रिकॉर्ड तोड़कर अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। मुकाबले में सूबे के खिलाड़ियों ने 8 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य पदकों के साथ कुल 19 पदक अपने नाम किए हैं। एशियाई खेलों में में हिस्सा लेने गए 48 पंजाबी खिलाड़ियों को तैयारी के लिए पंजाब सरकार ने प्रति खिलाड़ी 8 लाख रुपये के हिसाब के साथ कुल 4.64 करोड़ रुपये दिए थे।
1951 और 62 में जीते थे सात स्वर्ण
एशियाई खेलों के 72 वर्षों के इतिहास में पंजाब के खिलाड़ियों ने इससे पहले सबसे अधिक स्वर्ण पदक 1951 में नई दिल्ली और 1962 में जकार्ता एशियाई खेलों में क्रमश: 7-7 स्वर्ण पदक जीते थे। इस बार यह रिकॉर्ड तोड़ते हुए पंजाब के खिलाड़ियों ने 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। इस बार पंजाब के खिलाड़ियों ने कुल रिकॉर्ड 19 पदक जीते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी प्रैक्टिस की जरूरत
खिलाड़ियों को अपग्रेडेड इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी प्रैक्टिस मिले तो वह हर मुकाम हासिल कर सकते हैं। पंजाब के युवाओं में बहुत प्रतिभा है। खासकर बेटियों को खेल में आगे आना चाहिए। -हरमिलन कौर बैंस, एथलीट, पंजाब।
नई खेल नीति तैयार की
सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पंजाब की नई खेल नीति तैयार की। पंजाब के युवाओं को खेल की ओर बढ़ावा देने के लिए हर जिले और गांव खेल नर्सरी बनाई जा रही है। खिलाड़ियों के मिलने वाले वजीफे को दोगुना कर दिया गया है। खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जा रहा है, आज हर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में खेल के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। खिलाड़ियों को कैश अवॉर्ड के साथ तत्काल नौकरी दी जा रही है। खुद सीएम भगवंत मान ने कई खिलाड़ियों को नियुक्ति पत्र सौंपे हैं। -गुरमीत सिंह मीत हेयर, खेल मंत्री, पंजाब सरकार।
जमीनी स्तर पर सुविधाएं नहीं
पंजाब में युवा ड्रग्स की चपेट में आते जा रहे हैं, नई खेल नीति तो बना दी गई, लेकिन सच्चाई ये है कि खिलाड़ियों को जमीनी स्तर पर आज भी सुविधाएं नहीं मिल रही है। खिलाड़ियों के स्टाइपेंड के अलावा कोच को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। पंजाब के कई जिले और गांव आज भी ऐसे हैं, जहां खेल के मैदान तक नहीं। खिलाड़ी चंडीगढ़ और हरियाणा से खेलने पसंद कर रहे हैं। -प्रताप सिंह बाजवा, नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस पंजाब
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अगस्त 2023 में पंजाब की नई खेल नीति लागू की गई। नई खेल नीति में स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी से लेकर राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को आगे आने का मौका देने की बात कही गई है। अब देखना यह है कि पंजाब से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितने खिलाड़ियों का डंका बजता है। खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश भर में एक हजार खेल नर्सरी खोलने की योजना तैयार की गई है। प्रदेश के सभी 23 जिलों में 6 से 17 वर्ष की आयु के युवाओं को बढ़ावा देने के लिए यह खेल नर्सरी खोली जा रही हैं। यह स्कूल और कॉलेज स्तर के खिलाड़ियों को उभरने का मौका देंगी। इससे 60 हजार खिलाड़ियों को मौका देने का गेमप्लान तैयार किया गया है। चंडीगढ़ से मात्र 17 से 18 किलोमीटर दूर पंजाब के डेराबस्सी हलके में खिलाड़ियों के लिए कोई खेल मैदान उपलब्ध नहीं है। डेराबस्सी से आप के विधायक कुलजीत सिंह रंधावा खुद इस मुद्दे को इस बार बजट सत्र में उठा चुके हैं। ऐसे में खेल नीति जमीनी स्तर पर कब तक खिलाड़ियों को लाभ पहुंचाएगी, यह सरकार के गेमप्लान पर निर्भर करता है।
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हरियाणा दे रहा सबसे ज्यादा कैश अवॉर्ड
हरियाणा में ओलंपिक विजेता खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा कैश अवॉर्ड दिया जाता है। हरियाणा में ओलंपिक में गोल्ड लाने वाले खिलाड़ी को छह करोड़, सिल्वर के लिए चार करोड़ और ब्रॉन्ज के लिए 2.5 करोड़ दिए जाते हैं, जबकि पंजाब में ओलंपिक और पैरालंपिक खिलाड़ियों को गोल्ड पर तीन करोड़, सिल्वर पर दो, ब्रॉन्ज पर एक करोड़ और हर प्रतिभागी को 15 लाख रुपये दिए जाते हैं। पंजाब के मुकाबले हरियाणा में खिलाड़ियों को अच्छा कैश अवॉर्ड मिलता है, यह भी एक कारण है कि पंजाब के कई खिलाड़ी राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यहां से खेल चुके हैं।
सरकार का दावा, 14728 खिलाड़ियों को 54 करोड़ इनामी राशि दी
नई खेल नीति लागू होने के बाद से पंजाब सरकार का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 14,728 खिलाड़ियों को 54 करोड़ रुपये के इनामी पुरस्कार दिए गए। 11 खिलाड़ियों को नौकरियां दी गई हैं, इनमें से चार खिलाड़ियों को पंजाब सिविल सेवा (पीसीएस) और सात को पंजाब पुलिल सेवा में नियुक्त किया गया है।
इस बार 272 करोड़ का बजट, वजीफा दोगुना करने का दावा
पंजाब में खेल के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मौजूदा सरकार ने बजट में 272 करोड़ रुपये का फंड रखा है। इससे खेल के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के साथ खिलाड़ियों की प्रैक्टिस से लेकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब व देश की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए रखा गया है। नई खेल नीति के तहत खिलाड़ियों के वजीफे को दोगुना करने का दावा किया गया था। नई खेल नीति के तहत राज्य भर में ऐसे 180 खिलाड़ी चुने जाएंगे, जिन्हें उत्कृष्ट और उभरते खिलाड़ियों की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। उत्कृष्ट श्रेणी के खिलाड़ियों को 16 हजार रुपये प्रति माह और खेल जगत में उभरते युवाओं को 12 हजार रुपये देने का दावा किया गया है।
युवाओं को पदक और 51,000 का पुरस्कार
पंजाब में शहीद-ए-आजम भगत सिंह राज्य युवा पुरस्कार को फिर से शुरू किया है। इस के तहत प्रत्येक जिले से दो युवाओं को चुना जाएगा। इन्हें एक पदक, 51,000 रुपये की राशि और एक प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा। यह शुरुआत दोबारा युवाओं को खेलों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है। खेल अधोसंरचना के निर्माण, उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 35 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है। इसके अलावा पीपीपी मोड के तहत विकसित की जाने वाली 10 खेल प्रोजेक्टों की पहचान की गई है। खेल उपकरणों की खरीद के लिए तीन करोड़ रुपये के प्रारंभिक आवंटन का प्रस्ताव रखा गया है।
नाम बदलकर नई रूपरेखा देने की कोशिश
नई खेल नीति में पंजाब के मोहाली, पटियाला, लुधियाना, बठिंडा और अमृतसर स्थित जिला स्तरीय बहुउद्देशीय खेल केंद्र का नाम बदलकर अब इन्हें पंजाब स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित जाएगा, ताकि यहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा सके। जालंधर और होशियारपुर में खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हॉकी, एथलेक्टिक्स और फुटबॉल के लिए तैयार किए जाएंगे।
टोक्यो ओलंपिक और एशियन गेम्स में पंजाब का प्रदर्शन
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम का बेहतरीन प्रदर्शन रहा था। ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले भारतीय हॉकी टीम में 18 में से 10 खिलाड़ी पंजाब के थे। टीम के खिलाड़ी कप्तान मनप्रीत सिंह, उप कपतान हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार, रुपिंदरपाल सिंह, हार्दिक सिंह, दिलप्रीत सिंह, गुरजंट सिंह, मनदीप सिंह, शमशेर सिंह और सिमरनजीत सिंह पंजाब से हैं। इनमें से मनप्रीत सिंह, सिमरनजीत सिंह, हार्दिक सिंह, शमशेर सिंह, दिलप्रीत सिंह, वरुण कुमार, हरमनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह जालंधर स्थित ओलंपियन सुरजीत सिंह हॉकी एकेडमी में ट्रेनिंग ले चुके हैं।
एशियन गेम्स में तोड़ा रिकॉर्ड
बीते छह मीने पहले हांगझोऊ में संपन्न हुए एशियाई खेलों में पंजाब के खिलाड़ियों ने 72 साल का रिकॉर्ड तोड़कर अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। मुकाबले में सूबे के खिलाड़ियों ने 8 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य पदकों के साथ कुल 19 पदक अपने नाम किए हैं। एशियाई खेलों में में हिस्सा लेने गए 48 पंजाबी खिलाड़ियों को तैयारी के लिए पंजाब सरकार ने प्रति खिलाड़ी 8 लाख रुपये के हिसाब के साथ कुल 4.64 करोड़ रुपये दिए थे।
1951 और 62 में जीते थे सात स्वर्ण
एशियाई खेलों के 72 वर्षों के इतिहास में पंजाब के खिलाड़ियों ने इससे पहले सबसे अधिक स्वर्ण पदक 1951 में नई दिल्ली और 1962 में जकार्ता एशियाई खेलों में क्रमश: 7-7 स्वर्ण पदक जीते थे। इस बार यह रिकॉर्ड तोड़ते हुए पंजाब के खिलाड़ियों ने 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। इस बार पंजाब के खिलाड़ियों ने कुल रिकॉर्ड 19 पदक जीते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी प्रैक्टिस की जरूरत
खिलाड़ियों को अपग्रेडेड इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी प्रैक्टिस मिले तो वह हर मुकाम हासिल कर सकते हैं। पंजाब के युवाओं में बहुत प्रतिभा है। खासकर बेटियों को खेल में आगे आना चाहिए। -हरमिलन कौर बैंस, एथलीट, पंजाब।
नई खेल नीति तैयार की
सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पंजाब की नई खेल नीति तैयार की। पंजाब के युवाओं को खेल की ओर बढ़ावा देने के लिए हर जिले और गांव खेल नर्सरी बनाई जा रही है। खिलाड़ियों के मिलने वाले वजीफे को दोगुना कर दिया गया है। खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जा रहा है, आज हर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में खेल के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। खिलाड़ियों को कैश अवॉर्ड के साथ तत्काल नौकरी दी जा रही है। खुद सीएम भगवंत मान ने कई खिलाड़ियों को नियुक्ति पत्र सौंपे हैं। -गुरमीत सिंह मीत हेयर, खेल मंत्री, पंजाब सरकार।
जमीनी स्तर पर सुविधाएं नहीं
पंजाब में युवा ड्रग्स की चपेट में आते जा रहे हैं, नई खेल नीति तो बना दी गई, लेकिन सच्चाई ये है कि खिलाड़ियों को जमीनी स्तर पर आज भी सुविधाएं नहीं मिल रही है। खिलाड़ियों के स्टाइपेंड के अलावा कोच को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। पंजाब के कई जिले और गांव आज भी ऐसे हैं, जहां खेल के मैदान तक नहीं। खिलाड़ी चंडीगढ़ और हरियाणा से खेलने पसंद कर रहे हैं। -प्रताप सिंह बाजवा, नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस पंजाब