{"_id":"689c076288fb7164da0eb339","slug":"punjab-politics-shiromani-akali-dal-will-fight-for-party-name-and-symbol-challenge-to-handle-core-vote-bank-2025-08-13","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Politics: पार्टी के नाम और चिह्न के लड़ेगी शिअद, कोर वोट बैंक संभालने की चुनौती; सियासी भंवर में फंसी पार्टी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Politics: पार्टी के नाम और चिह्न के लड़ेगी शिअद, कोर वोट बैंक संभालने की चुनौती; सियासी भंवर में फंसी पार्टी
अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 13 Aug 2025 09:14 AM IST
सार
शिरोमणि अकाली दल अब पार्टी के नाम और चिह्न के लड़ेगी। इसके साथ ही पार्टी के सामने कोर वोट बैंक संभालने की चुनौती होगी। श्री अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह अपनी पंथक पार्टी को ही असली शिअद होने का दावा किया है।
विज्ञापन
सुखबीर बादल
- फोटो : संवाद/फाइल
विज्ञापन
विस्तार
पंजाब में गठित हुई नई पंथक पार्टी के उदय के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को अब पार्टी के नाम और चिह्न के लिए जंग लड़नी होगी, क्योंकि श्री अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह अपनी पंथक पार्टी को ही असली शिअद होने का दावा कर चुके हैं।
उनका दावा है कि उनका यह दल सक्रिय 15 लाख सदस्यों के दम पर बना है और अब यह पंथक पार्टी शिअद के चुनावी चिह्न तकड़ी पर भी अपना दावा करेगी।
ऐसी स्थिति में अब शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल के समक्ष अपने कोर वोट बैंक को संभालने के साथ-साथ पार्टी का नाम और उसका चिह्न भी बचाने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। सुखबीर को अपने आस्थावान मतदाताओं को बांधकर रखना होगा, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सियासी भंवर में फंस गई है।
इसी पर अपनी आगामी रणनीति का खुलासा करते हुए शिअद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दलजीत सिंह चीमा ने हरप्रीत सिंह की पार्टी को चूल्हा दल करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि इन नेताओं ने शिअद का नाम इस्तेमाल किया तो उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी क्योंकि शिरोमणि अकाली दल 1996 की अधिसूचना के अनुसार चुनाव आयोग में एक पंजीकृत और मान्यता प्राप्त पार्टी है।
Trending Videos
उनका दावा है कि उनका यह दल सक्रिय 15 लाख सदस्यों के दम पर बना है और अब यह पंथक पार्टी शिअद के चुनावी चिह्न तकड़ी पर भी अपना दावा करेगी।
ऐसी स्थिति में अब शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल के समक्ष अपने कोर वोट बैंक को संभालने के साथ-साथ पार्टी का नाम और उसका चिह्न भी बचाने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। सुखबीर को अपने आस्थावान मतदाताओं को बांधकर रखना होगा, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सियासी भंवर में फंस गई है।
विज्ञापन
विज्ञापन
इसी पर अपनी आगामी रणनीति का खुलासा करते हुए शिअद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दलजीत सिंह चीमा ने हरप्रीत सिंह की पार्टी को चूल्हा दल करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि इन नेताओं ने शिअद का नाम इस्तेमाल किया तो उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी क्योंकि शिरोमणि अकाली दल 1996 की अधिसूचना के अनुसार चुनाव आयोग में एक पंजीकृत और मान्यता प्राप्त पार्टी है।
पार्टी के कोर वोटर शिअद के साथ खड़े
उन्होंने दावा किया कि पार्टी के कोर वोटर और सभी सदस्य पूरी निष्ठा के साथ शिअद के साथ खड़े हैं। नई पार्टी का गठन करने वालों ने शिअद के सदस्यता अभियान में भी भाग नहीं लिया।
उन्होंने दावा किया कि पार्टी के कोर वोटर और सभी सदस्य पूरी निष्ठा के साथ शिअद के साथ खड़े हैं। नई पार्टी का गठन करने वालों ने शिअद के सदस्यता अभियान में भी भाग नहीं लिया।
सभी सदस्यों ने 10 रुपये का शुल्क देकर ली सदस्यता
शिरोमणि अकाली दल के सभी सदस्यों ने 10 रुपये की सदस्यता शुल्क देकर सदस्यता ली है, जो 5 साल के लिए वैध है। यदि उन्होंने खुद को शिअद का सदस्य बताया तो यह असांविधानिक है और इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
शिरोमणि अकाली दल के सभी सदस्यों ने 10 रुपये की सदस्यता शुल्क देकर सदस्यता ली है, जो 5 साल के लिए वैध है। यदि उन्होंने खुद को शिअद का सदस्य बताया तो यह असांविधानिक है और इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
उधर, शिअद ने अपने 55 नेताओं को विभिन्न जिलों में उपप्रधान की जिम्मेदारी भी सौंपी है। ये नियुक्तियां उस वक्त की गई हैं, जब नई पंथक पार्टी खुद को शिअद होना का दावा कर रही है।