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ज्यादा नमक का रिस्क: चंडीगढ़ के दो-तिहाई मरीज रोज तोड़ रहे सेहत का नियम, एनसीडी रिपोर्ट में खुलासा
वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 13 Oct 2025 02:44 PM IST
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सार
साल्टी और प्रोसेस्ड फूड कल्चर धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों की जड़ बन रहा है। लोग नमक की मात्रा का अनुमान नहीं लगा पाते। सॉस, अचार, स्नैक्स और रेडी-टू-ईट भोजन में पहले से ही काफी नमक मौजूद होता है।

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- फोटो : istock
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विस्तार
पीजीआई और यूटी हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा संचालित इंटीग्रेटेड एनसीडी रजिस्ट्री (जुलाई 2018–दिसंबर 2021) के आंकड़ों ने चंडीगढ़ के लोगों के खानपान को लेकर चौंकाने वाले रुझान उजागर किए हैं।
रिपोर्ट बताती है कि कैंसर, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसे गैर-संचारी रोगों से पीड़ित मरीजों में करीब 65% लोग अपने भोजन में अतिरिक्त नमक या सोया सॉस मिलाते हैं, जबकि केवल 2% लोग ही पूरी तरह से नमक से परहेज़ करते हैं। और भी चिंताजनक तथ्य यह है कि कुल 55% मरीजों ने स्वीकार किया कि वे अपने खाने में नमक डालने की आदत छोड़ नहीं पा रहे हैं। वहीं, कभी नहीं डालने वाले मरीजों का अनुपात सिर्फ 15–20% के बीच रहा।
पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रो जे एस ठाकुर का कहना है कि यह प्रवृत्ति भविष्य में उच्च रक्तचाप, किडनी डिजीज और हृदय रोगों के मामलों में और वृद्धि कर सकती है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि करीब 30% मरीज सप्ताह में एक या अधिक बार बाहर का खाना खाते हैं, जिसमें फास्ट फूड, रेस्टोरेंट मील या पैक्ड स्नैक्स शामिल हैं। कैंसर और डायबिटीज के युवा मरीजों में यह प्रवृत्ति और अधिक दिखाई दी, जहां लगभग 42% लोग हफ्ते में एक से ज्यादा बार बाहर खाना खाते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि कैंसर, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसे गैर-संचारी रोगों से पीड़ित मरीजों में करीब 65% लोग अपने भोजन में अतिरिक्त नमक या सोया सॉस मिलाते हैं, जबकि केवल 2% लोग ही पूरी तरह से नमक से परहेज़ करते हैं। और भी चिंताजनक तथ्य यह है कि कुल 55% मरीजों ने स्वीकार किया कि वे अपने खाने में नमक डालने की आदत छोड़ नहीं पा रहे हैं। वहीं, कभी नहीं डालने वाले मरीजों का अनुपात सिर्फ 15–20% के बीच रहा।
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पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रो जे एस ठाकुर का कहना है कि यह प्रवृत्ति भविष्य में उच्च रक्तचाप, किडनी डिजीज और हृदय रोगों के मामलों में और वृद्धि कर सकती है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि करीब 30% मरीज सप्ताह में एक या अधिक बार बाहर का खाना खाते हैं, जिसमें फास्ट फूड, रेस्टोरेंट मील या पैक्ड स्नैक्स शामिल हैं। कैंसर और डायबिटीज के युवा मरीजों में यह प्रवृत्ति और अधिक दिखाई दी, जहां लगभग 42% लोग हफ्ते में एक से ज्यादा बार बाहर खाना खाते हैं।