कैप्टन बोले- दिल्ली में चौंकाने वाले दृश्य, कुछ तत्वों द्वारा हिंसा अस्वीकार्य, किसानों से सीमा पर लौटने की अपील
दिल्ली में किसान परेड के चलते बेकाबू हो रहे हालात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आंदोलनकारी किसानों से अपील की है कि वह तुरंत दिल्ली खाली कर बॉर्डर पर अपने धरना स्थलों पर लौट आएं। लाल किले पर किसानों द्वारा कब्जा कर अपना झंडा लहराए जाने के दृश्य से हैरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि दिल्ली में दृश्य चौंकाने वाले हैं। कुछ तत्वों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा अस्वीकार्य है।
उन्होंने चिंता जताई कि यह हालात शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे किसानों द्वारा स्थापित सद्भावना को नकार देगा। कैप्टन ने आगे लिखा कि किसान नेताओं ने खुद को अलग कर लिया है और ट्रैक्टर रैली को निलंबित कर दिया है। कैप्टन ने लिखा कि मैं सभी वास्तविक किसानों से दिल्ली को खाली करने और सीमाओं पर लौटने का आग्रह करता हूं।
Shocking scenes in Delhi. Violence by some elements is unacceptable. It'll negate goodwill generated by peacefully protesting farmers. Kisan leaders have disassociated themselves & suspended Tractor Rally. I urge all genuine farmers to vacate Delhi & return to borders: Punjab CM pic.twitter.com/0hQ6rgsugz
— ANI (@ANI) January 26, 2021
दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर जो हुआ वह निदंनीय : भारत भूषण आशु
गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में जो भी हुआ है, वह निंदनीय है। इस तरह के मामले देशहित में नहीं है। यह बात पंजाब के कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु ने कही। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कोई भी किसान यूनियन इस तरह की हिंसा नहीं चाहती है लेकिन कुछ शरारती तत्व है, जिन्होंने इस तरह का हंगामा किया है। हम आज भी यही चाहते है कि केंद्र सरकार इन तीन कानूनों को वापस ले। क्योंकि कानून किसान और पंजाब की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।
सांसद बिट्टू ने केंद्र सरकार को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली में किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प पर लुधियाना के सांसद रवनीट बिट्टू सीधे तौर पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं। सासंद बिट्टू का साफ कहना है कि बीते आठ माह से केंद्र सरकार उनकी बात को सुन नहीं रही है। हर बैठक बेनतीजा हो रही है। ऐसे में किसानों के सब्र का बांध एक दिन फूटना ही था, जोकि गणतंत्र दिवस के मौके पर फूटा। केंद्र की भाजपा सरकार इस मामले में इतनी आसानी से बच कर नहीं निकल सकती है।
अगर पहले ही चुपचाप कानूनों को वापस ले लिया होता। वहीं आंदोलन किसान नेताओं के हाथ में नहीं रहने के सवाल पर बिट्टू ने कहा कि वह तो पहले से कह रहे है कि किसान नेताओं के हाथ में कुछ नहीं है। यह तो सिर्फ मंच संभाल कर बैठे हैं, ताकि यह किसी तरह अपना राजनीतिक मैदान तैयार कर सके।
केंद्र सरकार उन 15 नेताओं को बसों में बुलाकर बैठक करती रही है, जिनके पीछे आम दिनों में दो सौ लोग नहीं आते हैं। आज योगेंद्र यादव कहां हैं, जो बड़ा दावा करते थे कि किसान उनकी बात को मानेंगे। अब सामने क्यों नहीं आ रहे हैं। बिट्टू ने कहा कि 29 जनवरी से बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। वह खुद दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन कृषि कानूनों को वापस लेने की विनती करेंगे।