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नक्सल प्रभावित सुकमा में विकास की नई बयार: RAMP योजना से स्थानीय उत्पादकों को डिजिटल मंच मिलेगा
अमर उजाला नेटवर्क, सुकमा
Published by: अमन कोशले
Updated Sat, 27 Sep 2025 07:04 PM IST
सार
जहां कभी जंगलों में बंदूक़ों की गूंज गूंजती थी, वहीं अब वहां विकास और आत्मनिर्भरता की आवाज़ बुलंद हो रही है। सरकार ने स्थानीय उत्पादकों, महिला समूहों और कारीगरों को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए एक नई पहल शुरू की है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जहां कभी जंगलों में बंदूक़ों की गूंज गूंजती थी, वहीं अब वहां विकास और आत्मनिर्भरता की आवाज़ बुलंद हो रही है। सरकार ने स्थानीय उत्पादकों, महिला समूहों और कारीगरों को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए एक नई पहल शुरू की है।
स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति परिसर में आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को यह बताया गया कि अब गांवों में बने उत्पाद मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से सीधे बाज़ार तक पहुंच सकते हैं। अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कहा, “यह पहल सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि विश्वास और नई उम्मीद की कहानी है।”
महिला उद्यमियों को विशेष मार्गदर्शन देते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब गांव की महिलाएं डिजिटल मंच पर कदम रखेंगी, तो सुकमा की पहचान हथियार नहीं बल्कि हुनर से होगी। तकनीकी विशेषज्ञों ने युवाओं को सोशल मीडिया और ई-मार्केटिंग की आधुनिक तकनीकें सिखाईं।
RAMP योजना के तहत प्रशिक्षण, डिजिटल प्रमोशन और वित्तीय सहायता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला में स्थानीय कारीगर, स्वयं सहायता समूह और नए उद्यमी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से सुकमा के जंगलों से सिर्फ महुआ, तसर और हस्तशिल्प ही नहीं, बल्कि विकास की नई कहानी भी निकलेगी। यह कदम स्थानीय लोगों को रोजगार, पहचान और आत्मनिर्भरता की राह दिखाएगा।
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स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति परिसर में आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को यह बताया गया कि अब गांवों में बने उत्पाद मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से सीधे बाज़ार तक पहुंच सकते हैं। अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कहा, “यह पहल सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि विश्वास और नई उम्मीद की कहानी है।”
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महिला उद्यमियों को विशेष मार्गदर्शन देते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब गांव की महिलाएं डिजिटल मंच पर कदम रखेंगी, तो सुकमा की पहचान हथियार नहीं बल्कि हुनर से होगी। तकनीकी विशेषज्ञों ने युवाओं को सोशल मीडिया और ई-मार्केटिंग की आधुनिक तकनीकें सिखाईं।
RAMP योजना के तहत प्रशिक्षण, डिजिटल प्रमोशन और वित्तीय सहायता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला में स्थानीय कारीगर, स्वयं सहायता समूह और नए उद्यमी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से सुकमा के जंगलों से सिर्फ महुआ, तसर और हस्तशिल्प ही नहीं, बल्कि विकास की नई कहानी भी निकलेगी। यह कदम स्थानीय लोगों को रोजगार, पहचान और आत्मनिर्भरता की राह दिखाएगा।