बीजापुर: विधायक मंडावी बोले- अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की सहमति के बिना कैसे हो रही वनों की कटाई?
बीजापुर में विधायक विक्रम मंडावी ने आज जिला मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बस्तर संभाग का बीजापुर जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू है।
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प्रेस वार्ता में विधायक ने आगे कहा कि पिछले कुछ दिनों से बीजापुर का वन विभाग संविधान की पांचवीं अनुसूची, पंचायती राज व्यवस्था, पेसा कानून और ग्राम सभा की भावना का सम्मान नहीं कर रहा है और इन कानूनों को दरकिनार कर बिना ग्रामीणों की सहमति के मशीनों से अंधाधुंध वनों की कटाई की जा रही है। विधायक को ग्रामीणों ने बताया कि जब ग्रामीणों ने बिना ग्राम सभा और बिना ग्रामीणों की सहमति से वनों की मशीनों से कटाई का विरोध किया तो डीएफओ द्वारा उन्हें जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। उक्त बातें विधायक विक्रम मंडावी ने जिले के पेद्दाकोडेपाल और कांवड़गांव के दौरे के दौरान मौक़ा मुआयना के बाद प्रेस वार्ता में कही है। आगे विधायक ने कहा कि ग्रामीणों से मुलाकात और चर्चा के दौरान ग्रामीणों ने उन्हें यह भी बताया है कि दोनों गांव में वन विभाग अब तक हजारों की संख्या में पेड़ों की कटाई मशीनों के जरिये कर चुका है।
विधायक ने कहा कि बीजापुर के डीएफओ और वन विभाग का यह रवैया आदिवासी ग्रामीणों तथा वन विभाग के बीच अविश्वास पैदा कर रहा है, जिसे तत्काल दूर किया जाना चाहिए था लेकिन डीएफओ और वन विभाग ऐसा नहीं कर रहे हैं। विधायक ने प्रेस वार्ता में आगे कहा कि जल, जंगल और जमीन आदिवासियों की आस्था एवं जीवन का आधार हैं। इसे वन विभाग और डीएफओ को समझने की जरूरत है। डीएफओ बीजापुर के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति का उल्लेख करते हुए विधायक ने कहा कि डीएफओ बीजापुर को स्पष्ट करना चाहिए कि गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ऐसी कौन-सी मंशा है, जिसका हवाला देकर जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और विरोध करने वाले ग्रामीणों को जेल भेजने की धमकी दी जा रही है।
इस पूरे घटनाक्रम को विधायक ने डीएफओ एवं वन विभाग द्वारा ग्रामीणों के साथ दादागिरी करने का आरोप लगाते हुए सवाल पूछा कि 1. इतने दिनों तक वन विभाग क्षेत्रों में क्यों गायब था? अब अचानक मशीनें लेकर क्यों घुस आए? 2. बिना ग्राम सभा, बिना ग्रामीणों, बिना जनप्रतिनिधियों की सहमति के यह काम क्यों? पेसा कानून का पालन क्यों नहीं किया जा रहा? 3. ग्रामीण विरोध करें तो डीएफओ और अधिकारी जेल भेजने की धमकी क्यों देते हैं? यह लोकतंत्र है या तानाशाही? 4. पूरे मामले को गुपचुप तरीके से क्यों अंजाम दिया जा रहा? विभाग क्या छिपा रहा है? 5. सूखे पेड़ों के नाम पर हरे-भरे पेड़ क्यों काटे जा रहे? 6. बिना चिन्हांकन के पेड़ काटना कानूनी अपराध है या नहीं? 7. पेड़ों की कटाई के संबंध में सरकारी आदेश, नियम और प्रक्रिया क्या हैं? क्या वनों की कटाई को लेकर अखबारों में इश्तिहार जारी किया गया था? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब ग्रामीण और हम सभी जानना चाहते हैं, डीएफओ और वन विभाग को इन सभी सवालों के जवाब देने चाहिए।
विधायक मंडावी ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि बीजापुर के डीएफओ जिस तरह ग्रामीणों को डरा रहे हैं, गांवों में जाकर दादागिरी कर रहे हैं और सवाल पूछने वाले ग्रामीणों को जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं, “उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे ग्राम सभा जैसी संवैधानिक संस्था को मानते हैं या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि ये सब प्रदेश में जब से भाजपा की डबल इंजन की सरकार बनी है तब से लगातार आदिवासियीं को परेशान करने और डराने धमकाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही विधायक ने सरकार से मांग की कि बीजापुर के डीएफओ को तत्काल यहां से हटाया जाए। विधायक ने चेतावनी दी कि यदि वन विभाग का यही रवैया रहा तो आने वाले समय में जल, जंगल, जमीन, पंचायती राज कानून, पेसा कानून और पांचवीं अनुसूची के अधिकारों को बचाने के लिए ग्रामीणों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन किया जाएगा।