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Chhattisgarh News: वन मंत्री केदार कश्यप बोले- हरे सोने से वनवासियों के जीवन में आ रहा बदलाव

अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर Published by: अमन कोशले Updated Thu, 08 May 2025 01:57 PM IST
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सार

छत्तीसगढ़ के वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हरे सोने को वनवासियों के जीवन में बदलाव लाने का माध्यम बनाया है। हमारी सरकार तेन्दूपत्ता संग्राहकों को बेहतर संग्रहण मूल्य दे रही है।

Forest Minister Kedar Kashyap said- green gold is bringing change in lives of forest dwellers in Chhattisgarh
वन मंत्री केदार कश्यप बोले- हरे सोने से वनवासियों के जीवन में आ रहा बदलाव - फोटो : अमर उजाला
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छत्तीसगढ़ के वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हरे सोने को वनवासियों के जीवन में बदलाव लाने का माध्यम बनाया है। हमारी सरकार तेन्दूपत्ता संग्राहकों को बेहतर संग्रहण मूल्य दे रही है। हमने संग्रहण दर भी बढ़ाकर पांच हजार 500 रुपये कर दिया है। वे आज कोंडागांव जिले के गोलावंड स्थित तेन्दूपत्ता फड़ का अवलोकन कर संग्रहण कर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे।
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वनमंत्री कश्यप ने कहा कि विष्णुदेव सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्रहण नीति में बदलाव लाकर संग्राहकों को हर प्रकार की सुविधा दे रही है। हमारी सरकार ने न केवल संग्रहण दर में वृद्धि की, बल्कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए फिर से चरण पादुका योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। संग्राहक परिवारों को हमारी सरकार बोनस भी दे रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार वनवासियों से अपने वादे के अनुसार तेन्दूपत्ता 5500 रुपए प्रति मानक बोरा की दर से पारिश्रमिक दे रही है। तेंदूपत्ता संग्रहण दर में बढ़ोतरी से 12 लाख 50 हजार संग्राहक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। संग्रहण दर में बढ़ोतरी से संग्राहक भाई-बहनों को 240 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होने की संभावना है।
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वनमंत्री कश्यप ने कहा कि तेन्दूपत्ता से आदिवासी समाज भावनात्मक रूप से जुड़ा मामला है। आदिवासियों के सभी अधिकारों का हम ध्यान रख रहे हैं। आदिवासियों के जीवन में बेहतरी के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना और धरती आबा ग्राम उत्कर्ष जैसी योजनाएं भी संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि बस्तर में 65 प्रकार की विभिन्न लघु वनोपजों का संग्रहण होता है। इनका ज्यादा से ज्यादा प्रसंस्करण और वैल्यू एडीशन स्थानीय स्तर पर ही हो, इस दिशा में हम ठोस प्रयास करेंगे। बस्तर में भरपूर मात्रा में कोदो-कुटकी-रागी का उत्पादन होता है, जिसकी मांग पूरी दुनिया में है। मिलेट्स के प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन की व्यवस्था भी की जा रही है। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
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