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'अजीत जोगी की प्रतिमा लगेगी नहीं तो मेरी लाश जाएगी': इस शर्त पर थमा दो दिन से छिड़ा रार, अमित ने कही ये बात

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Tue, 27 May 2025 08:02 PM IST
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सार

Amit Jogi on Ajit jogi  statue : छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा के खंडित और चोरी करने के केस में दो दिन से छिड़ा रार फिलहाल थम गया है।

'If Ajit Jogi statue is not installed, my dead body will be taken said JCCJ president amit jogi
अजीज जोगी की आदमकद प्रतिमा, जेसीसीजे के अध्यक्ष अमित जोगी - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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Amit Jogi on Ajit jogi  statue : छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा के खंडित और चोरी करने के केस में दो दिन से छिड़ा रार फिलहाल थम गया है। प्रशासन और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी यानी जेसीसीजे के अध्यक्ष अमित जोगी और उनके समर्थकों के बीच लिखित सहमति के बाद चबूतरा के पास प्रतिमा को अस्थायी रूप से रखा गया है। इस प्रकरण को लेकर जहां अमित जोगी ने पेंड्रा में अनशन कर शासन-प्रशासन को चेताया तो वहीं रायपुर में जेसीसीजे प्रवक्ता भगवानू नायक और पार्टी के संगठन मंत्री सौरभ झा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामले को जल्द समाधान नहीं करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। 
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इस मामले में अमित जोगी ने पेंड्रा में कहा कि तीन दिन बाद मेरे पिता की पांचवीं पुण्यतिथि है। ऐसे समय में मैं नहीं चाहता कि विवाद और बढ़े इसलिए शांति बनाए रखने के लिये लिखित सहमति पर हस्ताक्षर किया गया है। हालांकि उन्होंने प्रशासन की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा  "कल तक जो प्रतिमा चोरी के बाद प्रशासन स्वयं लगाना चाहता था, वह आज अचानक विवादित कैसे हो गई? ये समझ से परे है। जोगी ने दो टूक कहा कि मैं प्रशासन की कार्रवाई से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं, लेकिन इस पवित्र अवसर पर शांति भंग नहीं होने देना चाहता। 




इससे पहले जेसीसीजे अध्यक्ष जोगी ने अनशन पर बैठकर कहा था कि मूर्ति लगेगी नहीं तो मेरी लाश जाएगी। वो सोमवार से अनशन पर बैठे हुए थे। मामले में सीएम साय से उनकी माता रेणु जोगी मिली थीं। इस प्रकरण में प्रशासन और जेसीसीजे कार्यकर्ताओं में विवाद बढ़ गया था। 






दूसरी ओर गौरेला पेंड्रा मरवाही प्रशासन का कहना है कि अजीत जोगी की प्रतिमा बिना वैधानिक अनुमति के स्थापित की गई थी। नगर पालिका परिषद गौरेला की आपत्ति के बाद यह स्थल विवादित घोषित कर दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि  "छत्तीसगढ़ शासन ने 2003 में महापुरुषों की प्रतिमाओं के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों और 1998 के परिपत्र के अंतर्गत नियमों का पालन करते हुए ही किसी भी प्रतिमा की स्थापना हो सकती है। हम इसी प्रक्रिया को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि मूर्ति को मरम्मत की जरूरत थी इसलिए उसे उठाकर संरक्षित करने की प्रक्रिया चल रही थी।
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