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CG News: छत्तीसगढ़ के सभी प्ले स्कूलों के लिए नए नियम लागू, तीन महीने में करना होगा अनिवार्य पंजीयन
अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Thu, 20 Nov 2025 12:33 PM IST
सार
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्य में संचालित सभी गैर-अनुदान प्राप्त पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यह आदेश बिलासपुर हाईकोर्ट में लंबित पीआईएल और प्रस्तावित प्ले स्कूल एक्ट के तहत तैयार किया गया है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्य में संचालित सभी गैर-अनुदान प्राप्त पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यह आदेश बिलासपुर हाईकोर्ट में लंबित पीआईएल और प्रस्तावित प्ले स्कूल एक्ट के तहत तैयार किया गया है। विभाग ने साफ किया है कि जो भी पूर्व-प्राथमिक विद्यालय कक्षा पहली से ऊपर की कक्षाएँ संचालित नहीं करते, उन्हें अब अपना पंजीयन तीन महीने के भीतर संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के पास अनिवार्य रूप से कराना होगा।
पंजीयन के दौरान संस्थानों को अपने नाम और संचालन से जुड़े विवरण, शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। साथ ही सभी स्कूलों को अनुसूची-एक में निर्धारित मानकों का पालन करना होगा, ताकि बच्चों को बेहतर वातावरण मिल सके। सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव करते हुए कहा है कि तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी पूर्व-प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 में प्रवेश की आयु सीमा बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा तय मानकों के अनुसार ही मानी जाएगी। आयु सत्यापन केवल शासन द्वारा जारी वैध दस्तावेजों के माध्यम से किया जाएगा।
बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में बच्चों पर शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता। स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और खेल-आधारित सीखने का माहौल विकसित करना अनिवार्य होगा, ताकि प्रारंभिक स्तर पर उनका समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रत्येक प्ले स्कूल में पालक-शिक्षक समिति गठित करना भी अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह समिति विद्यालय प्रारंभ होने के एक माह के भीतर गठित होगी, जिसमें अधिकतम हिस्सा पालकों का होगा और अध्यक्ष का चयन भी उन्हीं में से किया जाएगा। समिति में महिलाओं की भागीदारी 75 प्रतिशत तय की गई है। प्रत्येक कक्षा से एक पालक सदस्य शामिल किया जाएगा। समिति की बैठक हर तीन माह में आयोजित की जाएगी और सारी कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज की जाएगी।
राज्य सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे तीन महीने की अवधि में अपने जिलों में संचालित सभी पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों का पंजीयन सुनिश्चित करें और नियमित रूप से यह भी जांचें कि ये संस्थान निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं। शासन का मानना है कि यह दिशा-निर्देश राज्य में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुरक्षित, सुव्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
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पंजीयन के दौरान संस्थानों को अपने नाम और संचालन से जुड़े विवरण, शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। साथ ही सभी स्कूलों को अनुसूची-एक में निर्धारित मानकों का पालन करना होगा, ताकि बच्चों को बेहतर वातावरण मिल सके। सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव करते हुए कहा है कि तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी पूर्व-प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 में प्रवेश की आयु सीमा बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा तय मानकों के अनुसार ही मानी जाएगी। आयु सत्यापन केवल शासन द्वारा जारी वैध दस्तावेजों के माध्यम से किया जाएगा।
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बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में बच्चों पर शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता। स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और खेल-आधारित सीखने का माहौल विकसित करना अनिवार्य होगा, ताकि प्रारंभिक स्तर पर उनका समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रत्येक प्ले स्कूल में पालक-शिक्षक समिति गठित करना भी अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह समिति विद्यालय प्रारंभ होने के एक माह के भीतर गठित होगी, जिसमें अधिकतम हिस्सा पालकों का होगा और अध्यक्ष का चयन भी उन्हीं में से किया जाएगा। समिति में महिलाओं की भागीदारी 75 प्रतिशत तय की गई है। प्रत्येक कक्षा से एक पालक सदस्य शामिल किया जाएगा। समिति की बैठक हर तीन माह में आयोजित की जाएगी और सारी कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज की जाएगी।
राज्य सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे तीन महीने की अवधि में अपने जिलों में संचालित सभी पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों का पंजीयन सुनिश्चित करें और नियमित रूप से यह भी जांचें कि ये संस्थान निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं। शासन का मानना है कि यह दिशा-निर्देश राज्य में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुरक्षित, सुव्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।