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Raigarh: साइबर अपराधियों को बैंक खाता उपलब्ध करवा रहे थे, पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार
अमर उजाला नेटवर्क, रायगढ़
Published by: विजय पुंडीर
Updated Tue, 02 Sep 2025 09:19 PM IST
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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
- फोटो : अमर उजाला
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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में पुलिस ने साइबर अपराधियों को बैंक खाता उपलब्ध कराने के आरोप में दो लोगों को सक्ती जिले से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लोन दिलाने के बहाने जरूरतमंदों से बैंक खाते खुलवाकर उन खातों का साइबर अपराधों में उपयोग करते थे। जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह में पांच अन्य सदस्यों की संलिप्तता है जो फर्जी सिम कार्ड और अकाउंट खुलवाते थे, जिनकी तलाश की जा रही है।
जानकारी के अनुसार, भारत सरकार गृह मंत्रालय द्वारा संचालित भारतीय साइबर अपराध “समन्वय पोर्टल” के माध्यम से म्यूल खाताधारकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उप पुलिस अधीक्षक साइबर सेल रायगढ़ को शिकायत मिली थी। डीएसपी साइबर अनिल विश्वकर्मा के मार्गदर्शन पर कोतवाली थाना में की गई जांच में रायगढ़ के विभिन्न बैंक खातों में साइबर धोखाधड़ी से प्राप्त 69 लाख 18 हजार 979 रुपये जमा होना पाया गया। इन रकम को अलग-अलग राज्यों - उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल, कर्नाटका और महाराष्ट्र में भेजे गये थे, इन खातों में गये 5 लाख 22 हजार 798 रूपयों को होल्ड कराया गया है । धोखाधड़ी को लेकर कल थाना कोतवाली में मामला दर्ज किया गया।
जरूरतमंदों को करते थे टारगेट
जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्य पैसों की तंगी वाले लोगों को माइक्रोफाइनेंस कंपनियों में टारगेट करते थे और उन्हें मामूली रकम देकर बैंक खाते खुलवाने, खाता किट और सिम कार्ड अपने पास रखने के लिए राजी कर लेते थे। गवाहों के बयान, जांच में पुलिस छापेमारी कर आरोपी शिवाजी चन्द्रा और जितेश चन्द्रा तक पहुंची, जिसने पूछताछ करने पर उन्होंने गिरोह का खुलासा कर बताया कि वे प्रत्येक खाते के एवज में करीब 10 हजार रुपये पाते थे।

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जरूरतमंदों को करते थे टारगेट
जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्य पैसों की तंगी वाले लोगों को माइक्रोफाइनेंस कंपनियों में टारगेट करते थे और उन्हें मामूली रकम देकर बैंक खाते खुलवाने, खाता किट और सिम कार्ड अपने पास रखने के लिए राजी कर लेते थे। गवाहों के बयान, जांच में पुलिस छापेमारी कर आरोपी शिवाजी चन्द्रा और जितेश चन्द्रा तक पहुंची, जिसने पूछताछ करने पर उन्होंने गिरोह का खुलासा कर बताया कि वे प्रत्येक खाते के एवज में करीब 10 हजार रुपये पाते थे।