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दिल्ली विस्फोट के तार: चिंतित करने वाला व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल, सुनियोजित साजिश का संकेत

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Wed, 12 Nov 2025 05:23 AM IST
सार
विभिन्न राज्यों में आतंकी संगठनों से जुड़ाव रखने वाले डॉक्टरों के नेटवर्क का भंडाफोड़ और भारी मात्रा में विस्फोटक मिलने के बाद राजधानी दिल्ली में लाल किले के नजदीक कार में हुए विस्फोट के तार जैसे-जैसे खुल रहे हैं, वे एक सुनियोजित साजिश का संकेत देते हैं।
 
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Delhi blasts doctor terror module hints at well-planned conspiracy
दिल्ली में धमाके के बाद जांच करती पुलिस टीम और सुरक्षाबल - फोटो : पीटीआई

विस्तार
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हाल ही में, देश के अलग-अलग राज्यों में आतंकी संगठनों से जुड़ाव रखने वाले डॉक्टरों के नेटवर्क का भंडाफोड़ और हजारों किलोग्राम विस्फोटक मिलने के बाद अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के निकट सोमवार को कार में हुए विस्फोट ने पूरे देश को स्तब्ध तो किया ही है, यह किसी सुनियोजित साजिश की ओर भी इशारा करता है। विस्फोट में मृतकों की संख्या बढ़कर करीब 13 तक पहुंच गई है और जो जानकारियां प्राप्त हो रही हैं, उनके अनुसार, पुलवामा में रहने वाले एक शख्स मोहम्मद उमर नबी, जो खुद एक डॉक्टर है, ने ही सफेद कार में विस्फोटकों के साथ खुद को भी उड़ा लिया।


जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डीएनए परीक्षण के लिए पुलवामा में उसके परिवार को हिरासत में लिया है। वहीं फरीदाबाद से हिरासत में ली गई महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद को भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग की प्रमुख बताया जा रहा है। एजेंसियां जिस गति से जांच को आगे बढ़ा रही हैं, उससे उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों को शिकंजे में लिया जा सकेगा। हां, यह जरूर है कि फरीदाबाद में विस्फोटकों की भारी बरामदगी के बाद दिल्ली समेत पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुलिस तंत्र को अतिरिक्त सतर्कता की मुद्रा में आ जाना चाहिए था।


इसके बावजूद, केंद्रीय गृह मंत्री का सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के साथ बैठक में यह कहना आश्वस्त करने वाला है कि हर एक दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। गौरतलब है कि हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में जिस व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल का पता चला है, वह बेहद चिंतित करने वाला है। इसके तहत, उच्च शिक्षित पेशेवर पाकिस्तान और दूसरे देशों से संचालित हो रहे आतंकी संगठनों के लिए भर्ती, फंडिंग और लॉजिस्टिक्स का काम कर रहे थे।

दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद जैसे सीमा पार से संचालित हो रहे आतंकी संगठन पारंपरिक लड़ाकों के बजाय अब इन्हीं स्लीपर सेल्स पर अधिक निर्भर हैं, जो समाज में सम्मानित पदों पर रहते हुए चुपचाप घातक योजनाएं बुनते रहते हैं। ऐसे में, दिल्ली में हुआ हादसा लंबे समय से चली आ रही रणनीति का हिस्सा ही अधिक लगता है।

जाहिर है कि इस हादसे का असर केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की एकता व शांति के लिए खतरा है। लेकिन, ऐसी विपत्तियों में ही राष्ट्र की असली ताकत झलकती है। दोषियों को सजा सुनिश्चित करने की दिशा में जांच एजेंसियां और सरकार तो अपना काम कर ही रही हैं, लोगों को भी पूरी तरह सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने के लिए हरदम तैयार रहने की जरूरत है।
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