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बीसीसीआई का बड़ा फैसला: यौन शोषण के मामलों को लेकर बोर्ड ने बनाई नीति, दायरे में बड़े-बड़े अधिकारी होंगे शामिल
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Mon, 20 Sep 2021 08:25 PM IST
सार
नीति में व्यापक दायरे के उपाय अपनाए गए हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि 'यौन उत्पीड़न क्या है' और 'इसके दायरे में कौन-कौन आएंगे'।
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बीसीसीआई
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की शीर्ष परिषद की बैठक में यौन शोषण रोकथाम नीति (पीओएसएच) को मंजूरी दी गई है। अब तक यौन शोषण की शिकायतों से निपटने के लिए बोर्ड की कोई नीति नहीं थी। सीईओ राहुल जोहरी के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों के बाद बोर्ड ने आंतरिक समिति बनाई। जोहरी को आरोपों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था।
नीति में व्यापक दायरे के उपाय अपनाए गए हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि 'यौन उत्पीड़न क्या है' और 'इसके दायरे में कौन-कौन आएंगे'। इसके अलावा इस नीति में उपचारात्मक उपाय, कार्रवाई की समय सीमा, शिकायत समिति, जांच का तरीके और उत्पीड़न के लिए दंड के बारे भी बताया गया है।
बीसीसीआई ने यह बड़ा कदम उठाते हुए कई पदाधिकारियों और खिलाड़ियों को भी उत्पीड़न के दायरे में लाया है और विशेष रूप से उल्लेख किया है कि एक महिला द्वारा एक मैच में भी शिकायत को भी यौन उत्पीड़न माना जाएगा।
नीति में यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई प्रतिशोध नहीं लिया जाएगा और मामले की गोपनीयता को सख्ती से लागू किया जाएगा। इसके अलावा, बीसीसीआई शिकायतकर्ता को ऐसी शिकायत दर्ज करने में भी मदद करेगा और अपराधी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा।
पदाधिकारियों और खिलाड़ियों के अलावा बीसीसीआई अपेक्स काउंसिल के सदस्य, आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य, बीसीसीआई के कर्मचारी, कमेंटेटर, टीम के सहयोगी स्टाफ, अंपायर जैसे मैच अधिकारी और राज्य संघ के सदस्य भी इस नीति के दायरे में आते हैं।
नीति में कहा गया है कि बीसीसीआई कार्यालय के अलावा, राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए), मैच के स्थान, प्रशिक्षण के स्थान, होटल और बैठक स्थल भी कार्यस्थल की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।
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नीति में व्यापक दायरे के उपाय अपनाए गए हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि 'यौन उत्पीड़न क्या है' और 'इसके दायरे में कौन-कौन आएंगे'। इसके अलावा इस नीति में उपचारात्मक उपाय, कार्रवाई की समय सीमा, शिकायत समिति, जांच का तरीके और उत्पीड़न के लिए दंड के बारे भी बताया गया है।
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बीसीसीआई ने यह बड़ा कदम उठाते हुए कई पदाधिकारियों और खिलाड़ियों को भी उत्पीड़न के दायरे में लाया है और विशेष रूप से उल्लेख किया है कि एक महिला द्वारा एक मैच में भी शिकायत को भी यौन उत्पीड़न माना जाएगा।
नीति में यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई प्रतिशोध नहीं लिया जाएगा और मामले की गोपनीयता को सख्ती से लागू किया जाएगा। इसके अलावा, बीसीसीआई शिकायतकर्ता को ऐसी शिकायत दर्ज करने में भी मदद करेगा और अपराधी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा।
पदाधिकारियों और खिलाड़ियों के अलावा बीसीसीआई अपेक्स काउंसिल के सदस्य, आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य, बीसीसीआई के कर्मचारी, कमेंटेटर, टीम के सहयोगी स्टाफ, अंपायर जैसे मैच अधिकारी और राज्य संघ के सदस्य भी इस नीति के दायरे में आते हैं।
नीति में कहा गया है कि बीसीसीआई कार्यालय के अलावा, राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए), मैच के स्थान, प्रशिक्षण के स्थान, होटल और बैठक स्थल भी कार्यस्थल की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।