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6 वजह: IPL 2020 से बाहर होने वाली सीएसके इस साल सबसे पहले फाइनल में पहुंची, धोनी की 'बूढ़ी टीम' ने ऐसे पलटी बाजी
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, दुबई
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Mon, 11 Oct 2021 06:51 AM IST
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सार
धोनी की अगुआई वाली सीएसके के लिए फाइनल में पहुंचना इसलिए भी और महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले साल (आईपीएल 2020) टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। जानिए सीएसके की कामयाबी के छह बड़े कारण..

आईपीएल 2021
- फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
आईपीएल 2021 अपने अंजाम तक पहुंचने जा रहा है। प्लेऑफ की शुरुआत हो चुकी है। पहले क्वालिफायर में महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने दिल्ली कैपिटल्स को चार विकेट से हरा दिया। इस जीत के साथ ही धोनी की टीम रिकॉर्ड नौवीं बार आईपीएल फाइनल में पहुंच गई। उनसे ज्यादा बार कोई टीम फाइनल में नहीं पहुंची है। टीम 2010, 2011 और 2018 में खिताब भी जीत चुकी है। इसके अलावा 2008, 2012, 2013, 2015 और 2019 में फाइनल में पहुंच चुकी है।
धोनी की अगुवाई वाली सीएसके के लिए फाइनल में पहुंचना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले साल (आईपीएल 2020) टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। मगर इस बार सीएसके ने कायापलट किया है और आईपीएल 2021 के फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बन गई।
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धोनी की अगुवाई वाली सीएसके के लिए फाइनल में पहुंचना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले साल (आईपीएल 2020) टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। मगर इस बार सीएसके ने कायापलट किया है और आईपीएल 2021 के फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बन गई।
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लीग राउंड में दूसरे पायदान पर थी धोनी की टीम
कोरोना महामारी के चलते पहले चरण के स्थगित होने तक चेन्नई सुपर किंग्स अंक तालिका में दूसरे स्थान पर थी। धोनी की अगुवाई वाली सीएसके ने अपने सात मैचों में से पांच में जीत दर्ज की थी। वहीं, दूसरे चरण में टीम ने सात में से चार मैच जीते। दोनों चरणों को मिलाकर टीम ने 14 में से नौ मैच जीते और 18 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रही।
पिछले साल चेन्नई पूरी तरह फ्लॉप रही थी
आईपीएल 2020 में तीन बार की चैंपियन सीएसके की टीम पूरी तरह फ्लॉप रही थी। आईपीएल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब धोनी की टीम प्लेऑफ में नहीं पहुंची थी। पिछले सीजन में चेन्नई ने 14 मैच खेले। इनमें केवल छह मैचों में उसे जीत मिली। 12 अंकों के साथ टीम अंक तालिका में सातवें पायदान पर थी। तब सीएसके आईपीएल से बाहर होने वाली पहली टीम बनी थी। आइए हम आपको इस साल चेन्नई की कामयाबी की छह बड़े कारण बता रहे हैं...
कोरोना महामारी के चलते पहले चरण के स्थगित होने तक चेन्नई सुपर किंग्स अंक तालिका में दूसरे स्थान पर थी। धोनी की अगुवाई वाली सीएसके ने अपने सात मैचों में से पांच में जीत दर्ज की थी। वहीं, दूसरे चरण में टीम ने सात में से चार मैच जीते। दोनों चरणों को मिलाकर टीम ने 14 में से नौ मैच जीते और 18 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रही।
पिछले साल चेन्नई पूरी तरह फ्लॉप रही थी
आईपीएल 2020 में तीन बार की चैंपियन सीएसके की टीम पूरी तरह फ्लॉप रही थी। आईपीएल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब धोनी की टीम प्लेऑफ में नहीं पहुंची थी। पिछले सीजन में चेन्नई ने 14 मैच खेले। इनमें केवल छह मैचों में उसे जीत मिली। 12 अंकों के साथ टीम अंक तालिका में सातवें पायदान पर थी। तब सीएसके आईपीएल से बाहर होने वाली पहली टीम बनी थी। आइए हम आपको इस साल चेन्नई की कामयाबी की छह बड़े कारण बता रहे हैं...

चेन्नई सुपर किंग्स
- फोटो : सोशल मीडिया
1. अपनी कोर टीम को बनाए रखना: ऐसा नहीं है कि पिछले सीजन की अपेक्षा आईपीएल के 14वें सीजन में धोनी ने अपनी टीम में कुछ खास बदलाव किए। सीएसके ने इस साल बस दो-तीन महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को खरीदा। चेन्नई ने नीलामी में मोईन अली को सात करोड़ और कृष्णप्पा गौतम को 9.25 करोड़ रुपये में खरीदा था। इसके अलावा रॉबिन उथप्पा को ट्रेड किया।
पहले फेज में मोईन ने अपनी तूफानी बल्लेबाजी और सधी हुई गेंदबाजी की बदौलत टीम को जीत दिलाई। वहीं, दूसरे फेज में रवींद्र जडेजा, उथप्पा, फाफ डुप्लेसिस और ऋतुराज गायकवाड़ ने शानदार बल्लेबाजी से टीम को मजबूती दी।
इसके अलावा गेंदबाजी में जोश हेजलवुड और दीपक चाहर ने अच्छा प्रदर्शन किया है। यानी धोनी ने पिछले कुछ सालों में अपनी कोर टीम को बनाए रखा। इसमें धोनी के अलावा ब्रावो, इमरान ताहिर, जडेजा, रैना, रायुडू और डुप्लेसिस शामिल हैं।
पहले फेज में मोईन ने अपनी तूफानी बल्लेबाजी और सधी हुई गेंदबाजी की बदौलत टीम को जीत दिलाई। वहीं, दूसरे फेज में रवींद्र जडेजा, उथप्पा, फाफ डुप्लेसिस और ऋतुराज गायकवाड़ ने शानदार बल्लेबाजी से टीम को मजबूती दी।
इसके अलावा गेंदबाजी में जोश हेजलवुड और दीपक चाहर ने अच्छा प्रदर्शन किया है। यानी धोनी ने पिछले कुछ सालों में अपनी कोर टीम को बनाए रखा। इसमें धोनी के अलावा ब्रावो, इमरान ताहिर, जडेजा, रैना, रायुडू और डुप्लेसिस शामिल हैं।

ऋतुराज गायकवाड़
- फोटो : सोशल मीडिया
2. अपने खिलाड़ियों को बैक किया: धोनी उन कप्तानों में गिने जाते हैं, जो बुरे समय में भी अपने खिलाड़ियों को खूब सपोर्ट करते हैं। पिछले सीजन जब चेन्नई की बल्लेबाजी फ्लॉप रही थी, तब भी उन्होंने अपने बल्लेबाजों को सपोर्ट किया था। ऋतुराज पिछले सीजन अपने पहले दो मैच में बेहद खराब खेले थे। इसके बाद धोनी की खूब आलोचना भी हुई थी। धोनी ने ऋतुराज को तब सपोर्ट किया था और अब इसका परिणाम सबके सामने है।
पिछले सीजन ऋतुराज ने तीन फिफ्टी लगाई और इस साल ऑरेंज कैप की रेस में हैं। इस सीजन 15 मैचों में ऋतुराज ने 603 रन बनाए हैं। सबसे ज्यादा रन बनाने वाले पंजाब के केएल राहुल (626 रन) से बस 23 रन पीछे हैं। इसके अलावा रैना ने पिछला सीजन निजी कारणों से नहीं खेला था। इस साल ड्रॉप करने की बजाय टीम मैनेजमेंट और धोनी ने उन्हें रिटेन किया।
पिछले सीजन ऋतुराज ने तीन फिफ्टी लगाई और इस साल ऑरेंज कैप की रेस में हैं। इस सीजन 15 मैचों में ऋतुराज ने 603 रन बनाए हैं। सबसे ज्यादा रन बनाने वाले पंजाब के केएल राहुल (626 रन) से बस 23 रन पीछे हैं। इसके अलावा रैना ने पिछला सीजन निजी कारणों से नहीं खेला था। इस साल ड्रॉप करने की बजाय टीम मैनेजमेंट और धोनी ने उन्हें रिटेन किया।
3. आत्मविश्वास: फॉर्म और तक्नीक ऐसी दो चीजें हैं जो समय-समय पर बदलती रहती हैं, पर आत्मविश्वास एक ऐसी चीज है जो खिलाड़ियों को अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है। पिछले सीजन खराब प्रदर्शन के बावजूद टीम मैनेजमेंट ने अपने खिलाड़ियों का मनोबल नहीं टूटने दिया। उन्हें अपने कप्तान धोनी और टीम पर पूरा भरोस था। यही भरोसा इस साल टीम की कामयाबी का कारण बना। जब कोई खिलाड़ी नहीं चला तो उसकी जगह किसी दूसरे खिलाड़ी ने शानदार प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाई।

ऋतुराज गायकवाड़ और फाफ डुप्लेसिस
- फोटो : सोशल मीडिया
4. टॉप-तीन बल्लेबाजों का प्रदर्शन: आईपीएल 2020 में चेन्नई की हार के पीछे उनके बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन बड़ी वजह थी। खास तौर पर टीम के टॉप तीन बल्लेबाजों ने निराश किया था। शेन वाटसन ने 11 मैचों में 299 रन बनाए।
इसके बाद धोनी ने सैम करन को ओपनिंग करने भेजा। वह भी कुछ खास नहीं कर सके। पिछले सीजन सिर्फ डुप्लेसिस और अंबाती रायुडू ही फॉर्म में दिखे थे। डुप्लेसिस ने 13 मैचों में 449 रन और रायुडू ने 12 मैचों में 359 रन बनाए।
इस साल सीएसके के टॉप तीन बल्लेबाज शानदार फॉर्म में दिखे। यही तीनों अब तक टीम के सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी हैं। ऋतुराज 15 मैचों में 603 रन के साथ पहले, डुप्लेसिस 15 मैचों में 547 रन के साथ दूसरे और मोईन अली 14 मैचों में 320 रन के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
इन तीनों ने अपने प्रदर्शन से टीम को कई मुकाबलों में जीत दिलाई। इसके अलावा चौथे नंबर पर आने वाले रायुडू ने भी 15 मैचों में 257 रन बनाए हैं। जरूरत पड़ने पर जडेजा ने भी निचले क्रम में कई तूफानी पारियां खेली हैं।
इसके बाद धोनी ने सैम करन को ओपनिंग करने भेजा। वह भी कुछ खास नहीं कर सके। पिछले सीजन सिर्फ डुप्लेसिस और अंबाती रायुडू ही फॉर्म में दिखे थे। डुप्लेसिस ने 13 मैचों में 449 रन और रायुडू ने 12 मैचों में 359 रन बनाए।
इस साल सीएसके के टॉप तीन बल्लेबाज शानदार फॉर्म में दिखे। यही तीनों अब तक टीम के सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी हैं। ऋतुराज 15 मैचों में 603 रन के साथ पहले, डुप्लेसिस 15 मैचों में 547 रन के साथ दूसरे और मोईन अली 14 मैचों में 320 रन के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
इन तीनों ने अपने प्रदर्शन से टीम को कई मुकाबलों में जीत दिलाई। इसके अलावा चौथे नंबर पर आने वाले रायुडू ने भी 15 मैचों में 257 रन बनाए हैं। जरूरत पड़ने पर जडेजा ने भी निचले क्रम में कई तूफानी पारियां खेली हैं।
5. शानदार गेंदबाजी: एक तरफ टीम के बल्लेबाजों ने तो शानदार प्रदर्शन किया ही है, वहीं दूसरी तरफ गेंदबाजों ने भी उनका अच्छा साथ निभाया है। शार्दुल ठाकुर और दीपक चाहर की जोड़ी ने सामने वाली टीमों का खूब परेशान किया है। दीपक ने अगर पावरप्ले में विकेट चटकाया है तो शार्दुल ने मिडिल ओवर्स में खूब विकेट लिए हैं।
जोश हेजलवुड और रवींद्र जडेजा ने भी अपनी सधी हुई गेंदबाजी से विपक्षी टीम को रन बनाने से रोका है और जरूरत पड़ने पर विकेट भी चटकाए हैं। ड्वेन ब्रावो की डेथ ओवर में गेंदबाजी को कौन भूल सकता है। कई मैचों में अपनी सटीक यॉर्कर से ब्रावो ने सीएसके को जीत दिलाई।
जोश हेजलवुड और रवींद्र जडेजा ने भी अपनी सधी हुई गेंदबाजी से विपक्षी टीम को रन बनाने से रोका है और जरूरत पड़ने पर विकेट भी चटकाए हैं। ड्वेन ब्रावो की डेथ ओवर में गेंदबाजी को कौन भूल सकता है। कई मैचों में अपनी सटीक यॉर्कर से ब्रावो ने सीएसके को जीत दिलाई।

महेंद्र सिंह धोनी
- फोटो : सोशल मीडिया
6. खुद कप्तान धोनी: 40 साल की उम्र में धोनी भले ही एक शानदार बल्लेबाज न रहें हों, लेकिन अब भी वह शानदार कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में 2007-08 के दौर की झलक मिलती है, या कहें कि उससे बेहतर झलक मिलती है। ब्रावो को कब गेंदबाजी सौंपनी है या विराट कोहली को कैसे जाल में फंसाना है, यह धोनी से बेहतर कोई नहीं जानता होगा।
उनकी ही कप्तानी में सीएसके चैंपियन टीम बनी है। पिछले साल टीम के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी धोनी ने अपने ऊपर ली थी। इस साल उन्होंने अपने खिलाड़ियों की हौसला-अफजाई की और टीम को जीत की पटरी पर वापस लाए।
उनकी ही कप्तानी में सीएसके चैंपियन टीम बनी है। पिछले साल टीम के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी धोनी ने अपने ऊपर ली थी। इस साल उन्होंने अपने खिलाड़ियों की हौसला-अफजाई की और टीम को जीत की पटरी पर वापस लाए।
आईपीएल में चेन्नई का सफर
साल | नतीजा | सबसे ज्यादा रन | सबसे ज्यादा विकेट |
2008 | रनरअप | सुरेश रैना (421) | मनप्रीत गोनी (17) |
2009 | सेमीफाइनल | मैथ्यू हेडन (572) | मुथैया मुरलीधरन (14) |
2010 | चैंपियन | सुरेश रैना (520) | मुथैया मुरलीधरन (15) |
2011 | चैंपियन | माइकल हसी (492) | आर अश्विन (20) |
2012 | रनरअप | सुरेश रैना (441) | ड्वेन ब्रावो (15) |
2013 | रनरअप | माइकल हसी (492) | ड्वेन ब्रावो (20) |
2014 | क्वालिफायर दो | ड्वेन स्मिथ (566) | मोहित शर्मा (23) |
2015 | रनरअप | ब्रैंडन मैकुलम (436) | ड्वेन ब्रावो (26) |
2018 | चैंपियन | अंबाती रायुडू (602) | शार्दुल ठाकुर (16) |
2019 | रनरअप | एम एस धोनी (416) | इमरान ताहिर (26) |
2020 | नंबर सात | फाफ डुप्लेसिस (449) | सैम करन (13) |
2021* | फाइनल* | ऋतुराज गायकवाड़ (603)* | शार्दुल ठाकुर (18)* |