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पाक की कायराना हरकत से खौल रहा सेवानिवृत्त फौजियों का खून, कुछ इस तरह ललकारा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Fri, 01 Mar 2019 10:12 AM IST
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iaf surgical strike in pok retired army personnel is in anger dehradun
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साल 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में भाग लेने वाले 78 वर्षीय मेजर वाईबी थापा (सेवानिवृत्त) का आतंक के नाम पर आज भी खून खौलता है। वह कहते हैं कि मन करता है आतंकियाें को चुन-चुन कर मौत के घाट उतार दूं। 

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उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उन्हें छह गोलियां लगी थीं। जिसके चलते वह साढ़े चार साल तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। मंगलवार को भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि सेना ने आतंकवाद के खिलाफ सटीक कार्रवाई की है। आतंकवाद का सफाया करने के लिए ऐसी ही कार्रवाई की आवश्यकता है। यह कार्रवाई शहीद जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि है। 
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मेजर थापा ने कहा कि उन्होंने कभी हारना नहीं सीखा। युद्ध के दौरान के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय पाकिस्तान भारत के साथ बराबरी के युद्ध के दावे कर रहा था और बार-बार हमारे देश को रौंदने की धमकी देता था, लेकिन भारतीय सेना ने दोनों युद्धों में पाक को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।   

दो दोस्तों ने साथ में उड़ाई थी दुश्मन की नींद 

वर्ष 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में दून के दो दोस्त हवलदार बिसन सिंह और सूबेदार लाल बहादुर क्षेत्री (दोनों सेवानिवृत्त) ने साथ मिलकर आतंकियों की नींद उड़ाई थी। बिसन सिंह ने बताया कि दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि दोनों साथ में सेना में भर्ती हुए थे। जिसके बाद 1/9 गोरखा बटालियन में दोनों ने मिलकर देश की रक्षा की।

लाल बहादुर क्षेत्री ने बताया कि वर्ष 1965 युद्ध के दौरान उन्हें दाएं पैर में गोली भी लगी थी, जबकि बिसन सिंह के सिर में चोट लगने से वह कान से भी कम सुनते हैं। अब दोनों ने भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि हमारी सेना ने जवानों की शहादत का मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि पाक ने हमेशा पीछे से हमला किया है और हर बार भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। 

आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई से आ गई पापा की याद

पुलवामा में 14 फरवरी के हुए आतंकी हमले की के बाद भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई से दून के रहने वाले बीएस अधिकारी को अपने पिता की शहादत की याद आ गई। बीएस अधिकारी के पिता नायब सूबेदार ईश्वर सिंह अधिकारी वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गए थे। 

संगम विहार गढ़ी कैंट में रहने वाले बीएस अधिकारी ने कहा कि जब भी सीमा पर तनाव होता है, उन्हें अपने पिता की बहादुरी याद आती है। वह चार भाई-बहन हैं। पिता के शहीद होने के वक्त चारों भाई-बहन छोटे थे। उन्होंने बताया कि छोटी उम्र में ही पिता का साया उठ गया था लेकिन पिता की बहादुरी के बारे में अक्सर आसपास के लोग बताते थे। 

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