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Live-In Relationship: राजधानी देहरादून के दो जोड़ों ने मांगी संग रहने की अनुमति, UCC पोर्टल पर किया आवेदन

अश्वनी त्रिपाठी, अमर उजाला, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Tue, 04 Feb 2025 09:38 AM IST
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सार

Live-In Relationship: दो युगलों ने यूसीसी पोर्टल पर लिव-इन का पंजीकरण कराने के लिए आवेदन किया है। पुलिस आवेदनों की जांच कर रही है।
 

Live-in relationship Two couples applied for live-in registration on UCC portal Uttarakhand News in hindi
कपल - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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एक ही छत के नीचे रहने के लिए विवाह के सात फेरों का बंधन अब अनिवार्य नहीं रहा। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता ने लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी तो दून में दो जोड़े सबसे पहले लिव-इन रिलेशन का पंजीकरण कराने के लिए आगे आए। यानी देश में दो जोड़े कानूनी संरक्षण में एक साथ रह सकेंगे।

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दोनों युगलों ने यूसीसी पोर्टल पर लिव-इन का पंजीकरण कराने के लिए आवेदन किया है। दून पुलिस आवेदनों की जांच कर रही है। दस्तावेज व दावे सही पाए जाने पर दोनों को लिव-इन में रहने की अनुमति दी जाएगी।

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पंजीकरण के सबसे पहले दो मामले आए सामने
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद देहरादून में भी इसके तहत पंजीकरण होने लगे हैं। दून में अब तक कुल 193 लोगों ने पोर्टल पर विभिन्न श्रेणियों में आवेदन किया है। विवाह पंजीकरण के अलावा विवाह विच्छेद, विवाह की निरर्थकता का पंजीकरण, कानूनी उत्तराधिकारियों की घोषणा, वसीयत पंजीकरण के लिए आवेदन किए जा रहे हैं।


लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण व लिव-इन रिलेशनशिप की समाप्ति के लिए अभी तक पंजीकरण की प्रक्रिया बेशक पूर्ण नहीं हुई है, लेकिन यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण के सबसे पहले दो मामले सामने आ चुके हैं। यूसीसी पंजीकरण के जिला नोडल अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि लिव इन पंजीकरण के आवेदनों को सीधे रजिस्ट्रार देखेंगे। आवेदनों की जांच रजिस्ट्रार स्तर से होने के बाद पुलिस की ओर से की जा रही है।

अगर पहले से लिव-इन में हैं तो एक माह का समय

समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव-इन रिलेशनशिप मामलों में संहिता लागू होने की तिथि से एक माह के अंदर पंजीकरण कराना होगा, जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप मामलों का पंजीकरण, रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक माह के अंदर कराना होगा। वहीं, ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरीके से लिव इन रिश्तों को समाप्त किया जा सकेगा। जोड़े के एक साथी की ओर से रिश्ता समाप्त करने का आवेदन करने पर रजिस्ट्रार दूसरे से पुष्टि करेगा। लिव इन में महिला के गर्भवती होने पर रजिस्ट्रार को सूचना देना अनिवार्य होगा। बच्चे के जन्म के 30 दिन के अंदर स्टेटस अपडेट कराना होगा।

यह होगी सजा

लिव-इन का अनिवार्य पंजीकरण नहीं कराने पर छह माह का कारावास या 25 हजार रुपये दंड अथवा दोनों का प्रावधान होगा।

रजिस्ट्रार से मिलेगी रसीद

लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को साथ में रहने के लिए अनिवार्य रूप से पंजीकरण यूसीसी वेब पोर्टल पर कराना होगा। पंजीकरण के बाद रजिस्ट्रार की ओर से जोड़े को एक रसीद दी जाएगी। इसी रसीद के आधार पर वह जोड़ा किराये पर घर, हाॅस्टल अथवा पीजी में रह सकेगा।

माता-पिता को दी जाएगी सूचना

लिव-इन में पंजीकरण करने वाले जोड़े की सूचना रजिस्ट्रार की ओर से उनके माता-पिता या अभिभावक को दी जाएगी। लिव इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उसी युगल की संतान माना जाएगा। इस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

लिव इन पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

महिला की तस्वीर, पुरुष की तस्वीर, उत्तराखंड के निवास का प्रमाण, बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र (यदि बच्चा पैदा हुआ है), बच्चे के गोद लेने का प्रमाणपत्र (यदि बच्चा गोद लिया गया), यदि व्यक्ति तलाकशुदा है तो तलाक के दस्तावेज, विवाह विच्छेद का प्रमाणपत्र, यदि पिछले संबंध की स्थिति विधवा है तो जीवनसाथी की मृत्यु का प्रमाणपत्र, यदि व्यक्ति के पिछले संबंध की स्थिति मृत लिव-इन पार्टनर है तो मृत महिला/पुरुष लिव-इन पार्टनर का मृत्यु प्रमाणपत्र, साझा घराने के स्वामित्व के लिए यूटिलिटी कंपनी का अंतिम बिजली बिल या पानी का बिल, आरडब्ल्यूए का अंतिम बिजली बिल या पानी का बिल, किराये पर साझा किए गए घर के लिए किराया समझौते के साथ सबूत का कोई भी एक दस्तावेज, मकान मालिक से एनओसी।

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रिलेशनशिप समाप्त करने के लिए दस्तावेज

बच्चे-बच्चों के विवरण के लिए जन्म प्रमाणपत्र (यदि बच्चा पैदा हुआ है) व गोद लेने का प्रमाणपत्र (यदि बच्चा गोद लिया गया है) प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद में अन्य जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।

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