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Dehradun News: फेफड़ों के रोग से ग्रसित लोग दीपावली पर घर से बाहर न निकलें
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दीपावली के त्योहार पर जमकर आतिशबाजी की जाती है। इस दौरान पटाखों के धुएं के कारण पहले से फेफड़े के रोगों से ग्रसित मरीजों को परेशानी बढ़ जाती है। इसके अलावा पटाखों के धुएं और चिंगारी से आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है। त्वचा जल सकती है। चिकित्सकों ने मरीजों और पटाखों का प्रयोग करने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।
उप जिला अस्पताल विकासनगर और सीएचसी साहिया के फिजिशयन डॉ. उमंग नौटियाल ने बताया कि पारंपरिक पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर, एल्युमिनियम जैसे रसायन और धातुओं का प्रयोग होता है। ग्रीन पटाखों में भी कम मात्रा में पोटेशियम नाइट्रेट और स्ट्रॉन्शियम नाइट्रेट होते हैं। इनमें रंग के लिए बेरियम, सीसा, तांबा की जगह स्ट्रॉन्शियम, सोडियम, आयरन जैसे हल्के धातुओं का प्रयोग किया जाता है। थोड़ा बहुत एल्युमिनियम और मैग्नीशियम का भी प्रयोग होता है। उन्होंने बताया कि पटाखों से निकलने वाले धुएं में रसायन और धातु के सूक्ष्म कण मौजूद रहते हैं। इससे अस्थमा, टीबी, ब्राेंकाइटिस, ब्रोन्किइक्टेसिस आदि से ग्रसित मरीजों के लिए सांस लेना दूभर हो जाता है। उन्होंने बताया कि मरीजों को दीपावली पर बिल्कुल भी बाहर नहीं निकलना है। वह घर पर दिए जलाकर या रंगोली बनाकर दीपावली मना सकते हैं। इसके साथ ही गंभीर मरीजों को हर समय अपनी दवाइयां और इनहेलर साथ रखने हैं। पटाखों का प्रयोग करने वाले लोग आंखों पर चश्मा पहनें। अगर चिंगारी या धुआं जाने से आंख लाल हो जाए तो उसे पानी से धोएं। आंखों को बिल्कुल भी हाथों से न रगड़े। परेशानी बढ़ने पर चिकित्सक को दिखाएं। पटाखों से त्वचा जलने पर उसे रगड़े नहीं, इससे ऊपरी त्वचा को नुकसान पहुंचने से घाव बन जाएगा। त्वचा के हल्के जलने पर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध क्रीम लगाएं। अधिक जलने पर तुरंत चिकित्सकों को दिखाएं।
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इंसुलिन लेने वाले मरीज अपनी डोज बढ़वा लें
विकासनगर। फिजिशियन डॉ. उमंग नौटियाल ने बताया कि दीपावली पर खानपान में बदलाव से डायबिटीज के मरीजों का शुगर लेवल बढ़ जाता है। मरीज पहले तो मीठे और बीमारी में नुकसानदायक अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। अगर सेवन कर रहे हैं तो अपने चिकित्सक से इंसुलिन की डोज बढ़वाने के लिए सलाह जरूर लें।
उप जिला अस्पताल विकासनगर और सीएचसी साहिया के फिजिशयन डॉ. उमंग नौटियाल ने बताया कि पारंपरिक पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर, एल्युमिनियम जैसे रसायन और धातुओं का प्रयोग होता है। ग्रीन पटाखों में भी कम मात्रा में पोटेशियम नाइट्रेट और स्ट्रॉन्शियम नाइट्रेट होते हैं। इनमें रंग के लिए बेरियम, सीसा, तांबा की जगह स्ट्रॉन्शियम, सोडियम, आयरन जैसे हल्के धातुओं का प्रयोग किया जाता है। थोड़ा बहुत एल्युमिनियम और मैग्नीशियम का भी प्रयोग होता है। उन्होंने बताया कि पटाखों से निकलने वाले धुएं में रसायन और धातु के सूक्ष्म कण मौजूद रहते हैं। इससे अस्थमा, टीबी, ब्राेंकाइटिस, ब्रोन्किइक्टेसिस आदि से ग्रसित मरीजों के लिए सांस लेना दूभर हो जाता है। उन्होंने बताया कि मरीजों को दीपावली पर बिल्कुल भी बाहर नहीं निकलना है। वह घर पर दिए जलाकर या रंगोली बनाकर दीपावली मना सकते हैं। इसके साथ ही गंभीर मरीजों को हर समय अपनी दवाइयां और इनहेलर साथ रखने हैं। पटाखों का प्रयोग करने वाले लोग आंखों पर चश्मा पहनें। अगर चिंगारी या धुआं जाने से आंख लाल हो जाए तो उसे पानी से धोएं। आंखों को बिल्कुल भी हाथों से न रगड़े। परेशानी बढ़ने पर चिकित्सक को दिखाएं। पटाखों से त्वचा जलने पर उसे रगड़े नहीं, इससे ऊपरी त्वचा को नुकसान पहुंचने से घाव बन जाएगा। त्वचा के हल्के जलने पर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध क्रीम लगाएं। अधिक जलने पर तुरंत चिकित्सकों को दिखाएं।
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इंसुलिन लेने वाले मरीज अपनी डोज बढ़वा लें
विकासनगर। फिजिशियन डॉ. उमंग नौटियाल ने बताया कि दीपावली पर खानपान में बदलाव से डायबिटीज के मरीजों का शुगर लेवल बढ़ जाता है। मरीज पहले तो मीठे और बीमारी में नुकसानदायक अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। अगर सेवन कर रहे हैं तो अपने चिकित्सक से इंसुलिन की डोज बढ़वाने के लिए सलाह जरूर लें।
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