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सैनिक स्कूल: पूर्व मंत्री हरक सिंह बोले- स्कूल बनता तो मेरे बच्चे नहीं पढ़ते...पूरे प्रदेश का होता भला

बिशन सिंह बोरा, अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Sun, 01 Oct 2023 02:09 PM IST
सार

वर्ष 2013 में तत्कालीन सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत ने रुद्रप्रयाग के जखोली में सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा की। इसके लिए रक्षा मंत्रालय की सैनिक स्कूल संचालन सोसाइटी ने वित्तीय मंजूरी दी थी। लेकिन कार्यदायी संस्था यूपी राज्य निर्माण निगम ने यह धनराशि रिटनिंग वाल बनाने में ही खर्च कर दी।

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Sainik School left incomplete after spending Rs 10 crore Harak Singh Statement Uttarakhand news in Hindi
हरक सिंह रावत - फोटो : अमर उजाला
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10 करोड़ खर्च कर सरकार ने सैन्य बहुल प्रदेश के दूसरे सैनिक स्कूल जखोली का निर्माण अधूरा छोड़ दिया। रुद्रप्रयाग जिले के जखोली में बनने वाले इस स्कूल के लिए तब सैनिक स्कूल संचालन सोसाइटी की वित्तीय मंजूरी मिली थी, लेकिन स्कूल का निर्माण रिटेनिंग वाल से आगे नहीं बढ़ पाया है।

पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के मुताबिक, स्कूल बनने से पूरे प्रदेश का भला होता। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी बताते हैं, स्कूल की डीपीआर तैयार कर इसे शासन को भेजा गया है। प्रदेश में वर्तमान में एकमात्र सैनिक स्कूल घोड़ाखाल नैनीताल जिले में यूपी के समय से चल रहा है। उत्तराखंड के अलग राज्य गठन के बाद राज्य में एक अन्य सैनिक स्कूल की जरूरत महसूस की गई।

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जखोली में की थी सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा
इसे देखते हुए वर्ष 2013 में तत्कालीन सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत ने रुद्रप्रयाग के जखोली में सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा की। इसके लिए रक्षा मंत्रालय की सैनिक स्कूल संचालन सोसाइटी ने वित्तीय मंजूरी दी थी। बताया गया कि केंद्र से स्कूल के लिए मंजूरी मिलने से पहले ही तत्कालीन मंत्री हरक सिंह ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन कार्यदायी संस्था यूपी राज्य निर्माण निगम ने यह धनराशि रिटनिंग वाल बनाने में ही खर्च कर दी।


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राज्य कर विभाग से सेवानिवृत्त ज्वाइंट कमिश्नर एसपी नौटियाल बताते हैं कि दीवार सही नहीं बन पाई थी। यही वजह रही कि काम रुकवाया गया। जो फिर आगे नहीं बढ़ा। वहीं, मामले की जांच आईआईटी रुड़की को दी गई, लेकिन जांच का नतीजा क्या रहा यह पहेली बना हुआ है।

52 एकड़ भूमि की गई थी चयनित

जखोली में सैनिक स्कूल के लिए 52 एकड़ भूमि चयनित की गई थी। स्कूल बनने से कम से कम 300 छात्रों को शैक्षणिक सुविधा मिलती। स्कूल के लिए स्थानीय ग्रामीणों ने यह सोचकर की क्षेत्र में सैनिक स्कूल बनेगा अपनी कृषि और गैर कृषि भूमि दान की थी।

सैनिक कल्याण-शिक्षा विभाग के बीच भी उलझा मामला

सैनिक स्कूल के निर्माण को लेकर शिक्षा और सैनिक कल्याण विभाग के बीच भी मामला उलझा रहा। शुरुआत में स्कूल का निर्माण कार्य सैनिक कल्याण विभाग ने कराया। जब काम लटक गया तो इसे शिक्षा विभाग को सौंप दिया गया।

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कोई योजना अच्छी है, तो उसका काम यह सोचकर नहीं रोका जाना चाहिए कि इसका श्रेय हरक को मिल जाएगा। इस स्कूल में मेरे बच्चे नहीं पढ़ते, इससे पूरे प्रदेश का भला होता। स्कूल के लिए केंद्र से मंजूरी मिल गई थी, सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था की गई थी। इसके खुलने से राज्य में दो सैनिक स्कूल हो जाते। -डाॅ. हरक सिंह रावत, पूर्व सैनिक कल्याण मंत्री

जिस स्थान पर स्कूल प्रस्तावित हैं, वहां स्लोप बहुत है, स्कूल निर्माण में बहुत अधिक लागत आ रही है, बिजली, पानी की भी दिक्कत है। विभाग की ओर से स्कूल की डीपीआर तैयार कराकर इसे शासन को भेज दिया गया है। अब शासन स्तर से इस पर निर्णय लिया जाना है। -बंशीधर तिवारी, शिक्षा महानिदेशक

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