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Tehri Garhwal: जिला पुस्तकालय में सात हजार किताबें चट कर गईं दीमक, धरोहर का ऐसा हाल, कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
विजय गुसाईं, संवाद न्यूज एजेंसी, टिहरी गढ़वाल
Published by: रेनू सकलानी
Updated Tue, 16 Dec 2025 02:38 PM IST
सार
पुरानी टिहरी से विस्थापित पुस्तकालय में करीब 49 हजार 169 ऐतिहासिक महत्व की पुरानी किताबें और पांडुलिपियां रखी गई थीं। लेकिन पुस्तकालय प्रबंधन और शिक्षा विभाग इन कीमती किताबों का सही संरक्षण नहीं कर पा रहा है।
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किताबें
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
बौराड़ी में घंटाघर के पास बने हाईटेक श्रीदेव सुमन राजकीय जिला पुस्तकालय में रखी सात हजार किताबें दीमक चट कर गईं। जबकि 17 हजार से अधिक किताबेंम स्टेडियम के पास बने युवा कल्याण विभाग की डोरमेट्री में फेंक दी गईं। देश-दुनिया के इतिहास को समेटे बेशकीमती किताबों का सही रखरखाव नहीं करने पर शिक्षा विभाग और जिला पुस्तकालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
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इस पुस्तकालय को कंप्यूटरीकृत कर वाई-फाई से जोड़ कर हाईटेक बनाया गया है। पुरानी टिहरी से विस्थापित पुस्तकालय में करीब 49 हजार 169 ऐतिहासिक महत्व की पुरानी किताबें और पांडुलिपियां रखी गई थीं। लेकिन पुस्तकालय प्रबंधन और शिक्षा विभाग इन कीमती किताबों का सही संरक्षण नहीं कर पा रहा है।
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5000 किताबें सरकारी स्कूलों में वितरित की गई
इतिहासकार महीपाल सिंह नेगी की ओर से आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में पुस्तकालयाध्यक्ष ने बताया कि पुस्तकालय में रखी गई करीब 7000 किताबें निष्प्रयोज्य घोषित की गई हैं, बताया गया कि उन किताबों को दीमक खा गई हैं। जबकि 17 हजार 169 किताबें स्टेडियम के पास बने युवा कल्याण विभाग की डोरमेट्री में रखा गया है। जवाब में बताया गया है कि पुस्तकालय में किताबों की छंटनी करने के बाद करीब 5000 किताबें सरकारी स्कूलों में वितरित कर दी गईं।
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अब पुस्तकालय में कुल 20 हजार किताबें रह गई हैं। इतिहासकार नेगी ने कहा कि पुरानी टिहरी की 102 साल से अधिक पुरानी धरोहर को इस तरह बरबाद किया जा रहा है। उन्होंने डीएम को दिए ज्ञापन में कहा कि ऐतिहासिक महत्व की कीमती किताबों का संरक्षण जरूरी है। उन्होंने बताया कि डीएम नितिका खंडेलवाल ने इस पर नाराजगी जताते हुए सीडीओ को सभी पुस्तकों का डिजिटलीकरण करने के साथ ही पुस्तकों को पुस्तकालय में ही संरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।

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