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Dehradun News: बिना चिकित्सा प्रभारी के चल रहा पीएचसी, फार्मासिस्ट देख रहे मरीज
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Iमरीजों को निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में करवाना पड़ रहा उपचारI
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केवल नाम के लिए चल रहा है। अस्पताल में लंबे समय से चिकित्सा प्रभारी नहीं है। अस्पताल के फार्मासिस्ट ही मरीजों का उपचार करते हैं। पूर्व में सीएचसी डोईवाला के एक चिकित्सक की सप्ताह में दो दिन अस्पताल में ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन डेंगू संक्रमण के चरमकाल से उन्होंने भी अस्पताल आना छोड़ दिया।
हरबर्टपुर में मरीजों को निजी अस्पतालों और क्लीनिक में उपचार करवाना पड़ रहा है। हरबर्टपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो खोला गया है। लेकिन यहां चिकित्सक नहीं है। करीब एक साल पहले यहां वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर चिकित्सक की तैनाती की गई थी। सीएचसी डोईवाला के चिकित्सक सप्ताह में दो बार अस्पताल में बैठते थे। लेकिन वह भी डेंगू संक्रमण बढ़ने पर ड्यूटी में व्यस्त हो गए।
उन्होंने अक्तूबर माह से अस्पताल आना छोड़ दिया। अस्पताल में पहले ओपीडी में मरीजों की संख्या 70 से 80 तक पहुंच गई थी। लेकिन जब मरीजों ने देखा कि यहां चिकित्सकों ने बैठना बंद कर दिया है तो ओपीडी भी 20 से 25 मरीजों पर आकर थम गई है।
Iअस्पताल में लैब नहीं, अनुबंधित के भरोसे जांचI
अस्पताल नगर पालिका हरबर्टपुर के पुराने भवन के दो कमरों में चल रहा है। यहां पर जगह न होने के चलते पैथोलॉजी लैब संचालित नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य विभाग से अनुबंधित निजी लैब मरीजों के सैंपल एकत्र करती हैैं। सैंपल को आगे जांच के लिए लैब में भेजा जाता है। वहीं दवाइयां रखने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है।
Iभर्ती करने के लिए जगह नहींI
अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड भी नहीं है। यहां केवल ओपीडी में ही मरीजों का उपचार होता है। बुखार, उल्टी दस्त आदि बीमारियों के मरीजों को भर्ती करने करने की जरूरत आ पड़े तो उनको रेफर कर दिया जाता है।
Iनया भवन लगभग तैयार, पर बिना चिकित्सक काम का नहींI
हरबर्टपुर में अस्पताल का नया भवन बन रहा है। भवन लगभग बनकर तैयार है। जल्द ही अस्पताल नए भवन में शिफ्ट हो जाएगा। लेकिन बिना चिकित्सक के केवल भवन निर्माण से मरीजों को लाभ नहीं मिलेगा।
Iअस्पताल में चिकित्सक नहीं है। भर्ती करने की सुविधा भी नहीं है। अगर रात को कोई बीमार पड़ जाए तो निजी अस्पतालों में लेकर जाना पड़ता है। अस्पताल बनाया है तो चिकित्सक भी होना चाहिए। - बीना चौहान, स्थानीय निवासी
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Iअस्पताल में केवल मामूली मर्ज की दवाइयां पकड़ा दी जाती है। चिकित्सक ही नहीं है तो उपचार कौन करेगा। बड़ी परेशानी होती है। मरीजों की परेशानी को देखते हुए चिकित्सक की तैनाती बहुत जरूरी है। - जितेंद्र रावत, स्थानीय निवासीI
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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केवल नाम के लिए चल रहा है। अस्पताल में लंबे समय से चिकित्सा प्रभारी नहीं है। अस्पताल के फार्मासिस्ट ही मरीजों का उपचार करते हैं। पूर्व में सीएचसी डोईवाला के एक चिकित्सक की सप्ताह में दो दिन अस्पताल में ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन डेंगू संक्रमण के चरमकाल से उन्होंने भी अस्पताल आना छोड़ दिया।
हरबर्टपुर में मरीजों को निजी अस्पतालों और क्लीनिक में उपचार करवाना पड़ रहा है। हरबर्टपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो खोला गया है। लेकिन यहां चिकित्सक नहीं है। करीब एक साल पहले यहां वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर चिकित्सक की तैनाती की गई थी। सीएचसी डोईवाला के चिकित्सक सप्ताह में दो बार अस्पताल में बैठते थे। लेकिन वह भी डेंगू संक्रमण बढ़ने पर ड्यूटी में व्यस्त हो गए।
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उन्होंने अक्तूबर माह से अस्पताल आना छोड़ दिया। अस्पताल में पहले ओपीडी में मरीजों की संख्या 70 से 80 तक पहुंच गई थी। लेकिन जब मरीजों ने देखा कि यहां चिकित्सकों ने बैठना बंद कर दिया है तो ओपीडी भी 20 से 25 मरीजों पर आकर थम गई है।
Iअस्पताल में लैब नहीं, अनुबंधित के भरोसे जांचI
अस्पताल नगर पालिका हरबर्टपुर के पुराने भवन के दो कमरों में चल रहा है। यहां पर जगह न होने के चलते पैथोलॉजी लैब संचालित नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य विभाग से अनुबंधित निजी लैब मरीजों के सैंपल एकत्र करती हैैं। सैंपल को आगे जांच के लिए लैब में भेजा जाता है। वहीं दवाइयां रखने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है।
Iभर्ती करने के लिए जगह नहींI
अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड भी नहीं है। यहां केवल ओपीडी में ही मरीजों का उपचार होता है। बुखार, उल्टी दस्त आदि बीमारियों के मरीजों को भर्ती करने करने की जरूरत आ पड़े तो उनको रेफर कर दिया जाता है।
Iनया भवन लगभग तैयार, पर बिना चिकित्सक काम का नहींI
हरबर्टपुर में अस्पताल का नया भवन बन रहा है। भवन लगभग बनकर तैयार है। जल्द ही अस्पताल नए भवन में शिफ्ट हो जाएगा। लेकिन बिना चिकित्सक के केवल भवन निर्माण से मरीजों को लाभ नहीं मिलेगा।
Iअस्पताल में चिकित्सक नहीं है। भर्ती करने की सुविधा भी नहीं है। अगर रात को कोई बीमार पड़ जाए तो निजी अस्पतालों में लेकर जाना पड़ता है। अस्पताल बनाया है तो चिकित्सक भी होना चाहिए। - बीना चौहान, स्थानीय निवासी
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Iअस्पताल में केवल मामूली मर्ज की दवाइयां पकड़ा दी जाती है। चिकित्सक ही नहीं है तो उपचार कौन करेगा। बड़ी परेशानी होती है। मरीजों की परेशानी को देखते हुए चिकित्सक की तैनाती बहुत जरूरी है। - जितेंद्र रावत, स्थानीय निवासीI