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चमोली ऋषिगंगा आपदाः एनजीआरआई ने किया जल विद्युत परियोजना की सुरंग का थ्रीडी मैप तैयार 

विनोद मुसान , अमर उजाला, ऋषिकेश Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Thu, 11 Feb 2021 08:58 AM IST
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सार

  • एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे का काम पूरा, रिपोर्ट एनडीआरएफ को सौंपी
  • सर्वे के बाद थ्रीडी मैप तैयार, पता चलेगी सुरंग के भीतर की वस्तुस्थिति, रेस्क्यू में मिलेगी मदद
  • सर्वे करने वाली टीम में डेनमार्क और ब्रिटिश विशेषज्ञ भी शामिल

Uttarakhand Glacier Burst Chamoli News latest Updates: NGRI prepares 3D map of Hydropower project tunnel
चमोली आपदा - फोटो : अमर उजाला
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चमोली जिले के तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे लोगों का शायद अब शीघ्र ही पता चला जाएगा।

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चारधाम रेल प्रोजेक्ट के काम को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे कर रही नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) ने तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की सुरंग का एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे पूरा करने के बाद रिपोर्ट एनडीआरएफ व राज्य सरकार को सौंप दी है।
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सर्वे के बाद सुरंग का थ्रीडी मैप तैयार किया गया है। जिससे सुरंग की वस्तुस्थिति का पता चल सकेगा और रेस्क्यू आपरेशन को पूरा करने में मदद मिलेगी। 

जमीन के 500 मीटर गहराई तक वस्तुस्थिति का पता चल जाता है

आपको बाता दें कि चारधाम रेल परियोजना के तहत इन दिनों एनजीआरआई की टीम उच्च पर्वतीय क्षेत्र में हेलीकॉप्टर के जरिए एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे कर रही है। इसमें हेलीकॉप्टर में जियोमैग्नेटिक टूल स्काई टेम लटकाया जाता है, जो संबंधित क्षेत्र की रिडिंग लेकर भूगर्भीय सरंचना का खाका तैयार करता है।

इस तकनीक से जमीन के 500 मीटर गहराई तक वस्तुस्थिति का पता चल जाता है। लेकिन जोशीमठ आपदा के बाद से फिलहाल यह सर्वे रोक दिया गया था। पिछले दो दिनों से संस्थान की टीम इसी तकनीक से तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की सुरंग का सर्वे कर रही थी, जो अब पूरा हो गया। 

जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) मिशन हेड डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया कि एनडीआरएफ और राज्य सरकार के अनुरोध पर पिछले दो दिनों से उनकी टीम ने चौबीसों घंटे काम कर रही थी। एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे के बाद थ्रीडी मैप तैयार कर रिपोर्ट एनडीआरएफ और राज्य सरकार को सौंप दी है।

प्राप्त रिडिंग का आकलन किया जा रहा है

अब प्राप्त रिडिंग का आकलन किया जा रहा है। इससे पता चल जाएगा कि सुरंग के भीतर की क्या स्थित है। मसलन सुरंग में कहां-कहां कितना मलबा जमा है, कहां पानी है और कहां एयर गेप है।

इससे रेस्क्यू के काम में लगी टीमों को योजना बनाने में मदद मिलेगी और वे आसानी से रेस्क्यू आपरेशन को पूरा कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि वे इस काम की खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उनकी टीम में डेनमार्क और ब्रिटिश विशेषज्ञ भी शामिल हैं। 

एनजीआरआई की टीम ने एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे पूरा करने के बाद रिपोर्ट सौंप दी है। वक्त कम था। इसके लिए हमारी टीम ने पिछले दो दिनों में लगातार काम किया है। संभव है, इससे रेस्क्यू के काम में जरूर मदद मिलेगी।
 - डॉ. सुभाष चंद्रा, मिशन हेड, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई)

...इसके बाद ग्लेशियर की स्थिति जानेगा एनजीआरआई

आने वाले दिनों में चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने की वजह के साथ ग्लेशियरों की स्थिति भी साफ हो सकेगी। इसके लिए  एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे की मदद ली जाएगी।

रेल विकास निगम के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि इस संबंध में शासन के अधिकारियों ने जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) से संपर्क किया है। संभव है कि आने वाले दिनों में हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों की वस्तुस्थिति जानने के लिए इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे शुरू किया जाए।

इससे हिमालय क्षेत्र में भविष्य में बनने वाली परियोजनों से पूर्व भूगर्भीय संरचना को जानने में मदद मिलेगी। इससे पता चलेगा कि हिमालय क्षेत्र में कहां ग्लेशियरों की क्या स्थिति है, किस ग्लेश्यिर में बर्फ की कितनी मात्रा है, चट्टानों की क्या स्थिति है, कहां झील बनी है और कहां बन सकती है, आदि बातों का अध्ययन किया जाएगा।

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