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उत्तराखंड: आंदोलनकारियों को दिलाएंगे राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा, सुभाष बड़थ्वाल से अमर उजाला की खास बातचीत

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Sun, 06 Jul 2025 12:44 PM IST
सार

उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष वरिष्ठ आंदोलनकारी सुभाष बड़थ्वाल ने परिषद के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारियों को राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा मिले इसके लिए हर संभव कोशिश जारी है।

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Uttarakhand State agitators will be given the status of state building fighters: Barthwal
वरिष्ठ आंदोलनकारी सुभाष बड़थ्वाल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लंबे संघर्ष और शहादत की देन है। उनके इस संघर्ष और शहादत की बदौलत 25 साल पहले अलग राज्य मिला, लेकिन उनके कई सपने आज भी अधूरे हैं। राज्य आंदोलनकारियों के कल्याण और उनके सपनों के अनुरूप आगे बढ़ा जा सके इसके लिए सरकार ने उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद का गठन करते हुए वरिष्ठ आंदोलनकारी सुभाष बड़थ्वाल को परिषद का उपाध्यक्ष बनाया है।

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परिषद की ओर से पिछले कुछ समय में क्या कदम उठाए गए। इस पर परिषद के उपाध्यक्ष ने अमर उजाला के वरिष्ठ संवाददाता बिशन सिंह बोरा से बातचीत की। बड़थ्वाल ने बताया परिषद का प्रयास है कि आंदोलनकारियों को राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा मिले। उन्होंने कुछ अन्य बिंदुओं पर भी बात की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:

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सवाल: सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के लिए एक्ट बनाया है, लेकिन आश्रित प्रमाण पत्र न बनने से आंदोलनकारियों के आश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल रहा।

जवाब:-सरकार ने पिछले कुछ समय में राज्य आंदोलनकारियों के हित में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। इनमें से एक है, आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए एक्ट का बनना। आश्रितों के प्रमाण पत्र के लिए शासन ने तहसीलों को निर्देश जारी किया है।

सवाल: राज्य आंदोलनकारियों को एक समान नहीं बल्कि अलग-अलग पेंशन दी जा रही है। कुछ को 4500 तो कुछ को 6500 या इससे अधिक पेंशन मिल रही है।

जवाब: राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन में वृद्धि के साथ ही एक समान पेंशन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में करीब 5000 आंदोलनकारी हैं। पूर्ण रूप से दिव्यांग दो आंदोलनकारियों को 20 हजार रुपये महीना पेंशन दी जा रही है। पहले पेंशन तीन महीने में जिला प्रशासन के माध्यम से मिलती थी। जबकि अब हर महीने कोषागार के माध्यम से मिल रही है। इसके अलावा पेंशन पट्टा दिए जाने की प्रक्रिया शुरु की गई है।त

सवाल:रामपुर तिराहा कांड के आरोपियों को अब तक सजा नहीं मिली। यहां मां, बहनों के साथ बुरा व्यवहार हुआ, आंदोलनकारियों पर लाठी के साथ ही गोलियां भी चलाई गई।

जवाब: रामपुर तिराहा कांड के पीडितों को न्याय मिलना चाहिए। मामला कोर्ट में है। सरकार ने दो अभियुक्तों को सजा दिलाई है। अन्य के खिलाफ सरकार पूरी तैयारी के साथ मामले की पैरवी कर रही है। गवाहों और पीडित महिलाओं के लिए भी विशेष प्रावधान करने का प्रयास किया जा रहा है।

सवाल: राज्य निर्माण में मातृ शक्ति की अहम भूमिका रही, लेकिन पारिवारिक पेंशन की वजह से कई महिला राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान पेंशन नहीं मिल रही।

जवाब: पारिवारिक पेंशन की वजह से किसी महिला राज्य आंदोलनकारी की सम्मान पेंशन नहीं रुकनी चाहिए। सरकार उन्हें दोनों पेंशन देगी। राज्य आंदोलनकारियों को जो पेंशन दी जा रही है, वह पेंशन नहीं बल्कि सम्मान है। सांसद और सैन्यकर्मियों को भी दोहरी पेंशन मिलती है। ऐसे में सम्मान पेंशन से किसी महिला आंदोलनकारी को वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

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सवाल: उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में आपनी क्या प्राथमिकताएं हैं।

जवाब: छूट गए आंदोलनकारियों को राज्य आंदोलनकारी का दर्जा मिले, प्रमुख आंदोलनकारियों के जीवन परिचय को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। रामपुर तिराहा, खटीमा और मसूरी का कॉरिडोर बनाया जाए।

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