विज्ञान की बदौलत दी मौत को मात: समय से 18 सप्ताह पहले पैदा हुई बेटी, IVF से गर्भवती हुई थी मां; ऐसे बची मासूम
यह मामला दुर्लभ है, क्योंकि इतनी कम अवधि में जन्मे शिशुओं की जीवित रहने की दर बेहद कम होती है। बच्ची के माता दिव्या बांझपन और पहले गर्भपात की समस्या से जूझने के बाद आईवीएफ तकनीक से गर्भवती हुई थी।
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समय से 18 सप्ताह पहले जन्मी एक बच्ची ने चिकित्सा विज्ञान की बदौलत मौत को मात दी। मात्र 22 हफ्ते और 5 दिन की गर्भावस्था में पैदा हुई 525 ग्राम की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में 105 दिन बिताने के बाद पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट आई है। अब उसका वजन 2.010 किलोग्राम हो गया है।
बांझपन से जुझ रही थी मां
यह मामला दुर्लभ है, क्योंकि इतनी कम अवधि में जन्मे शिशुओं की जीवित रहने की दर बेहद कम होती है। बच्ची के माता दिव्या बांझपन और पहले गर्भपात की समस्या से जूझने के बाद आईवीएफ तकनीक से गर्भवती हुई थी।
सी-सेक्शन से हुआ बच्ची का जन्म
22 हफ्ते में प्रसव पीड़ा शुरू होने पर सी-सेक्शन से बच्ची का जन्म हुआ। जन्म के तुरंत बाद उसे इंट्यूबेशन देकर पुनर्जीवित किया गया और एनआईसीयू में भर्ती कराया गया। इतनी जल्दी जन्मे शिशुओं में अविकसित अंगों के कारण संक्रमण, मस्तिष्क रक्तस्राव और श्वसन विफलता जैसी गंभीर जटिलताएं आम हैं।
कुछ हफ्तों बाद खुद सांस लेने लगी बच्ची
नियोनेटोलॉजी और बाल रोग विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जय किशोर ने बताया कि उन्होंने विकासात्मक सहायक देखभाल, कंगारू मां देखभाल और केवल मां के दूध पर जोर दिया। इससे शिशु का वजन स्थिर बढ़ा और स्वास्थ्य सुधरा। धीरे-धीरे वेंटिलेशन हटाया गया और कुछ हफ्तों में बच्ची खुद से ही सांस लेने लगी।
ब्रेन स्कैन में सामान्य विकास की पुष्टि
एनआईसीयू में रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (आरओपी) के लिए लेजर उपचार किया गया। डिस्चार्ज से पहले ब्रेन स्कैन से सामान्य विकास की पुष्टि हुई। डॉ. किशोर ने कहा कि यह केस साबित करता है कि उन्नत नवजात देखभाल, समय पर हस्तक्षेप और माता-पिता की सक्रिय भागीदारी से जीवन की सीमा को भी पार किया जा सकता है।