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निगम उपचुनाव: भाजपा को सीटों का नुकसान... लेकिन वोट शेयर बढ़ा, कांग्रेस का मत प्रतिशत दोगुना; आप को बड़ा झटका
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 04 Dec 2025 02:01 AM IST
सार
उपचुनाव के नतीजों के बाद सभी पार्टियां आंकड़ों का विश्लेषण अपने हिसाब से कर रही हैं।
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एमसीडी मुख्यालय
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
एमसीडी के 12 वार्डों के उपचुनाव में भले ही भाजपा को सीटों के मामले में अपेक्षित सफलता नहीं मिली लेकिन उसके वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत में भारी गिरावट दर्ज की गई। कांग्रेस ने इस उपचुनाव में बड़ा उछाल दिखाते हुए अपना वोट बैंक दोगुना से ज्यादा बढ़ाया है।
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आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 के एमसीडी आम चुनाव में इन 12 वार्डों में भाजपा को 43.26 प्रतिशत वोट मिले थे। उपचुनाव में भाजपा ने इस हिस्सेदारी को बढ़ाकर 45.09 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। यह संकेत देता है कि भाजपा का संगठनात्मक ढांचा और कोर वोटर अभी भी पार्टी के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं, भले ही कम मतदान के चलते सीटों की संख्या पर असर पड़ा हो। उधर आम आदमी पार्टी के लिए यह उपचुनाव नुकसानदेह साबित हुआ। 2022 में इन 12 वार्डों में आप को 41.05 प्रतिशत वोट मिले थे, जो घटकर अब 34.97 प्रतिशत रह गए। यह लगभग छह अंक की गिरावट पार्टी के लिए गंभीर संकेत मानी जा रही है।
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कांग्रेस ने सबसे बड़ा उछाल दिखाया है। वर्ष 2022 में जहां उसे मात्र 6.18 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार उसका वोट शेयर बढ़कर 13.44 प्रतिशत तक पहुंच गया। यानी कांग्रेस का वोट बैंक लगभग दोगुना से अधिक हो गया है, जिसने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते हुए भाजपा और आप दोनों के समीकरण प्रभावित किए।
भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ कम मतदान
एमसीडी के 12 वार्डों के उपचुनाव में आए नतीजों ने साफ कर दिया कि कम मतदान भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ। जहां-जहां कम वोट पड़े, वहां भाजपा ने जीत दर्ज की, जबकि जिन वार्डों में औसत से अधिक मतदान हुआ, वहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उपचुनाव में कुल औसत मतदान 38.5 प्रतिशत रहा था। इस औसत से अधिक मतदान मुंडका, चांदनी महल, नारायणा, संगम विहार और दक्षिणपुरी वार्ड में दर्ज किया गया। इन वार्डों में भाजपा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। इसके उलट, जिन सात वार्डों में मतदान औसत से कम रहा, वहां भाजपा की जीत हुई।
विशेषज्ञ मानते हैं कि शहरी स्थानीय चुनावों में कम मतदान अक्सर संगठित वोट बैंक को फायदा पहुंचाता है। भाजपा समर्थक मतदाताओं की तुलना में विपक्षी दलों के फ्लोटिंग वोटर और विशेषकर असंतुष्ट नागरिक कम मतदान वाले माहौल में घर पर ही रह जाते हैं। उपचुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। कम मतदान वाले वार्डों में भाजपा का कैडर और कोर वोट बैंक बूथ तक पहुंचा और जीत सुनिश्चित कर गया। सबसे रोचक तथ्य यह है कि जिन सात सीटों पर भाजपा जीती, उनमें भी तीन जगह वजीरपुर, चांदनी चौक और विनोद नगर जीत का अंतर बहुत कम था। इनमें मतदान औसत से दो से पांच प्रतिशत कम रहा। यदि इन वार्डों में मतदान सामान्य औसत यानी 38.5 प्रतिशत के आसपास पहुंच जाता, तो स्थिति बदल सकती थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन क्षेत्रों में विपक्षी वोटर यदि थोड़ी अधिक संख्या में मतदान करने निकलता, तो भाजपा की हार लगभग तय थी। वजीरपुर में भाजपा की जीत का अंतर बेहद मामूली था। यहां मतदान औसत से लगभग पांच प्रतिशत कम रहा। चांदनी चौक की तस्वीर भी मिलती-जुलती रही, जहां कम मतदान ने भाजपा के पक्ष में समीकरण बनाए। विनोद नगर में भी भाजपा की जीत दोबारा मतदान बढ़ जाने की स्थिति में बची नहीं रहती। इन वार्डों में भाजपा के खिलाफ वोट तो मौजूद थे, लेकिन मतदान कम होने से वह बूथ तक नहीं पहुंचा।
मुंडका, चांदनी महल, नारायणा, संगम विहार और दक्षिणपुरी में लोगों ने उपचुनाव होने के बावजूद काफी सक्रियता दिखाई। यहां मतदान प्रतिशत औसत से ऊपर पहुंच गया। परिणामस्वरूप इन वार्डों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। विशेष रूप से संगम विहार और दक्षिणपुरी में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी और विपक्षी दलों ने इन इलाकों में भाजपा को कड़ी चुनौती दी। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह उपचुनाव भाजपा के लिए चेतावनी का संकेत भी है। यदि एमसीडी के आम चुनावों की तरह मतदान प्रतिशत 50 प्रतिशत के आसपास होता, तो परिणामों में बड़ा बदलाव संभव था।