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Faridabad News: मेडिकल की फार्मेसी में करोड़ों रुपये की दवाइयों में लग गए कीड़े
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बीमारी के डर से कर्मचारियों ने दवाइयों की जांच से किया माना
कोरोना काल में खरीदी गईं दवाइयां हुई एक्सपायर, उसी की जांच के लिए बनाई गई है कमेटी
हेमलता
फरीदाबाद। एनआईटी-3 नंबर स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में कोरोना काल में खरीदी गई की करोड़ों रुपये की दवाइयों में कीड़े लग गए हैं। कर्मचारियों ने बीमारी के डर से दवाइयों की जांच करने के मना कर दिया है। अस्पताल की ओर से दवा की जांच के लिए चार सेट बनाए गए हैं। जिसमें से सेट सी की दवा की अभी जांच नहीं हुई है।
कुछ समय पहले अस्पताल प्रबंधन और उच्च अधिकारियों की जांच के बाद कई अधिकारियों सहित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था। उसी की जांच के चलते अस्पताल प्रबंधन की ओर से दवाइयों को चार कैटेगरी ए , बी , सी और डी में बांटा गया। हर कैटेगरी की जांच के लिए विभिन्न अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जानकारी के अनुसार कैटेगरी सी की दवा अभी पार्किंग में बनी फार्मेसी के अंदर रखी हुई है। दवाओं की जांच के लिए जब कर्मचारी व अधिकारी गए तो उन्होंने जब दवा के डिब्बे खोले तो पाया कि उसके अंदर कीड़े लगे हुए हैं। जिस वजह से दवा से बदबू भी आ रही थी। दवा में कीड़ों की संख्या ज्यादा होने की वजह से कर्मचारियों ने जांच करने से मना कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा सिरप थी। इसके अलावा कैटेगरी सी में ओरल मेडिसिन जो मुंह, चेहरे और जबड़े की दवा होती है।
70 हजार रुपये का है एक इंजेक्शन
कर्मचारी जब चेकिंग कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि कीड़े लगे हुई दवा में एक इंजेक्शन की कीमत करीब 70 हजार रुपये है। सेट सी की प्रभारी एसोसिएट प्रोफेसर (फिजियोलॉजी) डॉ. नम्रता कहलों का कहना है कि वह इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहती है क्योंकि उनसे ऊपर कई अधिकारी कार्य कर रहे हैं। उनको इस बारे में ज्यादा पता है।

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फरीदाबाद। एनआईटी-3 नंबर स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में कोरोना काल में खरीदी गई की करोड़ों रुपये की दवाइयों में कीड़े लग गए हैं। कर्मचारियों ने बीमारी के डर से दवाइयों की जांच करने के मना कर दिया है। अस्पताल की ओर से दवा की जांच के लिए चार सेट बनाए गए हैं। जिसमें से सेट सी की दवा की अभी जांच नहीं हुई है।
कुछ समय पहले अस्पताल प्रबंधन और उच्च अधिकारियों की जांच के बाद कई अधिकारियों सहित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था। उसी की जांच के चलते अस्पताल प्रबंधन की ओर से दवाइयों को चार कैटेगरी ए , बी , सी और डी में बांटा गया। हर कैटेगरी की जांच के लिए विभिन्न अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जानकारी के अनुसार कैटेगरी सी की दवा अभी पार्किंग में बनी फार्मेसी के अंदर रखी हुई है। दवाओं की जांच के लिए जब कर्मचारी व अधिकारी गए तो उन्होंने जब दवा के डिब्बे खोले तो पाया कि उसके अंदर कीड़े लगे हुए हैं। जिस वजह से दवा से बदबू भी आ रही थी। दवा में कीड़ों की संख्या ज्यादा होने की वजह से कर्मचारियों ने जांच करने से मना कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा सिरप थी। इसके अलावा कैटेगरी सी में ओरल मेडिसिन जो मुंह, चेहरे और जबड़े की दवा होती है।
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70 हजार रुपये का है एक इंजेक्शन
कर्मचारी जब चेकिंग कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि कीड़े लगे हुई दवा में एक इंजेक्शन की कीमत करीब 70 हजार रुपये है। सेट सी की प्रभारी एसोसिएट प्रोफेसर (फिजियोलॉजी) डॉ. नम्रता कहलों का कहना है कि वह इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहती है क्योंकि उनसे ऊपर कई अधिकारी कार्य कर रहे हैं। उनको इस बारे में ज्यादा पता है।