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Faridabad News: कभी भी गिर सकती है मंझावली यमुना पुल अंडरपास की दीवार
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मंझावली यमुना पुल अंडरपास की टूटी दीवार। संवाद
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बाढ़ के दौरान आई थी दरार, प्रशासन ठेकेदार पर नहीं कर रहा कोई कार्रवाई
निर्माण के बाद 4 वर्षो तक देख रेख की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है
संवाद न्यूज एजेंसी
तिगांव। मंझावली यमुना पुल अंडरपास की दीवार में बाढ़ के दौरान दरार आने के बाद अब पूरी तरह गिरने के कगार पर है। हालत यह है कि एक ओर की दीवार पहले से टूटी हुई है, जबकि दूसरी साथ वाली दीवार कभी भी गिर सकती है। हैरानी की बात यह है कि इस पुल और अंडरपास के निर्माण को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ हैं। निर्माण की वारंटी अवधि में इसकी देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है, इसके बावजूद प्रशासन अभी तक ठेकेदार पर कोई सख्त कार्रवाई या दबाव नहीं बना रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते ठेकेदार को मरम्मत के लिए मजबूर नहीं किया, तो चार साल की वारंटी अवधि ऐसे ही समाप्त हो जाएगी और मरम्मत का पूरा बोझ सरकारी खजाने पर आ जाएगा। अंडरपास बंद होने से रोजाना खेतों में जाने वाले किसानों को दिक्कत हो रही है। खेतों तक आने-जाने का मुख्य रास्ता होने के चलते उनकी खेती से जुड़ी गतिविधियां प्रभावित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत ठेकेदार को नोटिस देकर मरम्मत कार्य शुरू करवाना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर हो सकती है। गांव वालों ने चेतावनी दी है कि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे।
बाढ़ को दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई मरम्मत शुरू नहीं हुई। ठेकेदार की जिम्मेदारी तय है, फिर भी प्रशासन चुप है। हम खेतों तक जाने के लिए लंबा चक्कर काट रहे हैं। -विनोद शर्मा, किसान
दीवार कभी भी गिर सकती है। जान का खतरा भी है और खेती का नुकसान अलग। प्रशासन बस देखेंगे कहकर टाल रहा है। अगर ठेकेदार पर समय रहते दबाव नहीं बनाया तो वारंटी खत्म होते ही यह बोझ हम और सरकार पर आ जाएगा। -कर्मवीर तंवर, किसान
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निर्माण के बाद 4 वर्षो तक देख रेख की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है
संवाद न्यूज एजेंसी
तिगांव। मंझावली यमुना पुल अंडरपास की दीवार में बाढ़ के दौरान दरार आने के बाद अब पूरी तरह गिरने के कगार पर है। हालत यह है कि एक ओर की दीवार पहले से टूटी हुई है, जबकि दूसरी साथ वाली दीवार कभी भी गिर सकती है। हैरानी की बात यह है कि इस पुल और अंडरपास के निर्माण को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ हैं। निर्माण की वारंटी अवधि में इसकी देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है, इसके बावजूद प्रशासन अभी तक ठेकेदार पर कोई सख्त कार्रवाई या दबाव नहीं बना रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते ठेकेदार को मरम्मत के लिए मजबूर नहीं किया, तो चार साल की वारंटी अवधि ऐसे ही समाप्त हो जाएगी और मरम्मत का पूरा बोझ सरकारी खजाने पर आ जाएगा। अंडरपास बंद होने से रोजाना खेतों में जाने वाले किसानों को दिक्कत हो रही है। खेतों तक आने-जाने का मुख्य रास्ता होने के चलते उनकी खेती से जुड़ी गतिविधियां प्रभावित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत ठेकेदार को नोटिस देकर मरम्मत कार्य शुरू करवाना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर हो सकती है। गांव वालों ने चेतावनी दी है कि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे।
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बाढ़ को दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई मरम्मत शुरू नहीं हुई। ठेकेदार की जिम्मेदारी तय है, फिर भी प्रशासन चुप है। हम खेतों तक जाने के लिए लंबा चक्कर काट रहे हैं। -विनोद शर्मा, किसान
दीवार कभी भी गिर सकती है। जान का खतरा भी है और खेती का नुकसान अलग। प्रशासन बस देखेंगे कहकर टाल रहा है। अगर ठेकेदार पर समय रहते दबाव नहीं बनाया तो वारंटी खत्म होते ही यह बोझ हम और सरकार पर आ जाएगा। -कर्मवीर तंवर, किसान