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SBI: 'डीबीटी के जरिए सरकार ने चार लाख करोड़ रुपये की बचत की', एसबीआई के कार्यक्रम में बोलीं वित्त मंत्री

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Thu, 06 Nov 2025 03:45 PM IST
सार

SBI: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक मूल्य शृंखला विघटनकारी दौर से गुजर रही है। ऐसे में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर सरकार का मुख्य ध्यान है। पिछले कुछ वर्षों में पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

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Global headwinds becoming prominent says Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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2014 से कारोबार को आसान बनाने के लिए अनगिनत क्रांतिकारी सुधार किए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय स्टेट बैंक के एक कार्यक्रम में यह बात कही है। इस दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा वैश्विक मूल्य शृंखला विघटनकारी दौर से गुजर रही है। ऐसे में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर सरकार का मुख्य ध्यान है। पिछले कुछ वर्षों में पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एसबीआई के एक कार्यक्रम में कहा कि वैश्विक चुनौतियां प्रमुख होती जा रही हैं; वैश्विक संस्थाएं कमजोर पड़ रही हैं।

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वित्त मंत्री ने कहा, "सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत की; पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला गया।" वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सरकार प्रौद्योगिकी आधारित विकास पर जोर दे रही है। डेटा की लागत 2014 में 300 रुपये प्रति जीबी से घटकर 10 रुपये प्रति जीबी हो गई है।

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देश को बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की जरूरत: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि देश को बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की जरूरत है। इस बारे में रिजर्व बैंक और दूसरे बैंकों से बातचीत चल रही है। 12वें एसबीआई बैंकिंग और इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए हुए सीतारमण ने ऋणदाताओं से उद्योग के लिए ऋण प्रवाह को गहरा और व्यापक बनाने के लिए कहा। वित्त मंत्री ने भरोसा जताते हुए कहा कि जीएसटी दर में कटौती से बढ़ी मांग एक बेहतर निवेश का सिलसिला शुरू करेगी।


वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को बड़ी संख्या में विश्वस्तरीय बैंकों की जरूरत है। उन्होंने कहा, "सरकार इस पर विचार कर रही है और काम शुरू हो चुका है। हम आरबीआई के साथ चर्चा कर रहे हैं। हम बैंकों के साथ चर्चा कर रहे हैं।" निजीकरण की प्रक्रिया के तहत सरकार ने जनवरी 2019 में आईडीबीआई बैंक में अपनी 51 प्रतिशत नियंत्रणकारी हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को बेच दी थी।

इसके बाद, सरकार और एलआईसी ने आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री की योजना की घोषणा की। अक्तूबर 2022 में दोनों शेयरधारकों ने कुल 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के लिए निवेशकों से रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे। इसमें सरकार की 30.48 प्रतिशत और एलआईसी की 30.24 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है। जनवरी 2023 में दीपम को आईडीबीआई बैंक के लिए कई ईओआई प्राप्त हुए।

देश में बैंकों की कुल संख्या 27 से घटकर 12 हुई

सेबी ने अगस्त 2025 में आईडीबीआई बैंक में रणनीतिक विनिवेश पूरा होने पर बैंक के प्रमोटर से सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में जीवन बीमा निगम के पुनर्वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण भी किया। बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़े एकीकरण की पहल करते हुए सरकार ने अगस्त 2019 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चार बड़े विलय की घोषणा की थी। इससे देश में बैंकों की कुल संख्या 2017 के 27 से घटकर 12 हो गई।

1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया; सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय कर दिया गया; इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया; और आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में एकीकरण कर दिया गया।

2019 में देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय कर दिया गया था। इससे पहले, सरकार ने एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का भारतीय स्टेट बैंक में विलय कर दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी ढांचे का निर्माण सरकार का मुख्य फोकस है और पिछले दशक में पूंजीगत व्यय में पांच गुना वृद्धि हुई है।

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