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SAF: 'विमानों के लिए टिकाऊ ईंधन को सीएसआर के दायरे में लाया जाए', एयरबस इंडिया प्रमुख ने दिया सुझाव

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 06 Nov 2025 02:40 PM IST
सार

एयरबस इंडिया के प्रेसिडेंट और एमडी जर्गन वेस्टरमेयर ने सुझाव दिया है कि कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा एयरलाइंस के वॉलंटरी सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल कार्यक्रमों में किया जाने वाला निवेश सीएसआर के तहत शामिल किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि एयरलाइंस के ये स्वैच्छिक SAF कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में वास्तविक और मापने योग्य योगदान हैं।

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Sustainable fuel for aircraft should be brought under the ambit of CSR, suggests Airbus India chief
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एयरबस इंडिया के प्रेसिडेंट और एमडी, जर्गन वेस्टरमेयर ने सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से एयरलाइंस के वॉलंटरी सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) कार्यक्रमों पर किए जाने वाला निवेश कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) खर्च के तहत शामिल किया जाना चाहिए। 

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सीएसआर को लेकर मौजूदा कानून

सीएसआर, यह एक ऐसा व्यावसायिक मॉडल है जो कंपनियों को समाज और पर्यावरण के प्रति जवाबदेह बनाता है, जिससे वे केवल लाभ कमाने के बजाय समाज के कल्याण के लिए काम करती हैं। मौजूदा कानून के अनुसार, लाभ में चल रही कंपनियों को अपने वार्षिक मुनाफे का कम से कम दो प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है।

वेस्टरमेयर का तर्क 

वेस्टरमेयर ने कहा कि एयरलाइंस द्वारा शुरू किए गए ये वॉलंटरी SAF कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन शमन में सीधा और मापने योग्य निवेश हैं। उन्होंने जोर दिया कि अगर इन्हें सीएसआर दायरे में लाया जाए, तो कॉरपोरेट जगत सस्टेनेबल एविएशन को लेकर अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकेगा।

एसएएफ भारत के लिए मजबूत इंजन साबित हो सकता है

भारत विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते नागरिक उड्डयन बाजारों में से एक है। देश में एसएएफ उत्पदान की महत्वपूर्ण क्षमता है। उन्होंने कहा कि एसएएफ न केवल पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ विकल्प है, बल्कि यह भारत के लिए एक मजबूत आर्थिक इंजन साबित हो सकता है। एसएएफ क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच अभूतपूर्व सहयोग की आवश्यकता है। 

वेस्टरमेयर के मुताबिक, अगर भारत अपनी घरेलू एसएएफ उद्योग को विकसित करता है, तो इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा और ईंधन आपूर्ति शृंखला पर आत्मनिर्भरता में तुरंत और प्रभावी सुधार होगा।

एसएएफ वैल्यू चेन में 11 से 14 लाख नौकरियों का अनुमान

उन्होंने बताया कि इस उद्योग के विकास के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी, लेकिन इसके आर्थिक लाभ भी उतने ही बड़े होंगे। उन्होंने अनुमान जताया कि SAF वैल्यू चेन में 11 से 14 लाख नौकरियां सृजित हो सकती हैं, साथ ही करीब 230 मिलियन टन कृषि अवशेष का उत्पादक उपयोग किया जा सकेगा।


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