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Gurugram News: करोड़ों खर्च, तंदरुस्ती के लिए बनीं व्यायामशालाएं वीरान
संवाद न्यूज एजेंसी, गुरुग्राम
Updated Sat, 13 Sep 2025 11:27 PM IST
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- पांच व्यायामशालाओं में न तो योग ट्रेनर और न ही देखरेख की व्यवस्था
शेरसिंह डागर
नूंह। ग्रामीणों की तंदरुस्ती और युवाओं को फिटनेस की ओर प्रेरित करने के लिए जिले में बनाई गई व्यायामशालाएं आज वीरान पड़ी हैं। लगभग 2 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2015-17 के बीच बनाई गई इन व्यायामशालाओं में न तो आज तक योग ट्रेनर नियुक्त किए गए और न ही देखरेख की व्यवस्था हो पाई। हालत यह है कि इनमें बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं।
बता दें, सरकार ने दावा किया था कि ग्रामीण आंचल में योग और व्यायाम के जरिए बीमारियों को जड़ से खत्म किया जाएगा। करीब आठ साल बीत जाने के बाद भी यहां न तो योग-प्रशिक्षण शुरू हुआ और न ही व्यायाम की कोई गतिविधि। लोग बताते हैं कि इन व्यायामशालाओं का उपयोग अब सिर्फ अवैध गतिविधियों और पशुओं के बैठने तक सीमित हो गया है।
ग्रामीणों की नाराजगी
करोड़ों रुपये खर्च कर सरकार ने ढांचा तो खड़ा कर दिया, लेकिन सुविधा नहीं दी। सरकार सिर्फ घोषणा करती है, धरातल पर कुछ नहीं होता।
भगतसिंह, गांव छपेड़ा
व्यायामशालाएं अगर शुरू हो जातीं तो गांव के युवा खेलों और योग की तरफ बढ़ सकते थे। आज ये जगह झाड़-झंखाड़ से भरी हैं।
बिहारी देशवाल, गांव आलदोका
यदि यहां ट्रेनर और साफ-सफाई की व्यवस्था हो जाए तो लोग सुबह-शाम व्यायाम और योग के लिए जरूर आएंगे। इस ओर सरकार ध्यान दे।
रणजीत नंबरदार, गांव इंडरी
कहां-कहां बनी व्यायामशालाएं
स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के नाम पर बनाई गई व्यायामशालाएं नूंह जिले के पांच गांवों में बनाई गई हैं, जिनमें उजीना, आलदोका, इंड़री, छपेड़ा, साकरस (फिरोजपुर-झिरका खंड) गांव शामिल है।
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विशेषज्ञों की राय
डॉ. भारत तंवर का कहना है कि योग और नियमित व्यायाम से गांवों में ब्लड प्रेशर, शुगर, मोटापा और जोड़ो की बीमारियों पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
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मांग
सरकार और प्रशासन को इन व्यायामशालाओं की तुरंत साफ-सफाई करानी चाहिए और योग-ट्रेनर नियुक्त कर इन्हें चालू करना चाहिए। लोगों का कहना है कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर व्यायामशालाएं बनाई गई हैं तो उन्हें बंद रहने देना सीधा जनता के पैसों की बर्बादी है।
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खेलों को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है। संबंधित विभाग से रिपोर्ट लेकर जल्द ही कमियों को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा। हमारी कोशिश होगी कि व्यायामशालाओं का वही उद्देश्य पूरा हो, जिसके लिए इन्हें बनाया गया था।
अखिल पिलानी, डीसी नूंह

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नूंह। ग्रामीणों की तंदरुस्ती और युवाओं को फिटनेस की ओर प्रेरित करने के लिए जिले में बनाई गई व्यायामशालाएं आज वीरान पड़ी हैं। लगभग 2 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2015-17 के बीच बनाई गई इन व्यायामशालाओं में न तो आज तक योग ट्रेनर नियुक्त किए गए और न ही देखरेख की व्यवस्था हो पाई। हालत यह है कि इनमें बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं।
बता दें, सरकार ने दावा किया था कि ग्रामीण आंचल में योग और व्यायाम के जरिए बीमारियों को जड़ से खत्म किया जाएगा। करीब आठ साल बीत जाने के बाद भी यहां न तो योग-प्रशिक्षण शुरू हुआ और न ही व्यायाम की कोई गतिविधि। लोग बताते हैं कि इन व्यायामशालाओं का उपयोग अब सिर्फ अवैध गतिविधियों और पशुओं के बैठने तक सीमित हो गया है।
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ग्रामीणों की नाराजगी
करोड़ों रुपये खर्च कर सरकार ने ढांचा तो खड़ा कर दिया, लेकिन सुविधा नहीं दी। सरकार सिर्फ घोषणा करती है, धरातल पर कुछ नहीं होता।
भगतसिंह, गांव छपेड़ा
व्यायामशालाएं अगर शुरू हो जातीं तो गांव के युवा खेलों और योग की तरफ बढ़ सकते थे। आज ये जगह झाड़-झंखाड़ से भरी हैं।
बिहारी देशवाल, गांव आलदोका
यदि यहां ट्रेनर और साफ-सफाई की व्यवस्था हो जाए तो लोग सुबह-शाम व्यायाम और योग के लिए जरूर आएंगे। इस ओर सरकार ध्यान दे।
रणजीत नंबरदार, गांव इंडरी
कहां-कहां बनी व्यायामशालाएं
स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के नाम पर बनाई गई व्यायामशालाएं नूंह जिले के पांच गांवों में बनाई गई हैं, जिनमें उजीना, आलदोका, इंड़री, छपेड़ा, साकरस (फिरोजपुर-झिरका खंड) गांव शामिल है।
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विशेषज्ञों की राय
डॉ. भारत तंवर का कहना है कि योग और नियमित व्यायाम से गांवों में ब्लड प्रेशर, शुगर, मोटापा और जोड़ो की बीमारियों पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
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मांग
सरकार और प्रशासन को इन व्यायामशालाओं की तुरंत साफ-सफाई करानी चाहिए और योग-ट्रेनर नियुक्त कर इन्हें चालू करना चाहिए। लोगों का कहना है कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर व्यायामशालाएं बनाई गई हैं तो उन्हें बंद रहने देना सीधा जनता के पैसों की बर्बादी है।
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खेलों को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है। संबंधित विभाग से रिपोर्ट लेकर जल्द ही कमियों को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा। हमारी कोशिश होगी कि व्यायामशालाओं का वही उद्देश्य पूरा हो, जिसके लिए इन्हें बनाया गया था।
अखिल पिलानी, डीसी नूंह