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एनसीडीआरसी की पीठ में न्यायिक सदस्य अनिवार्य नहीं : हाईकोर्ट
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अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) की प्रत्येक पीठ में न्यायिक सदस्य का होना अनिवार्य नहीं है। न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी की पीठ के गठन में कोई त्रुटि होने पर भी उसके द्वारा पारित आदेश अमान्य नहीं होगा।
अदालत ने यह टिप्पणी रियल एस्टेट डेवलपर नवीन रहेजा की ओर से दायर एक याचिका को खारिज करते हुए की। उसमें गुरुग्राम में विलंबित रेवंत आवास परियोजना से संबंधित एनसीडीआरसी के आदेशों को चुनौती दी गई थी। रहेजा ने तर्क दिया था कि एनसीडीआरसी का आदेश अवैध है क्योंकि इसे केवल तकनीकी सदस्यों वाली पीठ ने जारी किया था। हाईकोर्ट ने कहा कि पीठ का गठन पूरी तरह से राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर है और कानून में ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है कि प्रत्येक पीठ में न्यायिक सदस्य होना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी जटिल कानूनी प्रश्न पर पीठ के दो सदस्यों के बीच मतभेद हो तो मामले को दूसरी पीठ के गठन के लिए अध्यक्ष के पास भेजा जा सकता है। 26 अगस्त 2022 को एनसीडीआरसी ने कुछ खरीदारों को नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ धनवापसी, तीन महीने में पूरी हो चुकी इकाइयों की डिलीवरी और अन्य खरीदारों को मुआवजा देने का आदेश दिया था।

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नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) की प्रत्येक पीठ में न्यायिक सदस्य का होना अनिवार्य नहीं है। न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी की पीठ के गठन में कोई त्रुटि होने पर भी उसके द्वारा पारित आदेश अमान्य नहीं होगा।
अदालत ने यह टिप्पणी रियल एस्टेट डेवलपर नवीन रहेजा की ओर से दायर एक याचिका को खारिज करते हुए की। उसमें गुरुग्राम में विलंबित रेवंत आवास परियोजना से संबंधित एनसीडीआरसी के आदेशों को चुनौती दी गई थी। रहेजा ने तर्क दिया था कि एनसीडीआरसी का आदेश अवैध है क्योंकि इसे केवल तकनीकी सदस्यों वाली पीठ ने जारी किया था। हाईकोर्ट ने कहा कि पीठ का गठन पूरी तरह से राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर है और कानून में ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है कि प्रत्येक पीठ में न्यायिक सदस्य होना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी जटिल कानूनी प्रश्न पर पीठ के दो सदस्यों के बीच मतभेद हो तो मामले को दूसरी पीठ के गठन के लिए अध्यक्ष के पास भेजा जा सकता है। 26 अगस्त 2022 को एनसीडीआरसी ने कुछ खरीदारों को नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ धनवापसी, तीन महीने में पूरी हो चुकी इकाइयों की डिलीवरी और अन्य खरीदारों को मुआवजा देने का आदेश दिया था।
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