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विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता: ऑटो चालक की बेटी मीनाक्षी की मेहनत लाई रंग, देश की झोली में डाला पहला स्वर्ण पदक
अमर उजाला नेटवर्क, ग्रेटर नोएडा
Published by: विजय पुंडीर
Updated Thu, 20 Nov 2025 03:02 PM IST
सार
जीत के बाद भावुक मीनाक्षी बोली कि परिवार की आर्थिक स्थिति सही होने के बाद भी पिता ने ऑटो चलाना नहीं छोड़ा है। उनका कहना है कि उनकी बेटी आज जो भी है। वो ऑटो के दम पर ही है। ऑटो से ही मैदान तक का सफर तय हुआ है।
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विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में ऑटो चालक की बेटी मीनाक्षी हुड्डा ने जीता स्वर्ण पदक
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट कांप्लेक्स में आयोजित विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में ऑटो चालक की बेटी मीनाक्षी हुड्डा ने भारत को पहला स्वर्ण पदक हासिल कराया है। उन्होंने बताया कि उनको शिखर तक पहुंचाने में उनके पिता का अहम योगदान है। जीत के बाद भावुक मीनाक्षी बोली कि परिवार की आर्थिक स्थिति सही होने के बाद भी पिता ने ऑटो चलाना नहीं छोड़ा है। उनका कहना है कि उनकी बेटी आज जो भी है। वो ऑटो के दम पर ही है। ऑटो से ही मैदान तक का सफर तय हुआ है।
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मीनाक्षी हुड्डा ने बताया कि वह हरियाणा के रोहतक जिले के गांव रुड़की में रहती हैं। उन्होंने बताया जब मुक्केबाजी शुरू की तो परिवार के लोगों को तरह-तरह के ताने सुनने को मिलते थे। उन्होंने कहा कि बेटी तुम केवल अभ्यास पर ध्यान दो, तुम्हें विश्व स्तर की प्रतियोगिता में खेलना है।
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आईटीबीपी में तैनात मीनाक्षी ने बताया कि ऑटो चालक की बेटी के नाम से उन्हें सब पहचानते हैं। अब तक जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम कर चुकी है। 2022 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, एशियन चैंपियनशिप में रजत, सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर देश और गांव का नाम रोशन किया है। विश्व मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीतने का सपना भी पूरा हो गया।
गांव की बेटियों के लिए बनीं प्रेरणा
उन्होंने बताया कि पहले गांव के लोग ही कहते थे कि बेटी को मुक्केबाजी सिखा रहे हैं। उसके चेहरे पर चोट लग गई तो कोई शादी भी नहीं करेगा। अब वहीं लोग अपने बच्चों को लेकर मिलाने के लिए लाते हैं। मुक्केबाजी के टिप्स लेते हैं। उन्होंने बताया कि गांव की सोच बदलने में पिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।