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Noida News: खुशियों की आतिशबाजी से अटकी सांस
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दिवाली की रात से 22 अक्टूबर की सुबह तक 300 लोग पहुंचे ईएसआईसी मॉडल अस्पताल, 200 को सांस लेने में दिक्कत
संवाद न्यूज एजेंसी
नोएडा। दिवाली की रात से 22 अक्टूबर की सुबह तक सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी मॉडल अस्पताल के इमरजेंसी में सांस और बर्न के करीब 300 मरीज पहुंचे। इनमें 200 से अधिक लोगों ने सांस लेने में तकलीफ (अस्थमा, सीओपीडी, दमा) की शिकायत की।
अस्पताल के सीएमओ डॉ. मोहित ने बताया कि दिवाली की रात 9 बजे के बाद से ही मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी। कई मरीज पटाखों और धुएं के कारण सांस की तकलीफ से पीड़ित थे।
इमरजेंसी रिकॉर्ड के अनुसार, 21 अक्टूबर की सुबह तक कुल 211 मरीज अस्पताल की कैजुअल्टी में दर्ज हुए। इनमें से 105 मेडिसिन, 35 सर्जरी, 23 ऑर्थो, 36 पीडियाट्रिक्स और 10 अन्य विभागों में उपचार हुआ। दो मामले मेडिको-लीगल (एमएलसी) के रहे जबकि बर्न यूनिट में 10 मरीज लाए गए। इनमें से एक 30 वर्षीय युवक पटाखे से गंभीर रूप से झुलस गया था। प्राथमिक उपचार के बाद उसे एम्स दिल्ली रेफर किया गया। अन्य मरीजों का ईएसआईसी में इलाज जारी है।
अस्पताल के एचओडी मेडिसिन डॉ. करुण नगर ने बताया कि दिवाली के बाद वायु प्रदूषण के स्तर में तेज बढ़ोतरी हुई जिससे सांस के मरीजों में दिक्कत बढ़ी है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
नोएडा। दिवाली की रात से 22 अक्टूबर की सुबह तक सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी मॉडल अस्पताल के इमरजेंसी में सांस और बर्न के करीब 300 मरीज पहुंचे। इनमें 200 से अधिक लोगों ने सांस लेने में तकलीफ (अस्थमा, सीओपीडी, दमा) की शिकायत की।
अस्पताल के सीएमओ डॉ. मोहित ने बताया कि दिवाली की रात 9 बजे के बाद से ही मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी। कई मरीज पटाखों और धुएं के कारण सांस की तकलीफ से पीड़ित थे।
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इमरजेंसी रिकॉर्ड के अनुसार, 21 अक्टूबर की सुबह तक कुल 211 मरीज अस्पताल की कैजुअल्टी में दर्ज हुए। इनमें से 105 मेडिसिन, 35 सर्जरी, 23 ऑर्थो, 36 पीडियाट्रिक्स और 10 अन्य विभागों में उपचार हुआ। दो मामले मेडिको-लीगल (एमएलसी) के रहे जबकि बर्न यूनिट में 10 मरीज लाए गए। इनमें से एक 30 वर्षीय युवक पटाखे से गंभीर रूप से झुलस गया था। प्राथमिक उपचार के बाद उसे एम्स दिल्ली रेफर किया गया। अन्य मरीजों का ईएसआईसी में इलाज जारी है।
अस्पताल के एचओडी मेडिसिन डॉ. करुण नगर ने बताया कि दिवाली के बाद वायु प्रदूषण के स्तर में तेज बढ़ोतरी हुई जिससे सांस के मरीजों में दिक्कत बढ़ी है।